Sunday, January 5, 2025
- Advertisement -

मां की सीख

Amritvani


दार्शनिक गुरजिएफ के बारे में प्रसिद्ध है कि वे अपने श्रोता स्वयं चुनते थे। जिनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती थी या हम कह सकते है कि उनका दर्शन सुनने का अवसर केवल उन्हीं को मिलता था, जो वास्तव में उनको सुनना चाहते थे। मसलन उनके व्याख्यान की घोषणा जिस स्थान के लिए होती थी, वे वहां पहुंचते ही नहीं थे।

उनके शिष्य उनके आने की घोषणा करते रहते थे तथा श्रोता लंबे समय तक इंतजार करते और फिर कई घंटों के इंतजार के बाद सूचित किया जाता कि अब उनका व्याख्यान यहां नहीं, बल्कि यहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर फलां-फलां स्थान पर होने वाला। जो वास्तव में उनको सुनना चाहते थे ऐसे श्रोता अपनी गाड़ी ले उस स्थान के लिए चल पड़ते थे, बाकी उन्हें सनकी समझ वहीं से वापिस हो जाते थे। इस तरह वे अपने श्रोताओं का चयन स्वयं करते थे।

गुरजिएफ ने अपनी आत्मकथा में माता द्वारा दी गई एक बहुमूल्य संपदा का उल्लेख किया है, जिसके कारण वे अनेक भटकावों से बचे और जीवन में आनंद भरे अनेकों अवसर पा सके। वो लिखते है कि मेरी माता ने मरते समय कहा, किसी पर क्रोध आए तो उसकी अभिव्यक्ति चौबीस घंटे से पूर्व न करना। ऐसे अनेक प्रसंग आए, जिनमें मुझे बहुत क्रोध आया था, पर बाद में पता चला था कि जिस पर में क्रोधित हो रहा था उसमे तथ्य कम और भ्रम अधिक था।

क्रोध के कारणों और परिणामों पर विचार करने का अवसर मिलते रहने से, उसे कार्यान्वित करने की नौबत न आई और जो शत्रु लगते थे, वे आजीवन मित्र बने रहे। क्रोध के कारण और परिणामों पर अगर कुछ देर भी शांति से मनन कर लिया जाए तो शायद कभी क्रोध करने की नौबत ही नहीं आएगी। यह कहना अतिश्योक्ति न होगी कि माता की सीख के कारण ही मैं जीवन की उन ऊंचाइयों तक पहुंच पाया, जहां आज मैं हूं।

प्रस्तुति: राजेंद्र कुमार शर्मा


janwani address 5

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Kiara Advani: कियारा की टीम ने जारी किया हेल्थ अपडेट, इस वजह से बिगड़ी थी तबियत

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Lohri 2025: अगर शादी के बाद आपकी भी है पहली लोहड़ी, तो इन बातों का रखें खास ध्यान

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img