- निगम कार्यकारिणी ने नगर निगम के अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप
- जिन ठेकेदारों को निगम ने नोटिस जारी किये थे उन्हें ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कार्यकारिणी की बैठक महापौर सुनीता वर्मा की अध्यक्षता में हुई। इस दौरान बैठक में मौजूद कार्यकारिणी के सदस्यों ने निगम के अधिकारियों पर गंभीर आरोप भी जड़े। इनमे नगर निगम द्वारा अबतक अपने पुराने एजेंडे में किए गए वादों से लेकर निगम के ऐसे ठेकेदारों पर मेहरबानी करने के आरोप भी शाामिल रहे जिनमें उन ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट नहीं करने की बात कही गई।
जिनको निगम ने नोटिस जारी किए थे। साथ ही तत्कालीन नगर आयुक्त मनोज चौहान द्वारा पास किए गए प्रस्तावो की अनदेखी करना भी शामिल है। कार्यकारिणी सदस्यो ने कहा कि 15 मई 2018 को तत्कालीन नगर आयुक्त मनोज कुमार ने शहरी क्षेत्र में पांव वाटर कूलर लगाने, डिवाइडरों से जुड़े पार्को में सीसीटीवी कैमरे लगाने पर सहमति जताई थी जो अभी तक पूरी नहीं हुई है।
ब्लैक लिस्ट नहीं किए ठेकेदार
कार्यकारिणी सदस्यों ने निगम के अधिकारियों पर उन ठेकेदारों को शह देने का आरोप लगाया जिन्हें निगम ने अनियमित्ताओं के चलते नोटिस जारी किए थे। आरोप है कि नोटिस जारी होने के छह माह बाद ही फिर से उन्ही ठेकेदारों को ठेका दिया गया है। निगम के वाहनों (बीवीजी कंपनी को छोड़कर) को पेट्रोल-डीजल उपलब्ध कराने का ठेका भी ऐसे ही ठेकेदार के पास है।
यह ठेकेदार निगम के वाहन डिपों से दस किमी दूर मेडिकल के पास बने पेट्रोल पंप से वाहनों में तेल भरवाता है। साथ ही वाहनों के चालको को पर्ची दी जाती है। जिससे वह पंप पर जाकर पैसे लेते है। आरोप लगाया गया कि निगम के अधिकारी केवल नोटिसबाजी करते है जो महज दिखावा है। इन ठेकेदारो में विज्ञापन के ठेके लेने वाले ठेकेदार भी शामिल है। इसके साथ ही निगम के निर्माण आदि के ठेके भी पिछले 20 सालों से केवल दो एजेंसियों को दिए जाने के आरोप लगे है।
विज्ञापनों को लेकर दिए गए सुझाव
निगम कार्यकारिणी ने विज्ञानों को लेकर भी सुझाव दिए जिनमे कहा गया कि विज्ञापनो पर युनिक आईडी होनी चाहिए जिसमे समिति के सदस्यों के नाम शामिल होने चाहिए। साथ ही विज्ञापनो पर उनका साइज व एजेंसी का नाम भी होना चाहिए, प्रत्येक युनिपोल पर विज्ञापन लगाने का चार्ज निर्धारित होना चाहिए। विज्ञापन का न्यूनतम मूल्य 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार होना चाहिए।
विज्ञापनों का नवीनिकरण शुल्क 2012 से नहीं बढ़ा है जो बढ़ना चाहिए। इस बार विज्ञपनों के टेंडर 2022 में ही कर दिए गए जो 2023 तक ही वैद्य है। ऐसे में इनकी सीमा कैसे बढ़े इसपर भी विचार होना चाहिए। बजट कार्यकारिणी के सामने नहीं आया, बैठक के दौरान कार्यकारिणी सदस्यों ने कहा कि निगम का बजट कितना है यह उनके सामने नहीं आया है। जबकि निगम द्वारा इसे शासन को भेज दिया गया इसपर विचार करने की बात नगर आयुक्त द्वारा की गई।
नामांकन शुल्क व टैक्स नहीं बढ़ेगा
निगम ने हाऊस टैक्स व नामांकन शुल्क बढ़ानें का प्रस्ताव रखा जो एकमत से खारिज हो गया। कार्यकारिणी सदस्यों ने आरोप लगाया कि नगर निगम ने जीआईसी सर्वे के आधार पर टैक्स बढ़ाया है। लेकिन इसे कार्यकारिणी के सामने नहीं रखा गया जो गलत है। निगम द्वारा बढ़ाए गए हाऊस टैक्स में खेल चल रहा है। एक स्कूल पर 2022-23 का टैक्स पौने तीन लाख लगाया गया है।
अब यह पता नही कि हाऊस टैक्स किसने तय किया है। पुराने मकानों पर भी टैक्स बढ़ा दिया गया है, ऐसे में जनता को किस बिनाह पर टैक्स वसूली के लिए नोटिस जारी किए जा रहे है। बजट में निगम की कितनी आए है इसके बारे में भी कार्यकारिणी को नहीं बताया गया है। जबकि इसमे बड़ा खेल चलने के आरोप लगाए गए है।
सरकारी विभागों पर 35 से 40 करोड़ टैक्स बकाया
कार्यकारिणी ने निगम पर आरोप लगाते हुए कहा कि निगम में टैक्स वसूलने को लेकर बड़ा घोटाला चल रहा है। सरकारी विभागों पर ही 35 से 40 करोड़ टैक्स बकाया है जबकि इसमें बिजली विभाग शामिल नहीं है। ऐसे में आम जनता से तो मोटा टैक्स वसूला जा रहा है लेकिन सरकारी विभागों पर मेहरबानी क्यों की जा रही है
इसके पीछे किसी साजिश की बू आ रही है। टैक्स को दो गुना से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता जबकि बड़ी संख्या में ऐसे मामले है जिनमे कई सौ गुना टैक्स बढ़ाया गया है। मांग की गई कि 213 वाले नोटिस के साथ नामांकन फीस बढ़ाने को वापस लिया जाए।
निगम कार्यकारिणी के सदस्य ने रखी मांग
नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में निगम पार्षद व कार्यकारिणी के सदस्य अब्दुल गफ्फार ने महापौर व नगर आयुक्त को अपना प्रस्ताव पेश किया। जिसमें कहा गया है कि निगम द्वारा लगभग 150 ऐसे दुकानदारों से टैक्स नहीं वसूला जा रहा है जो सड़कों किनारे अपना धंधा करते हैं। ऐसे में निगम को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानी हो रही है।
इसके साथ ही निगम परिसर स्थित केनरा बैंक को 40 साल पहले बिल्डिंग किराए पर दी गई थी, लेकिन इस समय निगम के अधिकारी नियमों के अनुसार बैंक से किराया नहीं वसूल रहे है। निगम को किराया वृद्धि करते हुए नई दर से किराया वसूलना चाहिए। वहीं निगम कंपाउंड में ही बने बिजली विभाग के कार्यालय से भी किराया नहीं वसूला जा रहा है, जबकि जिस बिल्डिंग में यह कार्यालय है। वह निगम की ही संपत्ति है। अब्दुल गफ्फार ने निगम से किराया व टैक्स वसूलनें की मांग की है।
सफाइकर्मियों ने निगम पार्षद के नेतृत्व में जमकर हंगामा किया
जिस समय नगर निगम में नगर आयुक्त व महापौर के नेतृत्व में कार्यकारिणी की बैठक चल रही थी उसी समय निगम के सफाइकर्मी अपने संगठनों के साथ नारेबाजी करते रहे। इस दौरान निगम के पार्षद ने उनका साथ दिया और करीब छह घंटे तक निगम के गेट पर धरना देकर बैठे रहे। इस दौरान निगम ने धरने पर बैठे सफाइकर्मियों की कोई सुध नहीं ली। छह घंटे के बाद नगर आयुक्त ने प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के एक प्रतिनिधि मंडल को बुलाया और उनकी मांग सुनी।
निगम में सफाइकर्मियों के संगठन स्थानीय निकाय सफाई मजदूर संघ उप्र के महामंत्री कैलाश चंदोला व भाजपा के निगम पार्षद नीरज सिंह के नेतृत्व में सफाई कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर जमकर हंगामा काटा। कर्मचारियों की मांग है कि जितने भी आउटसोर्सिंग कर्मचारी है उनकी तनख्वाह 12 हजार 500 से बढ़ाकर 16 हजार 500 की जाए। दूसरी मांग है कि सफाई कर्मियों का ड्यूटी का समय सुबह 5 बजे से है।
ऐसे में महिला सफाइकर्मी अपने परिवार को नहीं देख पाती है, न ही अपने बच्चों को समय पर स्कूल भेज पाती है। ऐसे में इनके सामने अपने परिवार की देखभाल करने में परेशानी की समस्या है। तीसरी मांग आउटसोर्सिंग कंपनी अपने कर्मचारी के साथ कोई भी आकस्मिक घटना होने पर कोई मदद नहीं करती है। साथ ही कर्मचारियों को अपनी तनख्वाह का पैसा लेने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है।
चौथी मांग कंपनी कर्मचारियों का पीएफ व ईएसआई के नाम पर पैसा काटती है, लेकिन उसके बदले कर्मचारियों को कोई सेवाएं नहीं देती है। पांचवी मांग है कंपनी द्वारा कर्मचारियों को दिए जाने वाले 12 हजार 500 रुपये के वेतन का पूरा ब्योरा दर्शाया जाए। कर्मचारी की कितनी सैलरी है, इसमे से कितना पीएफ काटा गया, कितना ईपीएफ काटा जा रहा है और इन दोनों फंडों को काटने बदले कंपनी क्या सेवाएं देती है।
छह घंटे तक धरना दे रहे सफाइकर्मियों को नगर आयुक्त ने शाम करीब 4 बजे बुलाया। इस दौरान कर्मचारियों का एक प्रतिनिधि मंडल नगर आयुक्त से मिलने पहुंचा और उनके सामने अपनी मांगे रखी। नगर आयुक्त ने उनकी मांगों को सुना और इनको शासन स्तर तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।