Friday, July 5, 2024
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नमाजी भी खुश, प्रशासन भी पास

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  • जामा मस्जिद व इमलियान में अदा की गई नमाज
  • सभी मस्जिदों के बाहर रहे सुरक्षा के कड़े इंतजाम

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: तमाम आशंकाओं को धता बताते हुए पूरे शहर में जुमे की नमाज पूरी शांति के साथ अदा की। कहीं कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ और न ही कोई हंगामा। प्रशासन हालांकि हर संभावित स्थिति से निबटने के लिए पूरी तरह से तैयार था। हापुड़ रोड स्थित इमलियान मस्जिद व कोतवाली स्थिति जामा मस्जिद में लोगों ने जुमे की नमाज अदा की।

जुमे को लेकर पूरे जिले में अलर्ट था। जिले को पांच जोन व 13 सेक्टरों में बांटा गया था। अधिकारियों की फौज सुबह से ही सड़कों पर थी। मेरठ जोन के एडीजी राजीव सभरवाल से लेकर कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह, आईजी रेंज प्रवीण कुमार, डीएम दीपक मीणा व एसएसपी प्रभाकर चौधरी, एडीएम सिटी दिवाकर सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट अमित भट्ट खुद कमान संभाले हुए थे। पिछले जुमे को नमाज के बाद देश के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे

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जिसे देखते हुए अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। हांलाकि जुमे की नमाज पूरी तरह शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गई। इसके बाद पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली। शहर की कोतवाली स्थित शाही जामा मस्जिद, खैर नगर स्थित हौज वाली व पत्थर वाली मस्जिद, अहमद रोड स्थित अख्तर मस्जिद, लिसाड़ी गेट स्थित कुरैशियान मस्जिद, इस्लामाबाद स्थित मिन्नी वाली व एक मिनारा मस्जिद सहित शहर की सभी मस्जिदों में जुमे की नमाज पूरी तरह से शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुई। शहर की सभी बड़ी मस्जिदों के बाहर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे।

सरकार अपनी पॉलिसी बदले: शहर काजी

जुमे की नमाज के बाद शाही जामा मस्जिद में मीडिया से बात करते हुए शहर काजी प्रो. जैनुस साजेदीन सिद्दीकी ने सरकार पर इल्जाम लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार की बुलडोजर वाली कार्रवाई से वो सहमत नहीं हैं। शहर काजी ने कहा कि इससे देश की छवि धूमिल हो रही है।

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उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी पॉलिसी में बदलाव करना होगा और सभी के लिए समान कानून लागू करना होगा। शहर काजी के अनुसार अगर प्रदर्शन करने की कोई सजा है तो वो सबको समान रुप से मिलनी चाहिए। उन्होंने अग्निपथ की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज सरकार के एक फैसले के खिलाफ पूरा देश जल रहा है लेकिन कार्रवाई एकतरफा हो रही है।

‘माई प्रॉफेट, माई आॅनर’

शुक्रवार को जुमे की नमाज के समय सोशल मीडिया पर ‘माई प्रॉफेट, माई आॅनर’ (मेरे मुहम्मद, मेरा सम्मान) ट्रेन्ड करता रहा। बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने अपने अपने वॉट्सएप पर प्रोफाइल पिक्चर की जगह यही दर्शाया। इसके अलावा बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने अपने स्टेटस पर भी यही वाक्य कोड किया।

अग्निपथ व बजरंग दल को लेकर भी अलर्ट

जुमे की नमाज को लेकर जहां पुलिस प्रशासन पहले से ही टेंशन में था वहीं उसे इस बात का भी डर था कि नमाज के समय कहीं अग्निपथ आंदोलन की आंच शहर के अंदर न फैल जाए। उधर जुमे की नमाज से एक दिन पूर्व बजरंग दल द्वारा किए गए प्रदर्शन को लेकर भी प्रशासन सशंकित था। उसे इस बात का भी डर सता रहा था कि कहीं बजरंग दल के कार्यकर्ता नमाज के समय कोई प्रदर्शन न कर दें।

राशन डीलरों ने भी संभाली व्यवस्था

नमाज से पूर्व विभिन्न मस्जिदों के बाहर क्षेत्र के राशन डीलरों की भी तैनाती की गई थी। हांलाकि कई मुस्लिम राशन डीलरों ने इस बात को लेकर रोष भी व्यक्त किया कि जब उन्हे भी जुमे की नमाज पढ़नी है तो वो ड्यूटी कैसे देंगे। हांलाकि ऐसे कई राशन डीलरों ने खुद ही पहले उन मस्जिदों में जाकर नमाज अदा कर ली

जहां पर उनकी ड्यूटी टाइम से पहले जुमे की नमाज अदा होनी थी। बाद में उन लोगों ने आकर अपनी अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया। इसके अलावा सिविल डिफेंस से जुड़े लोगों की ड्यूटी भी मस्जिदों के बाहर लगाई गर्इं थीं।

छोटी बात पर ठिनकने वाला शहर लिख रहा अमन की इबारत

‘कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से, यह नए मिजाज का शहर है जरा फासले से मिला करो’ व ‘लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में’। कुछ समय पहले तक शायरों के इन्हीं कलामों से शहर के मिजाज को परखा जाता था। जरा जरा-सी बातों पर लड़ बैठने वाले इस शहर के माथे पर दंगों का बदनुमा दाग लग चुका था।

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मेरठ का नाम आते ही लोगों के दिलो दिमाग पर दंगों की विभिषिका हावी हो जाती थी। अब वक्त जुदा है। लोग बदल गए हैं। माहौल खुशनुमा हो चुका है। विकास की नई इबारत तैयार है। दरअसल मेरठ में नई जनरेशन बेहद मॉर्डन है। वो इन घिसे पिटे मुद्दों के साथ अपना मुस्तकबिल साझा नहीं करना चाहती। उनको परवाज (उड़ान) के लिए खुला आसमान चाहिए।

पिछले कुछ समय से जिस तरह जुमे का नाम सुनकर स्थानीय प्रशासन के माथे पर बल पड़ जाते थे, उससे भी अब बाहर निकलने का वक्त आ गया है। शहर में जहां रैपिड से लेकर मेट्रो फर्राटा भरने को तैयार है। वहीं हवाई उड़ान भी मेरठ की दहलीज पर खड़ी है। युवाओं के लिए बिजनेस के अवसर का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। ऐसे में अगर हम 82, 87 व 91 का रोना रोएंगे तो इसका सीधा असर जवान नस्ल पर पड़ेगा और ऐसे में शहर जिस विकास के पथ पर दौड़ रहा है

वहां से भटक भी सकता है। लिहाजा हमें अब पुरानी बातों को भूलकर शहर की तरक्की में योगदान देना है। 82 व 87 न हुए होते तो आज हम दिल्ली व मुम्बई से कदमताल कर रहे होते। टेंशन वाला जुमा शांतिपूर्वक ढंग से निकल गया। इससे पहले वाले जुमे पर भी सब कुछ ठीक ठाक रहा।

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