Monday, July 1, 2024
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नशे की गिरफ्त में जाती नई नस्ल

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Samvad


M.A. kavanjसुरक्षा बलों ने पुंछ के मेंढर में नियंत्रण रेखा पर तारबंदी के आगे स्थित गांव में 10वीं की छात्रा के पास से 400 ग्राम हेरोइन बरामद की है। पुलिस और बीएसएफ ने पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई द्वारा स्कूली बच्चों के माध्यम से नशीली वस्तुओं की तस्करी और किशोरों को नशे में लिप्त करने की साजिश का पर्दा फाश किया है। इस मामले में सीमा पार से छात्रा को हेरोइन पहुंचाने वाले पाकिस्तानी हैंडलर की पहचान की गई है। इससे मालूम होता है कि पाकिस्तान समेत कुछ ताकतें आम युवाओं के साथ छात्र-छात्राओं को भी अपना निशाना बनाने से नहीं हिचक रहे हैं। मादक पदार्थों का गंदा धंधा करने वाले कितने ही लोग देश में मौजूद हैं, जो नई नस्ल के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हकूमतों द्वारा मादक पदार्थों की बिक्री को आय का अच्छा स्रोत मानते रहने के कारण इन पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग सका है। नशे की आदी होती मौजूदा पीढ़ी को नशे की लत से मुक्त करने के लिए जगह जगह नशामुक्ति केंद्र तो हैं, लेकिन उनकी हालत ज्यादा अच्छी नहीं है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में मुल्क की राजधानी दिल्ली में एक ऐसे युवक ने नशे के लिए रुपये नहीं देने से क्षुब्ध होकर अपनी मां, दादी, बहन और पिता की चाकू से प्रहार कर हत्या कर दी, जो कुछ दिन पहले ही नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में समय गुजार कर आया था।

नशे की खातिर परिजनों को मौत के घाट उतारने के मामले जब तब सामने आते रहते हैं। शराब के लिए रुपये नहीं देने पर बेटे द्वारा मां की हत्या की कई वारदातें अखबारों की सुर्खियां बन चुकी हैं। नशे का कारोबार चरम पर होने के कारण युवाओं में नशे का नशा सिर चढ़कर बोल रहा है। घर, परिवार और मोहल्ले के लोगों की यह लत धीरे धीरे आम किशोरों पर तो अपनी पकड़ मजबूत कर ही रही है, छात्र और छात्राएं भी इससे अछूते नहीं हैं। बिहार उन सूबों में शामिल है, जहां नशीली वस्तुओं पर पाबंदी है। इसके बावजूद सारण जिले के मंढौरा अनुमंडल में जहरीली शराब पीने से 30 से ज्यादलोगों की मौत हो गई तथा 25 से अधिक व्यक्तियों की हालत गंभीर है।

ज्यादातर मौतें मशरक और इसुआपुर में हुर्इं। यह मुद्दा संसद और विधानसभा में उठाया तो गया, लेकिन इस पर सार्थक बहस नहीं होने के कारण कोई हल नहीं निकाला जा सका। कहा जा रहा है कि 13 दिसंबर की सायं बिहार के सारण जनपद के अमनौर, मशरक, इसुआपुर और मढ़ौरा प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में शराब की खेप पहुंची थी। जहरीली शराब की बिक्री से न तो माफिया बाज आ रहे हैं और न ही शराब का सेवन करने वाले लोग बाज आ रहे हैं। कम से कम 100 लोगों ने शराब का सेवन किया। शराब पीने के बाद कई लोगों को उल्टी और दस्त की श्किायत होने लगी। कुछ देर बाद कइयों की मौत हो गई, तो कइयों की आंखों की रोशनी चली गई।

बाजार में नशीली चीजें आसानी से उपलब्ध होने के कारण किशोरों एवं छात्र-छात्राओं में नशे की लत बढ़ रही है। इसका सहज अंदाजा इस उदाहरण से लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश का एक दंपति अपने पुत्र के प्रवेश के लिए दिल्ली के नामचीन निजी कालेज पहुंचा। टेस्ट के बाद उन्हें बालक के दाखिले की तारीख मिल गई। अचानक उनके मन में कालेज के वातावरण का जायजा लेने का विचार आया।उन्होंने छात्रों और छात्राओं को कक्षाकक्षों के पीछे खुलेआम सिगरेट से धुआं उड़ाते और शराब का सेवन करते देखा।

इसके बाद उनका मन बदल गया और उन्होंने अपने बेटे को वहां दाखिला दिलाने से गुरेज किया। पिछले कुछ वर्षों से शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत छात्रों और छात्राओं में सिगरेट पीने का शौक बढ़ा है। आदत से मजबूर छात्र वह सिगरेट पीने लगता है, जो आम सिगरेटों से भिन्न होती है। इसका तंबाकू निकालकर उसमें नशा बढ़ाने वाला पदार्थ मिलाया जाता दरअसल, किसी मामले को लेकर कानून तो बना दिया जाता है, लेकिन उस पर अमल करने कराने में अड़चनें आती हैं। कई बार कानून के रखवाले ही कानून तोड़ते देखे जाते हैं। दुपहिया वाहन के चालकों के लिए हेलमेट पहिनना आवश्यक है, लेकिन कई बार चौराहों पर दूसरे लोगों के चालान काटने वाली पुलिस स्वयं बिना हेलमेट पहने बाइक चलाते नजर आते हैं।

मादक पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध का कानून बनाए जाने मात्र से इस पर काबू नहीं पाया जा सकता। ऐसा तब ही मुमकिन है, जब कानून का पालन कराने वाले और नियमों की समझ रखने वाले नागरिक पूरी तरह ईमानदार हों। प्राय: यह देखा जाता है कि नशीली वस्तुओं पर पाबंदी के बावजूद चोरी छिपे इनकी आपूर्ति की जाती है। चोरी छिपे हासिल की जाने वाली चीज मंहगे दामों में खरीदी और बेची जाती है। चूंकि, नशे के आदि हो चुके युवा मादक दृव्यों को हर कीमत पर प्राप्त करना चाहते हंै, इसलिए कई बार वे गलत रास्ता चुन लेते हैं। गुटखा, तंबाकू, पान मसाले के बाद व्हाइटनर, बोनफिक्स जैसी चीजें झिल्ली में भर कर नाक और मुंह द्वारा खींचकर नशापूर्ति की जाती है।

नशे का अंत यहीं नहीं होता। इसके बाद सुलफा, गांजा, चरस, अफीम, कोकीन, मारफीन, हेरोइन और विदेशों से तस्करी कर लाई जाने वाली गुलाबी गोली आदि की लत लग जाती है, जो आसानी से नहीं छूटती। इसके अलावा युवा वर्ग नशीली दवाइयों की जिस सुरंग में प्रवेश कर चुका है, उससे बाहर निकल पाना नामुमकिन नही ंतो काफी मुश्किल अवश्य है। नशीले वातावरण को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में तब ही तब्दील किया जा सकता है, जब हुकूमतें आर्थिक लालच का परित्याग करने के लिए कमरबस्ता हो जाए।


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