- 11 उत्पादों को पावरलूम उद्योग से किया बाहर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हथकरघा आरक्षण अधिनियम 1985 के अन्तर्गत सरकार अब उन पावरलूम और हैंडलूम बुनकारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी जो हथकरघा उद्योग के साथ खिलवाड़ करेंगे। सरकार ने बुनकरों से साफ कर दिया है कि हथकरघा एक प्राचीन कला है और यह एक प्रकार से भारतीय संस्कृति है, इसलिए इसे अब बचाना होगा।
सरकार ने बुनकरों से साफ कह दिया है कि यदि हथकरघा के तहत आने वाले कुल 11 उत्पादों को उन्होंने अपने यहां पावरलूम पर बनाया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सरकार के इस फरमान से जहां कुछ बुनकर सहमत हैं वहीं कई बुनकर इस सरकारी फरमान से बिल्कुल असहमत दिखे। असहमत बुनकरों का मानना है कि इसका सीधा असर उनके कारोबार पर पड़ेगा।
मेरठ जनपद एक बुनकर बाहुल्य इलाका है और यहां बड़ी संख्या में लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। मेरठ के इस्लामाबाद, किदवई नगर, ढवाई नगर, गोला कुआं व अहमद नगर सहित विभिन्न इलाकों में हजारों की संख्या में पावरलूम मशीनों पर लोग काम करते हैं। इसके अलावा सरधना व खरखौदा में भी वस्त्र उद्योग का बड़ा काम है।
सरकार ने हथकरघा के 11 उत्पादों को रिजर्व करते हुए कहा है कि यदि पावरलूम अथवा हैंडलूम पर उक्त 11 उत्पादों को बनाया गया तो संबंधित पावरलूम संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
आदेश न माना तो जेल और जुर्माने का प्रावधान
इस सम्बंध में हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग (मेरठ) के सहायक आयुक्त मनोजकांत गर्ग का कहना है कि यदि कोई भी पावरलूम संचालक अपने यहां उक्त उत्पादों का उत्पादन करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत प्रति लूम पांच हजार रुपये का जुर्माना या छह माह की जेल या फिर दोनों हो सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस नियम का लगातार उल्लघंन करने पर 500 रुपये प्रति लूम प्रतिदिन का दंड लिया जाएगा।
पावरलूम पर नहीं बन पाएंगे अब यह 11 उत्पाद
- साड़ी
- धोती
- तौलिया, गम्छा, अंगवस्त्रम्
- लूंगी
- खेस, बेडशीट, बेडकवर
- जमक्कलम, दरी व दरेट
- ड्रेस मैटिरियल
- बैरेक कम्बल, कम्बली
- शॉल, लोई, मफलर, पंखी
- वूलन ट्वीड
- चादर, मेखला या फनेक