Saturday, June 28, 2025
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नई नियुक्ति नहीं, पुराने टीचर्स से चलाओ काम

  • शिक्षा विभाग के रिटायर्ड हो चुके शिक्षकों से फिक्स मानदेय पर कराएंगे पढ़ाई
  • विशेषज्ञों की राय में आत्मघाती साबित होगा नई टीचरों की भर्ती में देरी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नई नियुक्तियों के आसार नहीं-पुराने से चलाओ काम, शिक्षा विभाग में नई नियुक्तियों के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। जो रिटायर्ड हो चुके हैं, उन्हीं से काम चलाना होगा। इसके पीछे सरकारी खजाने की सेहत को एक बड़ा कारण माना जा रहा है। हालांकि शिक्षा विभाग इस पूरी कवायद को रिटायर्ड हो रहे शिक्षकों को सौगात के तौर पर प्रचारित करने पर जुटा है। वहीं, दूसरी ओर शिक्षा विभाग में वक्त रहते शिक्षकों की नियुक्तियां न किए जाने पर भी कई गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।

मेरठ ही नहीं प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों की यदि बात की जाए तो वहां पहले ही शिक्षकों का टोटा है। हालात यह है कि कुछ स्कूलों का भर तो एक ही शिक्षक के कंधों पर है। एक तो शिक्षकों का टोटा दूसरी ओर शिक्षकों से गैर शिक्षक काम का लिया जाना। मसलन उनको वोट बनाने का काम करना, जो काम अभिभावकों को करना चाहिए जैसे बच्चों को कीडों की दवा पिलवाना,

वो काम भी शिक्षकों से कराया जाना इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधित तमाम अभियानों में शिक्षकों को लगाया जाना। सरकार के इन तमाम निर्णयों का सीधा असर शिक्षा खासतौर से प्राथमिकि शिक्षा वाले बच्चों पर सीधा पड़ रहा है। रही सही कसर शिक्षकों की भर्ती में हो रही देरी पूरी कर देगी। शिक्षक नेताओं का कहना है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान शिक्षा का हो रहा है।

रिटायर्ड को पढ़ाई के एवज में फिक्स मानदेय

सूबे की सरकार ने तय किया है कि ब तक नए शिक्षकों की नियुक्ति न हो जाए तब तक सेवानिवृत्त शिक्षकों से ही सेवाएं ली जाएं। उन्हें एक फिक्स मानदेय दिया जाए। हालांकि इस बात का उत्तर नहीं मिल रहा है कि शिक्षकों की भर्ती क्यों नहीं की जा रही हैं। शिक्षकों की भर्ती में हो रही देरी या इसको लगातार टाले जाने से भी खासी बेचैनी देखी जा रही है। स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की मांग तमाम शिक्षक संगठन समय-समय पर उठाते रहते हैं,

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लेकिन शिक्षा के नाम पर सूबे की सरकार की इस नयी व्यवस्था मसलन रिटायर्ड होने वाले शिक्षकों से ही पढ़ाने का काम लिए जाने के फैसले के साइड इफैक्ट का इंतजार किया जा रहा है। शिक्षक नेताओं का मानना है कि यह निर्णय उचित नहीं। सरकार नियमित रूप से यदि शिक्षकों की भर्ती नहीं करेगी तो उससे नुकसान होगा। यदि पढ़ाई का स्तर उठाना है तो नियमित रूप से शिक्षकों की भर्ती बगैर विलंब के शुरू की जानी चाहिए। नियमित शिक्षकों की अरसे से भर्ती नहीं की गयी है।

योगी सरकार के फैसले का किया स्वागत

वहीं, दूसरी ओर सीसीएसयू के पूर्व छात्र नेता व भाजपा के युवा नेता अंकित चौधरी ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। शिक्षकों की नियुक्ति होने तक सेवानिवृत्त शिक्षकों से ही सेवाएं लेने का निर्देश दिया है। इसके लिए रिटायर्ड शिक्षकों को एक फिक्स मानदेय दिए जाने की बात सीएम ने कही है।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में माध्यमिक शिक्षा के कॉलेज नकल के अड्डे बन गए थे, जिनमें ठेके पर नकल कराई जाती थी। पिछले छह वर्षों में इसमें सुधार हुआ है। पिछले साल माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से संपन्न हुई हाई स्कूल और इंटरमीडिएट बोर्ड की परीक्षा देश में एक नजीर बनी है। परिषद ने 15 दिन के अंदर 56 लाख विद्यार्थियों की नकल विहीन परीक्षा कराई और 15 दिन के अंदर ही परिणाम भी दे दिया।

अव्यवहारिक है सरकार का निर्णय

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राकेश तोमर का कहना है कि सरकार का यह निर्णय पूरी तरह से अव्यवहारिक है। जो पुराने जो शिक्षक रिटायर्ड हो चुके हैं वो नए पैटर्न से नहीं पढ़ा पाएंगे। जो नए टीचर आ रहे हैं उनको भी पहले नए पैटर्न की ट्रेनिंग करायी जाती है। जो टीचर 60 साल की उम्र पार कर चुके हैं और पेंशन पा रहे हैं, वह क्यों फिक्स मानदेय पर पढ़ाने के लिए आएंगे। सरकार का यह निर्णय अव्यवहारिक है।

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