- खंड शिक्षा अधिकारी के नोटिस पर सुनवाई न होने पर अभिभावक ने ली हाईकोर्ट की शरण
- पांच को भेजे नोटिस में दो सप्ताह में मांगा जवाब
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: लालकुर्ती क्षेत्र स्थित एक विद्यालय पर आरोप है कि उसने नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम को ताक पर रखते हुए बच्चों के एडमिशन करने से इनकार कर दिया है। विद्यालय ने तर्क दिया है कि अभिभावक का आय प्रमाण पत्र संलग्न न होने के आधार पर ऐसा किया है। मामले को लेकर अभिभावक ने हाई कोर्ट की शरण लेते हुए याचिका दाखिल की। जिसको स्वीकार करते हुए कोर्ट ने विद्यालय प्रबंधन समेत पांच को पार्टी बनाते हुए नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय नगर क्षेत्र मेरठ की ओर से माल रोड लालकुर्ती स्थित चिराग ग्रामर स्कूल प्रबंधन को 25 अपै्रल 2023 को एक नोटिस जारी किया। जिसमें शैक्षिक सत्र 2023-24 में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार, अधिनियम 2009 की धारा-12(1) (ग) के अन्तर्गत आस-पास के गैर सहायतित मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अलागित समूह एवं दुर्बल वर्ग के बच्चों का प्राथमिक कक्षा, कक्षा-1 में कम से कम 25 प्रतिशत सीमा तक प्रवेश करने के सम्बन्ध में उल्लेख किया गया।
इसी सम्बन्ध में राज्य स्तर से समय-समय पर निर्गत्त अन्य दिशा निर्देशों के अनुपालन में तथा जिलाधिकारी मेरठ के अनुमोदन उपरान्त अलानित समूह एवं दुर्बल वर्ग के बच्चों की ओर से आॅनलाइन आवेदन के समय अपलोड किये गये सम्बन्धित प्रमाण पत्र के आधार पर प्रथम लॉटरी में चयनित बच्चे के नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा-12(1) (ग) के अन्तर्गत उनके विद्यालय में पूर्व प्राथमिक कक्षा, कक्षा-1 में बच्चे के प्रवेश के लिए निर्देशित किया गया था।
खंड शिक्षा अधिकारी की ओर से जारी नोटिस में कहा गया कि बच्चे के अभिभावक ने अपने प्रार्थना पत्र के जरिये अवगत कराया कि विद्यालय प्रबंधन की ओर से बच्चे को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। जबकि खंड शिक्षा अधिकारी की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि यदि आवेदक के प्रमाण पत्र सही है तो उसके बच्चे का प्रवेश अनिवार्य है। अभिभावक का आरोप है कि इसके बावजूद स्कूल की ओर से इस संबंध कोई कदम नहीं उठाया गया।
विवश होकर एक बालिका गायत्री के पिता कुलदीप बत्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें गायत्री के अलावा हुसैन खान, मंथन, जिनीषा और शोर्य यादव के नाम शामिल किए गए। इस याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य और विद्यालय प्रबंधन समेत पांच को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी किया है। जिसमें दो सप्ताह के भीतर प्रत्युतर हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है।