- एक जनवरी 2018 के बाद के बैनामे की नकल और एक पृष्ठ का प्रमाण पत्र के लिए शुरू की गई सुविधा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अब बैनामे की प्रमाणित नकल और एक पृष्ठ का प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालयों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं रहेगी। निबंधन विभाग की ओर से इसके लिए निर्धारित शुल्क जमा करके आॅनलाइन आवेदन कराने के बाद नकल या प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की सुविधा शुरू कर दी है।
महानिरीक्षक निबंधन उत्तर प्रदेश लखनऊ की ओर से इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया गया है। जिसमें अवगत कराया गया है कि एक जनवरी 2018 के बाद के जितने भी बैनामे हुए हैं, उनकी स्कैन कापी विभाग के सर्वर पर अपलोड है। वर्तमान में प्रदेश के समस्त उपनिबंधक कार्यालयों में रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 की धारा 57 और रजिस्ट्रेशन मैन्युअल के नियम 326 के अंतर्गत लेखपत्रों की सत्य प्रतिलिपि निर्गत की जाती है।
पांच दिसम्बर 2017 से लेखपत्रों के आॅनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद पंजीकृत लेखपत्रों को स्कैन कर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के मेघराज क्लाउड सर्वर पर अपलोड किया जा रहा है। स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की ओर से शासन के छह माह में आरम्भ/पूर्ण होने वाले कार्यों के अंतर्गत एक जनवरी 2018 के पश्चात पंजीकृत लेखपत्र की सत्यप्रतिलिपि का आॅनलाइन आवेदन व डिजिटल हस्ताक्षर के पश्चात पंजीकृत लेखपत्रों का एक पृष्ठ का लेखपत्र प्रमाण पत्र का आॅनलाइन आवेदन एवं डिजिटल हस्ताक्षर के पश्चात आॅनलाइन प्राप्ति की सुविधा को प्रारंभ किया गया है।
18 अगस्त से यह सुविधा शुरू की गई है। उपरोक्त दोनों सुविधाएं प्रदान किए जाने की व्यवस्था का सृजन विभागीय पोर्टल पर किया गया है। जिसके अंतर्गत आवेदक की ओर से विभागीय पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराते हुए अपना लागिन एवं पासवर्ड सृजित करेगा। जिसके बाद आवेदक अपने लागिन से आॅनलाइन आवेदन एवं निर्धारित शुल्क का आॅनलाइन भुगतान करेगा।
सम्बंधित उपनिबंधक कार्यालय की ओर से आॅनलाइन आवेदन को जांच के बाद पंजीकृत लेखपत्र की सत्यप्रतिलिपि एवं लेखपत्र प्रमाण पत्र को डिजिटल हस्ताक्षर के साथ नियत समयावधि में अपलोड किया जाएगा। आवेदक स्वयं सृजित लागिन एवं पासवर्ड द्वारा विभागीय पोर्टल से लेखपत्र की सत्यप्रतिलिपि/लेखपत्र प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकता है। एक जनवरी 2018 से पूर्व के पंजीकृत लेखपत्रों की सत्यप्रतिलिपि उपनिबंधक कार्यालय की ओर से पूर्व निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार निर्गत किए जाएंगे। गौरतलब है कि विभाग की ओर से भारमुक्त प्रमाण पत्र उपरोक्त प्रक्रिया को पूरा करने के उपरांत मिल जाता है।