- छोटूराम इंजीनियरिंग कॉलेज की निदेशक प्रो. जयमाला को मिल रहा नियम के विरुद्ध मानदेय
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में मलाईदार पदों पर बैठे प्रोफेसरों की चांदी आई हुई है। इन प्रोफेसरों को शासनादेश के विरुद्ध मानदेय दिया जा रहा है। इसमें विवि की मिली भगत भी खुलकर उजागर हो रही है। गत सप्ताह प्रो. वाई विमला पर आरोप लगा था कि उनको नियम विरुद्ध मानदेय दिया जा रहा है।
अब राजभवन ने सर छोटू राम इंजीनियरिंग कालेज की निदेशक और गणित विभागाध्यक्ष प्रो. जयमाला पर गैर कानूनी तरीके से 30 हजार रुपये मानदेय लेने का आरोप राजभवन ने लगाया है। हैरानी की बात यह है कि विवि की कार्यपरिषद और वित्त समिति ने दोनों प्रोफेसरों के मानदेय पर मुहर लगाई हुई है।
राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी ने कुलपति को पत्र लिखकर कहा है कि गणित विभागाध्यक्ष प्रो. जयमाला को निदेशक के रूप में जो 30 हजार रुपये का मानदेय मिल रहा है, वो शासन के आदेश के खिलाफ है। प्रो. वाई विमला के मामले में भी विश्वविद्यालय के निर्णय पर राजभवन ने नाराजगी जाहिर की थी। राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी डा. पंकज एल जानी ने कहा है कि शासनादेश में निदेशक को मानदेय की अनुमति नहीं है, लेकिन विवि जिस संदर्भ का उल्लेख कर रहा है, वो शासनादेश के विरुद्ध और गलत है।
वहीं, विवि के वित्त अधिकारी की तरफ से जारी सूची में बताया गया है कि प्रति कुलपति 10000 रुपये, डीएसडब्लू 4000 रुपये, प्राक्टर 3500 रुपये, चीफ वार्डन 3500 रुपये, निदेशक इंजीनियरिंग कालेज 30000 रुपये, प्रेस प्रवक्ता 3500 रुपये, विजीलेंस आफिसर 3500 रुपये, सहायक वार्डन 2000 रुपये, सहायक डीएसडब्लू 2000 रुपये और सहायक प्रॉक्टर 2000 रुपये मानदेय मिलेंगे।
मुझे इस मामले में कोई जानकारी नहीं है यदि ऐसा है तो विश्वविद्यालय अपने आप जवाब देगा। -प्रो. जयमाला, निदेशक, सर छोटूराम इंजीनियरिंग कॉलेज