- उच्च न्यायालय के आदेश शीर्ष प्राथमिका संख्या 1427 नौ-7-2023 के क्रम में
- मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन दुर्गाशंकर ने जारी 11 सितंबर को जारी किया था आदेश
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत एक वर्ष की अवधि के उपरान्त जन्म एवं मृत्यु-प्रमाण पत्र जारी कराने के लिए अब तक सिटी मजिस्ट्रेट की अनुमति ली जाती थी, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश एवं मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन दुर्गाशंकर के आदेश के बाद सिटी मजिस्ट्रेट/एसडीएम को जारी की गई थी गाइड लाइन। सिटी मजिस्ट्रेट ने आदेश के क्रम में एक महीना तक तो जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र की अनुमति आरसीसीएमएस पोर्टल पर जारी की अनुमति, उसके बाद यह अनुमति जारी करने की जिम्मेदारी एसडीएम की होना बताया, जिसके बाद मामला डीएम एवं नगरायुक्त के दरबार पहुंचा, जिसमें अब डीएम ने सिटी मजिस्ट्रेट की जगह-जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए एसडीएम सदर को नामित किया है। मंगलवार को पहली बार एसडीएम कार्यालय जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्रों से संबंधित फाइल भेजी गई।
नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम से जारी किये जाते हैं। जिनके जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कराने में एक वर्ष या उससे अधिक की देरी हो जाती है। उसके लिए सिटी मजिस्ट्रेट से अनुमति ली जाती थी, जिसमें यह अनुमति पहले आॅफलाइन ली जाती थी, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश/शीर्ष प्राथमिका संख्या 1427/नौ-7-2023 के क्रम में मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन दुर्गाशंकर ने जारी 11 सितंबर 2023 को जो आदेश जारी किया उस पर सिटी मजिस्ट्रेट ने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र की अनुमति के लिए सभी आवेदन मैनुअल की जगह आरसीसीएमएस पोर्टल के माध्यम से ही उनके कार्यालय में पंजीकरण के लिए भेजे जाने के आदेश जारी कर दिए।
एक महीने तक तो उन्होंने इसी व्यवस्था को लागू किया, लेकिन उनके द्वारा बाद में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग से यह कहते हुए अनुमति जारी करने से इंकार कर दिया कि यह जिम्मेदारी एसडीएम की बनती है कि वह जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्रों को जारी करने की अनुमति प्रदान करें। इस संबंध में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा डीएम एवं नगरायुक्त को पत्र लिखकर गाइड लाइन की जानकारी मांगी गई। जिसके बाद त्योहारों का सिलसिला शुरू हो गया और मामला अधर में लटक गया।
जिसके बाद डीएम ने नगरायुक्त एवं स्वास्थ्य विभाग को पत्र जारी कर सिटी मजिस्ट्रेट के स्थान पर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्रों की अनुमति के लिए एसडीएम से अनुमति प्राप्त करें। अब सिटी मजिस्ट्रेट के स्थान पर एसडीएम से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र संबंधी आदेश जारी करायें। इसी क्रम में मंगलवार से यह प्रक्रिया शुरू कर दी गई। एसडीएम ने जन्म-मृत्यु संबंधी अनुमति देने का कार्य शुरू कर दिया गया। अब एडीएम सिटी की जगह एसडीएम अनुमति जारी करेंगे।
सामुदायिक भवन के टेंडर की जांच कराने की मांग
पांडव नगर स्थित सामुदायिक भवन को किराए के लिए पांच वर्ष के लिए नगर निगम द्वारा 12 लाख 75 हजार रुपये से अधिक की धनराशि पर दिया गया है। नगर निगम पार्षद एवं कार्यकारिणी सदस्य पवन चौधरी ने अपर नगरायुक्त शरद पाल से शिकायत की ओर कहा कि टेंडर प्रक्रिया में अनियमित्ता बरती गई है। टेंडर फाइल में कई त्रुटियां सामने आ रही है। वह फाइल देखने के लिए नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं। जिसमें संबंधित लिपिक हरवीर सिंह फाइल दिखाने के लिए तैयार नहीं हैं। वह फाइल के संबंध में गोलमोल जवाब दे रहा है। अपर नगरायुक्त शरद पाल ने हरवीर को बुलाकर फाइल दिखाने के लिए सख्ती से कहा तो उसके बाद उसके द्वारा सामुदायिक भवन की फाइल उपलब्ध कराई गई। फाइल में काफी गड़बड़ी मिलने की बात सामने आई। पार्षद पवन चौधरी का कहना है कि इस मामले में जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।