- प्रदेश भर में बनाये गए साइकिल ट्रैक की जांच करा रही यूपी सरकार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: समाजवादी पार्टी की सरकार में प्रदेश भर में बनाये गए साइकिल ट्रैक की जांच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरंभ करा दी है। यह जांच थर्ड पार्टी एजेंसी से कराई जा रही है।
गुरुवार को आगरा की थर्ड पार्टी एजेंसी की एक टीम मेरठ साइकिल ट्रैक की जांच करने के लिए पहुंची। टीम के इंजीनियरों ने ट्रैक पर सड़क के नमूने लिये तथा आगरा की प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे।
बता दें, छह करोड़ से समाजवादी सरकार में साइकिल ट्रैक तैयार किया गया था। इस साइकिल ट्रैक पर पहले केबिल घोटाला हुआ था। उसमें एक्सईएन समेत तीन इंजीनियर जेल भी गए थे। उसका मुकदमा भी दर्ज है। तब तत्कालीन कमिश्नर डा. प्रभात कुमार ने साइकिल ट्रैक पर केबिल दबाने के मामले में घोटाला पकड़ा था।
तब से साइकिल ट्रैक पर कोई काम नहीं हुआ। इस पर स्ट्रीट लाइट तो लगी है, मगर उनको चालू नहीं किया गया है। गुरुवार को साइकिल ट्रैक की जांच पड़ताल करने के लिए आगरा की थर्ड पार्टी पहुंची। टीम के इंजीनियरों ने साइकिल ट्रैक से सैंपल लिये तथा साइकिल ट्रैक की लंबाई की पैमाइश कराई।
करीब छह करोड़ रुपये साइकिल ट्रैक पर खर्च किये गए थे। इसमें घपला हुआ या फिर नहीं। इन तमाम तथ्यों की जांच पड़ताल की जा रही है। आगरा की कंपनी को मेरठ के ही साइकिल ट्रैक की जांच नहीं सौंपी गई, बल्कि पूरे प्रदेश के साइकिल ट्रैक की जांच दी गई है।
सभी साइकिल ट्रैक से जांच के लिए नमूने लिये जा रहे हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद एमडीए इंजीनियरों व ठेकेदार पर नयी मुसीबत आने वाली है। एक तो इसकी गुणवत्ता बेहतर है ही नहीं, जिसमें इंजीनियरों पर भी कार्रवाई हो सकती है तथा ठेकेदार पर भी कार्रवाई तय है। कई जगह पर पहले ही ट्रैक खराब है। जब से यह साइकिल ट्रैक एमडीए के इंजीनियरों ने तैयार किया था, तब से इस ट्रैक पर कोई चल भी नहीं पाया है।
एक दिन ट्रायल हुआ था,उसके बाद से ही साइकिल ट्रैक को चालू नहीं किया गया। स्ट्रीट लाइट लगी है, मगर उसकी लाइट का कनेक्शन आज तक नहीं हो पाया। क्योंकि केबिल घोटाला सामने आ गया था। इस तरह से साइकिल ट्रैक का कोई प्रयोग नहीं हुआ। जो सड़क बनायी गयी थी, वह भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
ऐसे में सड़क टूटने के मामले में भी एमडीए के इंजीनियरों की मुसीबत बढ़ने वाली है। इस बात को इंजीनियर भी मानते है कि साइकिल ट्रैक की जांच ही होनी थी तो बनने के एक माह बाद होनी चाहिए थी। 2016 में ट्रैक बना था और जांच 2020 में की जा रही है। इसमें तो निश्चित रूप से दिक्कत होगी।
दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।