अब नगर निगम के घोटाले और अफसरों की बेईमानी पीएमओ आॅफिस तक पहुंचने लगी है। नगर निगम के अफसरों ने भ्रष्टाचार की सीमा ही लांघ दी है। भ्रष्टाचार के मामले तो सामने आ रहे हैं, लेकिन नौकरशाही इसमें कार्रवाई नहीं कर रही है। अब भ्रष्टाचार के मामले और घोटाले नगर निगम से निकलकर पीएम आॅफिस तक पहुंचने लगे हैं। खासी किरकिरी नगर निगम की हो रही है।
- पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी के शिकायती पत्र पर पीएमओ कार्यालय ने लिया संज्ञान
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: निगम के पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा भारत सरकार की ओडीएफ योजना के अंतर्गत महा घोटाले का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जिसमें पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने 42 माह में अनेकों पत्राचार विभिन्न अधिकारियों के साथ प्रदेश सरकार को जो भेजे उनका भी हवाला शिकायती पत्र में दिया।
जिसमें तत्कालीन नगरायुक्त समेत मामले के दोषियों पर कार्रवाई के लिए सीबीसीआई से जांच कराने की भी मांग की। इस मामले में पीएमओ कार्यालय ने संज्ञान लिया ओर अपर मुख्य सचिव नगर विकास समेत अन्य अधिकारियों से मामले में संज्ञान लेने व उस पर की गई कार्रवाई से अवगत कराने के लिए निर्देशित किया है। पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने शिकायती पत्र में तमाम गंभीर आरोप, निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर लगाए हैं।
नगर निगम के पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रेम सिंह लंबे समय से निगम में 23 सफाई कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति स्थाई कर्मचारी के रूप में कर दिए जाने के मामले में लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। जिसमें निगम के द्वारा 23 कर्मचारियों को बचाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। जिसमें मामला सीबीआई के पास जाने की बात कहने के कुछ समय बाद खुद ही अपर नगरायुक्त ममता मालवीय द्वारा सभी 23 कर्मचारियों को अपने स्तर से ही क्लीन चिट दे दी गई।
जिसके पत्रांक संख्या पर डा. प्रेम सिंह द्वारा तमाम सवाल उठाए गए। वहीं, दूसरी ओर निगम में ओडीएफ योजना में एक और बड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रेम सिंह द्वारा शिकायती पत्र मुख्यमंत्री के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में भी भेजा गया। जिसमें जिला व प्रदेश स्तर पर निगम के पूर्व नगरायुक्त मनोज चौहान के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई न होती देख व उसके खिलाफ कार्रवाई की जगह पदोन्नति होने पर तमाम सवाल खडेÞ किए। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही पीएमओ कार्यालय में इस संबध में शिकायती पत्र भेजा।
जिसमें बताया गया कि वह 42 महीने से लगातार पत्राचार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को करते चले आ रहे हैं। जिसमें कमिश्नर से लेकर प्रदेश सरकार को करीब 16 से अधिक बार पत्राचार कर चुके हैं, लेकिन तमाम साक्ष्यों के बाद भी कोई कार्रवाई दोषियों पर नहीं की जा रही है। जिसमें कमिश्नर की जांच में जो दोषी पाए गए, उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
बताया कि निकट भविष्य में तत्कालीन अधिकारी सेवानिवृत होने वाले हैं, यदि जांच के आधार पर कार्रवाई, पदोन्नति वापस नहीं होती तो शिकायत का औचित्य ही समाप्त हो जायेगा। जिसमें पूर्व में सचिव कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय दिल्ली मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन एवं नियुक्ति सचिव उत्तर प्रदेश को पूर्व में लिखा जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। जिसमें इस मामले में अब सीबीआई जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।