Friday, December 1, 2023
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लघु सिंचाई विभाग में चहेते ठेकेदारों की चांदी

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  • विभाग में भ्रष्टाचार का खेल, टेंडरों में चल रहा घालमेल, करीबी ठेकेदारों को ही मिलते हैं टेंडर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लघु सिंचाई विभाग के खेल भी निराले हैं। नमामि गंगे योजना से बड़े-बड़े काम लघु सिंचाई विभाग कर रहा है। लघु सिंचाई विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर अंगुली पहले प्रदेश के राज्यमंत्री दिनेश खटीक भी उठा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद लघु सिंचाई विभाग में भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा है। हालांकि राज्य मंत्री दिनेश खटीक लघु सिंचाई विभाग के भ्रष्टाचार पर मौन है, लेकिन हाल ही में तालाबों समेत कुछ निविदाएं मांगी गई है।

जिसमें निविदाओं को लेकर लघु सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर से लेकर बड़े अफसरों तक की सांठगांठ इसमें चल रही है। ऐसे आरोप शिकायतकर्ताओं ने लगाये हैं। उन्हीं ठेकेदारों को टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने दिया जाता है, जो अफसरों के चहेते हैं, उन्हीं पर अफसरों की खास मेहरबानी होती है। यही वजह है कि लघु सिंचाई विभाग में टेंडरों को लेकर जो शिकायत हुई है, वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार तक पहुंच गई है।

विशेष सचिव राजेश पांडे ने भी टेंडर प्रक्रिया में हो रहे भ्रष्टाचार का संज्ञान लिया है। उनके निर्देश पर तालाबों की खुदाई में हुए भ्रष्टाचार की जांच तो हुई, लेकिन उस पर लीपापोती कर दी। खुदाई के भ्रष्टाचार का चैप्टर तो जांच में लीपापोती कर बंद कर दिया, लेकिन अब फिर से लघु सिंचाई विभाग की साइट पर निविदाएं मांगी गई है। इसमें तालाबों की खुदाई समेत कई टेंडर डाले गए हैं। अब इसमें ठेकेदार बड़ी तादाद में हिस्सेदारी तो लेते हैं, लेकिन सब कुछ आॅनलाइन होने के बावजूद आला अफसर अपने चहेते ठेकेदारों को ही टेंडर दिला देते हैं।

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इसका खेल अब से नहीं लंबे समय से चला आ रहा है। भ्रष्टाचार की शिकायत पहले भी हुई थी, जिसके बाद अधीक्षण अभियंता को मेरठ से हटा दिया गया था। उनके स्थान पर आलोक सिन्हा को अधीक्षण अभियंता की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन टेंडरों में घालमेल फिर भी चल रहा है। अधीक्षण अभियंता आलोक सिन्हा की भूमिका पर भी अंगुली उठ रही है। इस पूरे प्रकरण को लेकर मेरठ से दिल्ली तक लखनऊ तक शिकायत पहुंच गई है।

अब देखना यह है कि शासन स्तर पर इन टेंडर प्रक्रिया में हो रहे घालमेल और तालाबों की खुदाई के मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी से करा कर वास्तविकता को सामने लाया जाएगा। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टोलरेंस नीति को लघु सिंचाई विभाग में पलीता लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि प्रत्येक विभाग में जीरो टोलरेंस पर काम होना चाहिए, लेकिन लघु सिंचाई विभाग एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में है।

पहले तो राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने लघु सिंचाई विभाग से होने वाले कार्यों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी चिठ्ठी लिखी थी, जिसमें लघु सिंचाई विभाग के तहत और नमामि गंगे योजना के तहत जो कार्य हो रहे थे, उनमें भ्रष्टाचार होने की बात कही थी, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इतना बड़ा भ्रष्टाचार का मुद्दा राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने अपनी ही सरकार के खिलाफ उठाया था, लेकिन फिर से उसे फाइलों में ही दबा दिया गया। आखिर इसको लेकर जवाबदेही किसकी है। इस भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई हो पाएगी या फिर इसी तरह से भ्रष्टाचार का खेल चलता रहेगा।

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