- कंपनी द्वारा डाले गए टेंडरों की क्वेरी के लिए 24 घंटे का दिया समय
- आज टेंडर खुलने के संबंध में दी गई जानकारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मंगतपुरम में जो कूड़े के पहाड़ बने हैं, उनके निस्तारण के लिए निगम द्वारा लिगेसी वेस्ट निस्तारण प्लांट टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई। इसी प्रक्रिया के अंतर्गत निगम कार्यालय में महापौर के साथ बैठक भी आयोजित हुई। जिसके बाद चार कंपनी द्वारा निगम से संपर्क किया गया। जिसके बाद चार कंपनियों द्वारा क्वेरी रखी गई।
जिसके बाद निगम को टेंडर खोले जाने से कम से कम पांच या सात दिन पूर्व साइट पर यह सब जानकारी डाल देनी चाहिए थी, लेकिन जो टेंडर 2 अगस्त को दोपहर 2 बजे खोला जायेगा। उसके लिए निगम द्वारा मंगलवार को दोपहर 3 बजे जानकारी निगम की साइट पर अपलोड की गई। जिसमें देखा जाए तो 24 घंटे का समय भी टेंडर खोले जाने से पूर्व नहीं दिया गया।
नगर निगम क्षेत्र के मंगतपुरम में कूडेÞ के पहाड़ को लेकर स्थानीय लोगों ने महापौर हरिकांत अहलूवालिया से शिकायत की थी। बरसात के समय वहां कूड़े के पहाड़ के कारण स्थिति बेहद खराब हो जाती है। वर्तमान में लाखों टन कूड़ा वहां पर पड़ा हुआ है। निगम ने फिर से इस मामले में टेंडर प्रक्रिया शुरू की। जिसमें जो कूड़ा टेंडर में बताया और चार वर्ष पूर्व जो बताया था उसमें काफी अंतर भी आ रहा है।
जिसमें पांच लाख कुंतल से अधिक कूड़ा इस बार कम दर्शाया गया है। जिसको लेकर यह मामला निगम में चर्चाओं में रहा। टेंडर को लेकर चार कंपनियों के प्रतिनिधियों ने निगम के अधिकारियों से संपर्क कर मीटिंग की। जिसमें नगरायुक्त के आदेश गत 16 जून 2023 मंगतपुरम स्थित लिगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए जो टेंडर प्रक्रिया शुरू करते हुए टेंडर निगम की साइट पर 12 जुलाई 2023 को अपलोड किया गया।
जिसको लेकर 19 से 25 जुलाई के बीच रखी गई थी। जिसके बाद ग्रिनिज एनर्जी एंड सोल्युशन प्राइवेट लिमिटेड। इकोस्टोन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, बीवी इंडिया लिमिटेड एवं आॅर्गेनिक रीसाइकिलिंग सिस्टम लिमिटेड से टेंडर पर क्वेरी मांगी। जिसका जवाब निगम द्वारा 1 अग्रस्त 2023 को दोपहर 3 बजे के बाद निगम की साइट पर अपलोड किया गया। जबकि आज दोपहर दो बजे टेंडर खोला जायेगा। जिसमें कंपनी के प्रतिनिधियों के द्वारा 24 घंटे से भी कम समय क्वेरी के बाद टेंडर खोले जाने का समय दिया गया है, जोकि अपर्याप्त है।
नियमानुसार पांच से सात दिन का समय मिलना चाहिए था। जिसको लेकर चर्चा है कि किसी एक कंपनी से मिलीभगत के बाद ही इतना कम समय दिया गया है। ताकि दूसरी कंपनी वाले टेंडर की प्रक्रिया को पूरा न कर सके, लेकिन जिसको टेंडर दिया जाना है, उसकी अंदर ही अंदर सभी प्रक्रियाएं पूरी करा दिए जाने की भी चर्चा है। फिलहाल इस टेंडर में अभी से भ्रष्टाचार की बू आ रही है।