- नगर निगम, आवास विकास समेत कई विभागों में यही हाल
- आवास विकास और नगर निगम के निर्माण विभाग में खाली पड़ी रहीं कुर्सियां
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश हैं कि सभी विभागों में अधिकारी समय पर पहुंचे और जनता के कार्य निपटाए, लेकिन शहर की बात करें तो यहां कई विभागों में सीएम के आदेशों का पालन होता नजर नहीं आ रहा है। उधर, नगर निगम, आवास विकास समेत कई ऐसे विभाग हैं। जहां अधिकारी से लेकर अन्य कर्मचारी भी समय पर नहीं पहुंचते और आधे से ज्यादा समय तक उनकी कुर्सियां खाली पड़ी रहती हैं। जिस कारण लोग विभागों के चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन उनके कार्य नहीं हो पाते हैं।
नगर निगम का सूरत-ए-हाल
नगर निगम की करें तो यहां शहर में करीब 90 वार्ड नगर निगम में आते हैं। शहर की 20 लाख की आबादी नगर निगम के ताल्लुक रखती है। हमेशा कोई न कोई व्यक्ति यहां कार्य कराने के लिये आता रहता है, लेकिन पिछले एक माह की बात करें तो यहां जब से नगरायुक्त का ट्रांसर्फर हुआ है। तब से यहां इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार ही नगरायुक्त का पदभार संभाले हैं।
हालांकि वह इस जिम्मेदारी को संभाले हुए है, लेकिन अब भी कई ऐसे कार्य हैं। जिनकी फाइलों पर नगरायुक्त के ही हस्ताक्षर होंगे, जिसके बाद वह फाइल आगे बढ़ेगी। यह तो रहा नगरायुक्त के पद का सवाल, लेकिन यहां अन्य विभागों की बात करें तो यहां कई विभागों में अधिकारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंचते। जिस कारण लोग परेशान रहते हैं। निर्माण विभाग की बात करें तो सोमवार को सप्ताह के पहले ही दिन यहां सहायक अभियंता राजीवर सिंह, विकास समेत कई अधिकारी अपने कमरे में ही नहीं थे।
इसके अलाव चीफ इंजीयिर का कमरा भी खाली पड़ा था। यहां नगर स्वास्थ्य अधिकारी के कमले में भी उनकी कुर्सी खाली थी। मुख्यमंत्री के साफ निर्देश हैं कि अधिकारी समय पर कार्यालय पहुंचे, लेकिन यहां नगर निगम के हाल देखकर ऐसा नहीं लगता कि इन आदेशों का पालन हो रहा है। उधर, पार्षद कक्ष में बैठे पार्षद अब्दुल गफ्फार ने कहा कि यहां जब से नगरायुक्त का पद खाली पड़ा है। तब से कार्य होने ही मानों बंद हो गये हैं। अभी तक अगली बोर्ड बैठक की तिथि का किसी को पता नहीं है कि कब होगी।
आवास विकास का सूरत-ए-हाल
आवास विकास कार्यालय की बात करें तो यहां हालात बद से बदतर हो चुके हैं। आवास विकास कार्यालय के निर्माण विभाग की बात करें तो यहां अधिकारी परेशान हैं, क्योंकि उनके पास समय ही नहीं है। एक एक अधिशासी अभियंता के पास कई कई जिले हैं। एक्सईएन एमबी कौशिक की ही बात करें तो इस साल उनका रिटार्यमेंट हैं और उनसे पहले यहां से कई अधिकारियों का रिटायमेंट हो चुका है, लेकिन अभी तक खाली पद तक नहीं भरे गये हैं। यहां एक-एक अधिकारी कई-कई जिले देख रहे हैं।
खुद एमबी कौशिक के पास बुलंदशहर, सहारनपुर और मेरठ की जिम्मेदारी है। जिस कारण वह एक दिन मेरठ तो एक दिन दूसरे शहर में होते हैं। उनके साथ ही यही हाल संपत्ति विभाग का भी है। संपत्ति अधिकारी पर बुलंदशहर, गाजियाबाद और मेरठ की जिम्मेदारी है। जिस कारण वह भी कई जिलों को संभाले हैं। इसके कारण यहां अन्य कर्मचारी भी कुर्सियों से गायब रहते हैं। निर्माण विभाग में ही कई कर्मचारी सोमवार को भी कुर्सी से गायब थे। ऐसे में अगर कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंचेंगे तो जनता से कार्यों का क्या होगा?