Thursday, June 12, 2025
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आनलाइन दोस्ती: समझदारी, साझेदारी और जिम्मेदारी

Ravivani 29


36 21बंबल 2023 में कैसी और कितनी प्रभावकार होगी? इसे लेकर उसने 10,000 लोगों से अधिक डेटर्स का एक सर्वेक्षण किया है। उसने जानने की कोशिश की है कि अगले साल डेटिंग लाइफ में लोग क्या देखने की उम्मीद रखते हैं? उनकी पसंद—नापसंद क्या है? उन्हें कैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है? रोमांस, भावनात्मकता, यौनिकता, कामुकता से लेकर संतुलित और संयमित रिश्तों की स्थिति कैसी बन सकती है? डिजिटल टेक्नोलाजी और आनलाइन लाइफ के दौर में डेटिंग एप के जरिए दोस्त तलाशना आसान हो गया है, लेकिन उस फ्रेंडशिप को सुरक्षित बनाए रखना, भारत की सामाजिकता के अनुरूप ढालना और निजता के जांच—परख की जिम्मेदारी का निर्वाह करना उतना ही मुश्किल है। लिवइन पार्टनर श्रद्धा की बेरहमी से कत्ल करने वाला आरोपी आफताब उसी डेटिंग एप ‘बंबल’ पर दूसरी लड़की के साथ डेटिंग कर रहा था, जिस पर श्रद्धा चार साल पहले 2019 में मिली थी।

इसके ठीक एक साल पहले 2018 में ही इसकी भारत में आठ महानगरों के लिए लांचिंग हुई थी। इस मौके पर इसे बनाने वाली टिंडर डेटिंग एप की को-फाउंडर विटनी वूल्फ हेर्ड के साथ बतौर इंवेस्टर प्रियंका चोपड़ा भी मौजूद थीं। इसे महिला प्रधान कहकर डेटिंग के लिए बातचीत की शुरुआत का पहला अधिकार महिला यूजर्स को बताया, जबकि विटनी ने भारत में स्वछंद उड़ान की महत्वाकांक्षा पूर्ति के लिए परिवार समाज से टकराने का साहस रखने वाली नए मिजाज की प्रोफेशनल लड़कियों के मनोविज्ञान को टारगेट किया था।

आज बंबल आईओएस और एंड्रॉयड स्मार्टफोन के जरिए लोगों की हथेली पर मौजूद है। इसकी लोकप्रियता का आलम यह है कि आईटी क्षेत्र समेत दूसरे प्रोफेशन से जुड़ी नए जमाने की उन लड़कियों के लिए प्रोफेशन का यह एक अहम हिस्सा बन चुका है, जिनके पास डेटिंग स्पॉट पर जाने का वक्त नहीं है और अपनी भावनात्मक परिपक्वता की तलाश में हैं। यानी काम निबटाने, सोशल साइटों के व्यूज—व्यअर्स व फलोअर्स पर नजर रखने के क्रम में डेटिंग एप प्रोफेशन की जरूरतों के मुताबिक मैसेजिंग और वर्चुअल मीटिंग के साथ कड़ी बन कर अपनी एक खास जगह बना चुका है।

इससे मिलने वाली सुविधाएं नई पीढ़ी को आकर्षित करती हैं, कारण इसमें उन्हें प्रोफेशन के बदलावों समेत सूचना—संपर्क, संबंध और जीवन में सहजता का आनुभव करवाती है। कोविड—19 के दौर में एकाकीपन और नीरसता को दूर करने में भी इसकी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। कंपनियों ने दूरस्थ कार्य की अनुमति दी, जिससे कहीं से भी काम करने की स्वतंत्रता ने एकल लोगों द्वारा लंबी दूरी या अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अधिक गंभीरता से विचार किया जाने लगा। उनके लिए वर्चुअल डेटिंग एक वाहक के रूप में आया है। किंतु इसी के साथ कई तकनीकी तथ्य जैसे—जीपीएस लोकेशन, ब्लूटूथ, एक्सेस, डिजिटल फोटोग्राफ, लागइन आईडी—पासवार्ड, प्रोफाइल आदि भी जुड़ हुए हैं। ये तलवार की धारें जैसी ही हैं। इनपर से नजर हटने का मतलब असुरक्षा के दायरे में आ जाना है।

इसक असर रसायन शास्त्र की प्रयोगशाला में किया जाने वाला प्रयोग टाइट्रेशन की तरह हो सकता है। इनसे पहला हमला निजता पर होता है। उस के बाद संबंध समेत सामाजिक और आर्थिक नुकसान के सेंधमारी की भी आशंका बनी रहती है। यानी सावधानी हटी नहीं कि डेटिंग के क्रम में की गई बातों की साझेदार के संदर्भ में हुई चूक मुश्किल में डाल सकता है।
प्रेमी जोड़े अगर भावनात्मक शोषण के शिकार हो सकते हैं, तो विवाहितों के वर्चुअल डेटिंग की आड़ में अनैतिक संबंध से पारिवारिक और सामाजिक मर्यादा में खलल पड़ सकती है।

दिसंबर 2014 में शुरू की गई बंबल के इस समय 12.3 मिलियन वैश्विक मासिक सक्रिय यूजर्स हैं, जिनमें से 5.5 मिलियन संयुक्त राज्य अमेरिका के हैं, और भारत में इनकी संख्या 4 मिलियन से भी अधिक पहुंच गई है। इसके 1,352,800 सशुल्क ग्राहक भी हैं। फोर्ब्स के अनुसार 72 फीसदी यूजर्स 35 वर्ष से कम उम्र के और बाकी मिलेजुले यूजर्स में 65 वर्ष तक के बुजर्ग भी हैं। इनमें 64.4 फीसदी पुरुष 32.6 फीसदी महिलाएं हैं।

कहने को तो इस पर महिलाओं की सुरक्षा, भेदभाव और शोषण से बचाने जैसे फीचर हैं। जिसके अनुसार इस पर अगर कोई महिला या पुरुष डेटिंग के लिए राइट स्वाइप करने पर बातचीत का पहला अधिकार केवल महिलाओं को दिया गया है। बंबल के अनुसार इस फीचर से महिला अनगिनत पुरुषों के मैसेज से बच जाती हैं और वह अपनी जरूरत के अनुसार दोस्त का चयन कर पाती हैं। उनके लिए किया गया अप्रोच मैच 24 घंटे के लिए वैलिड रहता है।

हालांकि पुरुष चाहे तो बंबल बूस्ट का शुल्क चुकाकर इस समय को अगले 24 घंटे तक समय बढ़ाकर रीमैच की सुविधा ले सकता है। बंबल बूस्ट यूजर्स को प्रत्येक सप्ताह पांच सुपरस्वाइप भी मिलते हैं। इसका एक और लाभ स्पॉटलाइट से जुड़ा है, जो प्रोफाइल एस्पोजर को 30 मिनट के लिए बढ़ा देता है। इससे सदस्यता की किसी भी स्तर पर हासिल की जा सकती है। यानी कि इसपर महिलाओं की सुरक्षा, भेदभाव और शोषण से बचाने की बातें की गर्इं हैं। साथ ही वेरिफिकेशन फीचर यूजर्स फोटो का चेकमार्क कर असली नकली की पहचान कर लेता है, लेकिन इसके एक्सट्रा एक्सक्लूसिव फीचर का लाभ फीस जमा कर उठाया जा सकता है। जैसे बैकट्रैक को 2020 के बाद पेड बना दिया गया है। इसकी कोई समय सीमा नहीं है।

बंबल 2023 में कैसी और कितनी प्रभावकार होगी? इसे लेकर उसने 10,000 लोगों से अधिक डेटर्स का एक सर्वेक्षण किया है। उसने जानने की कोशिश की है कि अगले साल डेटिंग लाइफ में लोग क्या देखने की उम्मीद रखते हैं? उनकी पसंद—नापसंद क्या है? उन्हें कैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है? रोमांस, भावनात्मकता, यौनिकता, कामुकता से लेकर संतुलित और संयमित रिश्तों की स्थिति कैसी बन सकती है?

इसके बावजूद भारतीय समाज में श्रद्धा मर्डर के बाद इसे लेकर चिंता इस बात की गहरा गई है कि डेट करने वाले सेक्स के बारे में और ज्यादा खुलकर बातें करेंगे। बंबल के सर्वेक्षण में ही यह पाया गया कि 40 फीसदी से अधिक डेटर्स सेक्स और अंतरंगता को एक खुले और खोजपूर्ण तरीके से स्वीकार कर रहे हैं। साथ ही 53 फीसदी डेटर्स का मानना है कि यौन इच्छाओं और संबंधों की शुरुआती जरूरतों पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है। इनमें 20 फीसदी लोगों का कहना है कि उन्होंने पिछले साल अपनी कामुकता को और अधिक एक्सप्लोर किया है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि बंबल से डेटिंग के सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद इसके व्यवसायक पहलू और जबरन हासिल की जाने वाली आजादी के साथ ही जुड़ी हुई है। इससे निकलने वाला ‘चीयर्स!’ समाज को किस राह पर ले जाकर इंसान को अकेला छोड़ दे कहा नहीं जा सकता है।


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