Wednesday, August 6, 2025
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चीत्कारें ही तोड़ रही थीं मृतकों के गावों का सन्नाटा

  • महिलाओं का विलाप सुनकर हर किसी का कलेजा गया बैठ
  • पटाखा फैक्ट्री में धमाके ने छीन लीं पांच घरों की खुशियां 

मुख्य संवाददाता  |

सहारनपुर:  सरसावा थाना क्षेत्र का बलवंतपुर और सलेमपुर गांव सहम गया है। कल सात मई की शाम बलवंतपुर की जिस पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ, उसने हिला कर रख दिया। जिन लोगों ने धमाके की आवाज सुनी है, उनका कलेजा बैठ गया है। 2 साल पहले भी यहां धमाका हुआ था।

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उस समय 3 कर्मचारियों की मौत हुई थी। इस बार पांच की जान गई है। पूरा इलाका सदमे में है। लेकिन, अग्निश्मन विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। हाल ये है कि मृतकों के गांव में मरघटी सन्नाटा पसरा है।

दरअसल, अग्निशमन विभाग आंख बंद कर सो रहा है। जनपद भर में पटाखा फैक्ट्रियां मानकों के विपरीत चल रही हैं। कल जो धमाका हुआ, उसमें भी अग्निशमन विभाग की लापरवाही सामने आ रही है। विभाग केवल नोटिस भेजकर चुप हो जाता है। किसी पर भी नकेल नहीं कसी जाती।

फैक्ट्री का हाल ये था कि यहां काम करने वाले मजदूर आर्थिक तंगी के कारण ओवरटाइम ड्यूटी करते थे। कल धमाके में बलवंतपुर गांव से दो और सलेमपुर से तीन युवकों की मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया।

गांव का सन्नाटा चीत्कारें ही तोड़ रही थीं। महिलाओं का विलाप सुनकर हर किसी का कलेजा दहल उठा था। पटाखा फैक्ट्री में काम करने वाला वर्धन जान गंवा चुका। उसके पिता अर्जुन सिंह ने बताया कि घर की माली हालत ठीक नहीं है।

फीस भरने के लिए पैसे चाहिए थे। वर्धन इसी महीने अपनी फीस का जुगाड़ करने के लिए पटाखा फैक्ट्री में मजदूरी करने गया था। बुआ मेमता और सुलेलता रोती बिलखती बोल रही थीं कि मैंने मना किया था कि पटाखा फैक्ट्री में काम पर ना जा। वहां मौत होती है। गरीबी में गुजारा कर लेंगे।

घर भी बेचने की बात कर रही थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। वर्धन का एक बड़ा भाई भी है। हादसे में मृत सागर और कार्तिक दोनों चचेरे भाई थे। सागर के शरीर का आधा हिस्सा ही मिला, जिसका परिजनों ने अंतिम संस्कार किया है।

वहीं, कार्तिक के शव के कुछ टुकड़े ही मिल पाए। सागर की मां बबिता और कार्तिक की मां सुशीला देवी बेटों की मौत की खबर सुनकर चीख पड़ीं और अपनी सुध खो बैठीं। दोनों बेहोश होकर जमीन पर गिर गईं। बहनें बेसुध हैं।

बता दें कि फैक्ट्री के मालिक राहुल की भी धमाके में मौत हो गई है। उसके पिता किरण सिंह की मौत के बाद राहुल ने पटाखा फैक्ट्री का काम संभाला था। राहुल का एक भाई गौरी शंकर पुलिस में है, जो मेरठ में तैनात है। राहुल की पत्नी अमृता और उसके एक बेटा अभिजीत (5) और बेटी प्राव्या (3) है।

ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर फैक्ट्री में राहुल के पास शाम को उसकी पत्नी अमृता और उसके दोनों बच्चे जाया करते थे, लेकिन शनिवार को वह नहीं गए, नहीं तो पूरा परिवार ही उजड़ जाता। फैक्ट्री मालिक राहुल के आधे शरीर का अंतिम संस्कार हुआ। पूरा गांव सहमा हुआ है। हर ओर चीखें सुनाई दे रही हैं। जो भी पहुंच रहा, उसका कलेजा बैठ जा रहा था।

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