Thursday, June 26, 2025
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20 सीटों में से प्री-पीएचडी कोर्स में 13 विद्यार्थी अध्ययनरत

  • ज्योतिष विज्ञान और कर्मकांड की कुंडली खंगाल कर घटनाओं से सचेत करेंगे शोध संस्कृत विद्यार्थी
  • इस साल से संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों को मिलेगा पीएचडी करने का मौका
  • संस्कृत विभाग में तीन प्रोफेसरों की नियुक्तियों के लिए आगामी जनवरी में होगी लिखित परीक्षा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में काफी लंबे समय से स्थाई शिक्षकों का टोटा चला आ रहा है। जिसके चलते अस्थाई शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे है। जिसके कारण उक्त विभाग में बीते कई साल बीत जाने के बाद भी आज तक विवि में पीएचडी कोर्स को शुरू नहीं किया जा सका है। जबकि विवि में संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों के लिए 20 सीटें आवंटित हैं। जिसमें से केवल 13 विद्यार्थी प्री-पीएचडी कोर्स वर्क में अध्ययनरत हैं। जबकि, नई शिक्षा नीति के तहत संस्कृत को शामिल किया गया है।

संस्कृत विभाग के समन्वयक प्रो. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि संस्कृत विभाग में स्थाई शिक्षकों की कमी चली आ रही है। फिलहाल, बीते कई सालों में विभाग के विद्यार्थी नियुक्त हुए हैं। जो अपनी बड़ी संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विभाग में अध्ययनरत विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है। फिलहाल, केेंद्र एवं राज्य सरकारों की मंशा है कि संस्कृत को मुख्य धारा में लाया जा सके। इसको लेकर विवि में बीते साल जोतिष विज्ञान से परास्नातक के पाठयक्रम संचालित है।

कर्मकांड का डिप्लोमा संचालित हैं। साथ ही हिंदू स्टेडिज हाल ही में संचालित होने वाला है। इसके अलावा कई बड़े बदलाव आगामी दिनों में होने वाले हैं। जिसको लेकर सभी सरकारे प्रयास कर रही हैं। वाचस्पति मिश्र ने बताया कि वे बीते पांच साल से उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। लेकिन अब वे उक्त पद पर अपने सेवाएं नहीं दे रहे हैं। कहा कि प्रदेश की योगी सरकार ने आयोग, निगम समेत अन्य पदों को बर्खास्त कर रखा हैं।

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शासन स्तर से प्रतिएक विभाग में दर्जा प्राप्त सदस्यों की नियुक्ति की जाती थी। लेकिन, सरकार के सत्त्ता में आने के बाद सभी पदों को खत्म कर दिया गया है। जबकि सरकार द्वारा उर्दू, पंजाबी, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत समेत अन्य पद होते हैं। जिन पर एक प्रदेश स्तर पर अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती हैं। लेकिन,अब उक्त प्रथा समाप्त कर दी गई है।

निगम आयोग व स्थानों की पदों पर रोक

प्रदेश सरकार ने निगम, आयोग एवं संस्थानों पर विभिन्न भाषाओं में एक पद रहता है। माना जा रहा है कि सरकार ने आगामी चुनाव के मद्देनजर सभी पदों पर नियुक्ति नहीं की जा रही है। माना यह भी जा रहा है कि विवि के संस्कृत विभाग में अस्थाई नियुक्ति न होने से इसका सीधा असर संस्कृत के विद्यार्थियों पर पड़ता नजर आ रहा है। ओर तो ओर संस्थानों के अध्यक्ष व उपाध्यक्षों की नियुक्ति न होने का भी कारण माना जा रहा है।

केंद्र, राज्य सरकारों की मंशा संस्कृत को मुख्य धारा में लाया जाए

मिश्र ने बताया कि केंद्र व राज्य सरकारों की मंशा है कि सस्कृत को मुख्य धारा में लाया जाए। हालांकि, राज्य सरकार ने नई शिक्षा नीति में संस्कृत को मुख्य धारा में लाने का वादा किया है। उक्त सभी सरकार संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए आर्थक प्रयास कर रहीं है। जिसके चलते जगह कर्मकांड, ज्योतिष विज्ञान समेत संस्कृत के विभागों को खोला जा रहा है।

सरकरों की मंशा संस्कृत विभाग में बढ़े रोजगार के अवसर

उन्होंने बताया कि सरकार की मंशा है कि संस्कृत के बढ़ावे से विद्यार्थियों को कर्मकांड से लेकर ज्योतिष विज्ञान से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही संस्कृत भाषा को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, इसको लेकर पूर्व में विवि के कराए गए कार्यक्रम के दौरान अध्ययनरत विद्यार्थियों ने ज्योतिष विज्ञान से सत्यता परखे के लिए डाटा एकत्रित किया गया है। जिसके माध्यय अध्ययनरत विद्यार्थी मानजाति की कुंडली खंगालकर होने वाली घटनों पर शोध करेंगे। ताकि, आगामी दिनों में घटने वाली घटनाओं से लोगों का अवगत कराया जा सके।

विवि में संस्कृत से ज्यादा ज्योतिष विज्ञान में विद्यार्थियों का बढ़ा रझान

वाचस्पति मिश्र ने बताया कि बीते कई सालों से विवि में संस्कृत के विद्यार्थियों का रझान कम हुआ है। लेकिन, उक्त विभाग में ज्योतिष विज्ञान व कर्मकांड में विद्यार्थियों का रूझान बढ़ता नजर आ रहा है। जिसके चलते जल्द विवि में इस पर पीएचडी का कोर्स भी संचालित किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों को मानजाति में घटने वाली घटनों के प्रभाव व बचाव का पता लगाया जाना संभावित हैं। हालांकि, इस पर अभी काम चल रहा है। जल्द उक्त तैयारियां पूर्ण होने पर विद्यार्थियों को इसका लाभ भी मिलेंगा।

विवि में संस्कृत विषय में विद्यार्थियों का किनारा

उन्होंने बताया कि उक्त सत्र में संस्कृत विषय में विद्यार्थियों ने आवेदन नहीं किए हैं, लेकिन इस बार ज्योतिष विज्ञान व कर्मकांड में विद्यार्थियों ने रूची दिखाई है। जिसके परीणाम आगामी दिनों में दिखने को मिल सकते है। इसके चलते दिन भर में घटने वाली घटनाओं को पता चलाया जा सकता है।

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