Tuesday, September 17, 2024
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भाजपा की जिला कमेटी न बनाने पर जिलाध्यक्ष लखनऊ तलब

  • पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने इसको लेकर जताई नाराजगी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: पश्चिमी यूपी में तैनात किये गए नये भाजपा जिलाध्यक्ष अपनी कमेटी नहीं बना पाये। इसको तीन माह का समय बीत गया, लेकिन कमेटी गठन के हिस्से में सिर्फ और सिर्फ इंतजार ही चला आ रहा हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने इसको लेकर नाराजगी व्यक्त की और इसके बाद तमाम जिलाध्यक्षों को लखनऊ तलब कर लिया।

भाजपा के तमाम जिलाध्यक्ष लखनऊ पहुंच गए हैं। बुधवार को इसको लेकर लखनऊ में मीटिंग होने वाली थी, लेकिन मीटिंग कोहरे के चलते टाल दी गई। अब जिलाध्यक्षों की ये मीटिंग भूपेन्द्र चौधरी आज लेंगे। इसमें कमेटियों के गठन को लेकर ही मुख्य बिन्दू रहेगा। इस मीटिंग में भाजपा जिलाध्यक्षों को पेंच कसे जाएंगे। इसके बाद ही भाजपा की जिला कमेटियां आकार ले लेगी।

दरअसल, भाजपा जिलाध्यक्षों ने कमेटी गठित कर लखनऊ दो बार भेजी, लेकिन इससे पार्टी के बड़े नेता संतुष्ट नहीं हुए, जिसके चलते कमेटियों को फाइनल मुहर नहीं लगाई गयी। इसी वजह से ये कमेटी लटकी हुई हैं। लोकसभा चुनाव 2024 सिर पर हैं। इसको देखते हुए ही भाजपा जिलाध्यक्षों की तैनाती प्रत्येक जनपद में कर दी गई थी, लेकिन कमेटियों को गठन करने में इतना समय क्यों लग रहा हैं? ये भी महत्वपूर्ण बात हैं।

संगठन के बल पर भी भाजपा बूथ स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करती हैं। इसी वजह से भाजपा को जीत मिल रही हैं। इसको भाजपा के शीर्ष नेता भी समझते हैं। यही वजह है कि अब कमेटियों के गठन नहीं होने से भाजपा के वरिष्ठ नेता नाराज हैं। नाराजगी के बाद ही भाजपा के तमाम जिलाध्यक्षों को लखनऊ तलब किया गया हैं। इसके बाद ही जिला कमेटियों को लेकर ही चर्चा की जाएगी।

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इसमें अब जल्द ही ये कमेटी गठित होगी, जिसके बाद प्रत्येक जनपद में भाजपा की कमेटियां अस्तित्व में आ जाएगी। हालांकि अब जिला कमेटियों को आकार लेने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। बताया तो ये भी जा रहा हैं कि चार से पांच बार जिला कमेटियां बनाकर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को भेजी गई, लेकिन उन्हें स्वीकृति नहीं मिली।

इसकी वजह ये बतायी जा रही है कि जिला कमेटी में पुराने पदाधिकारियों को 15 से 20 फीसदी जगह भाजपा की जिला कमेटी में देनी होगी। यदि किसी ने पुराने पदाधिकारियों को कमेटी में जगह नहीं दी, जिसके चलते ही कमेटियों के गठन को स्वीकृति नहीं मिली। इसी वजह से कमेटियां लटकी पड़ी हैं।

जिलाध्यक्ष को नहीं है कमेटी गठित करने का अधिकार

दरअसल, भाजपा जिलाध्यक्ष को अपनी स्वेच्छा से जिला कमेटी गठित करने का अधिकार ही नहीं हैं। इसमें भाजपा के पुराने पदाधिकारियों को 15 से 20 फीसदी जगह देनी होगी। बाकी नये लोगों को कमेटी में रखा जा सकता हैं। इसमें जिलाध्यक्ष को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के सामने भी ये मुद्दा उठ सकता हैं कि जिलाध्यक्षों को स्वेच्छा से कमेटी गठित करने का अधिकार मिलना चाहिए।

पांच बार भेजी गई कमेटियां

जिलाध्यक्षों ने जिला कमेटी बनाकर लखनऊ मुख्यालय पर पांच बार भेजी गई। इसको एक बार भी पार्टी के नेताओं ने स्वीकृति नहीं दी। इसमें कमी ये थी कि पुराने भाजपा पदाधिकारियों को जगह ही नहीं दी गई थी। कुछ नये चेहरे इसमें शामिल कर दिये गए थे, जिसके चलते कमेटियों पर स्वीकृति की मुहर नहीं लग सकी। अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने तलब किया है तो जल्द ही कमेटियां आकार लेती हुई नजर आएगी।

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