- स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहर भर में की जानी थी पेंटिंग
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: स्वच्छ भारत अभियान के तहत महानगर में होने वाली पेंटिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पूरे शहर में पेंटिंग कराई जानी थी, जिसके लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत खूब बजट भी मिल रहा हैं, लेकिन शहर में कहीं भी पेंटिंग नहीं दिखती। शहर में वीआईपी इलाके में छोड़ दे तो कहीं भी पेंटिंग नहीं की गई। बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारियों ने ठेकेदार को 50 लाख का भुगतान कर दिया? इस भुगतान को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
क्योंकि पहले पेंटिंग की चेकिंग की जानी चाहिए थी या फिर जीओ टेकिंग होती, इसके बाद भी 50 लाख का भुगतान किया जाना चाहिए था। इसी भुगतान को लेकर कुछ लोगों ने सवाल उठाते हुए जांच की मांग भी की हैं। भाजपा पार्षद राजेश खन्ना ने भी कमिश्नर को शिकायती पत्र दिया हैं, जिसमें इस प्रकरण की जांच कराने की मांग की हैं। पेंटिंग/चित्रकारी के भुगतान को लेकर तो सवाल उठ ही रहे हैं।
इससे पहले मेयर सुनीता वर्मा ने भी स्वच्छ भारत अभियान के तहत करीब 15 लोगों की नियुक्ती को लेकर भी शिकायत हुई थी। इसमें नियुक्ति नगर निगम बोर्ड की अनुमति के बाद ही की जानी चाहिए थी, लेकिन बिना बोर्ड की अनुमति के कर्मचारियों की तैनाती की दी गई थी। वेतन भी 50 हजार रुपये प्रतिमाह प्लस किया गया। इसको लेकर मेयर ने कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह को भी लिखा था तथा शासन को भी।
इन नियुक्तियों को गलत ठहराया गया था। क्योंकि नियुक्ति करने से पहले नियमानुसार निगम बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव रखा जाना अनिवार्य होता हैं, लेकिन यह प्रस्ताव बोर्ड में रखा ही नहीं गया, फिर तैनाती कैसे कर दी गई? इसको लेकर शासन स्तर से भी कोई कार्रवाई अधिकारियों के खिलाफ नहीं की गई। पन्द्रह नियुक्ती का मामला तो अभी शांत हुआ नहीं था कि पेंटिंग/चित्रकारी शहर की दीवारों पर करने के बदले में 50 लाख के भुगतान का मामला उठ गया हैं।
पार्षद राजेश ने शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि भुगतान गलत किया गया है, इसकी जांच कराई जानी चाहिए। शहर में पेंटिंग इतनी नहीं कराई गयी कि 50 लाख का भुगतान कर दिया जाए। इसकी शिकायत शासन स्तर पर भी की गई हैं। नगर विकास मंत्री से भी इसकी जांच की मांग की गई। धरातल पर इसकी जांच होती है तो निश्चित रूप से नगर निगम के कई अधिकारियों की गर्दन फस सकती हैं।