पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा जैसे राज्यों में वैज्ञानिकों ने धान-गेहूं को नुकसान पहुंचाने कीट पिंक बोरर का प्रकोप गन्ने की फसल में देखा है। गन्ने की फसल में लगने वाले ज्यादातर कीट सर्दियों में सक्रिय नहीं रहते हैं, लेकिन पिंक बोरर सर्दियों में भी नुकसान पहुंचाते हैं। देश के कई राज्यों के एक बड़े क्षेत्रफल में गन्ने की खेती होती है, रोगों और कीटों से अपनी फसल को बचाने के लिए किसान कई तरह के नियंत्रण भी अपनाते रहते हैं। लेकिन कई राज्यों में गन्ने की फसल में नए कीट का प्रकोप बढ़ रहा है।
उत्तर भारत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में गन्ने की फसल पिंक बोरर कीट, जिसे गुलाबी छिद्रक कीट कहते हैं का संक्रमण देखा गया है। आमतौर पर यह कीट धान और गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट है, अभी तक इसका प्रकोप गन्ने की फसल पर नहीं देखा गया था, लेकिन अब कई जगह पर इसे गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाते देखा गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल के वैज्ञानिकों ने इस कीट की जांच की है। अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष व प्रधान वैज्ञानिक (कीट विज्ञान) डॉ. एसके पांडे ने कई राज्यों में सर्वे में गन्ने की फसल में इसका संक्रमण देखा है। इसे सबसे पहले हमने हरियाणा में देखा था। यह तेजी से फैल रहा है, इसे यूपी और पंजाब की गन्ना की फसल में भी देखा गया।
गन्ने को कई तरह के छिद्रक कीट नुकसान पहुंचाते हैं, ये भी एक नया कीट जुड़ गया है। इसकी सुंडी बेलनाकार की गुलाबी रंग की होती है, इसलिए इससे पिंक बोरर कहते हैं। ये दूसरे छिद्रक कीटों के तुलना में सबसे बड़ा और मोटा होता है। बहुत से कीट ऐसे होते हैं जो एक दूसरे फसलों में लगते हैं, लेकिन पिंक बोरर का प्रकोप शायद ही कहीं देखा गया था, लेकिन अब यह भी बढ़ रहा है। ये कीट गन्ने की शुरुआती अवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं, गन्ने बुवाई बाद जब उसमें कल्ले निकलते हैं तो ये ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं, इसके छेद करने का तरीका भी अलग होता है। और गन्ने में कल्ले निकलते समय उसमें प्ररोह में छेद करके अंदर जाती है और नीचे की ओर खाना शुरू कर देती है। जो जमीन के नीचे का हिस्सा है वहां तक ये चली जाती हैं और इसके नुकसान करने से पौधे सूखने लगते हैं, उससे थोड़ी-थोड़ी भूसी जैसी बगास निकलती है।
इसकी सुंडी बेलनाकार की गुलाबी रंग की होती है, इसलिए इससे पिंक बोरर कहते हैं। ये दूसरे छिद्रक कीटों के तुलना में सबसे बड़ा और मोटा होता है।
अक्टूबर में जो गन्ने की बुवाई की जाती है उसमें सर्दी में भी यह कीट सक्रिय पाया गया। जब गन्ने की पोरी बन जाती है तो गांठों के चारों ओर खाता रहता है, जिससे जब तेज हवा चलती है तो पौधे ये गिर जाते हैं।अक्तूबर में सरदकालीन बुवाई से इस कीट का प्रकोप शुरू हो जाता है। मुख्य फसल के अलावा मोढ़ी फसल में भी यह असर करता है। गन्ने की सीओ-0118 व सीओएच-160 प्रजाति में इसका प्रकोप देखने को मिला है।
ऐसे करें बचाव
इसके नियंत्रण के लिए जैसे क्षतिग्रस्त पौध दिखे उन्हें काटकर निकाल दें।
बुवाई करते समय समय गन्ना बीज पर क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत तरल कीटनाशी दवा 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें और ऊपर से मिट्टी ढक दें।
एक डेढ़ महीने के महीने की फसल होने के बाद फिर से यही करना चाहिए, पिंक बोरर की सुंडी, अंडे और नर व मादा कीट नष्ट हो जाएंगे।
समय-समय पर खेत में ट्राइकोग्रामा किलोसिस खेत में छोड़ते रहे।
खेत में बहुत ज्यादा जलभराव न हो, जलनिकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।
बुवाई करते समय पौध से पौध की दूरी चार फीट रखनी चाहिए।