- दो सितंबर से शुरू हो रहा है पितृपक्ष, 17 सितंबर को होगा समाप्त
- इन दिनों पूर्वज धरती पर आ अपने परिजनों से करते है अन्न और जल ग्रहण
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पितृपक्ष की शुरूआत इस बार दो सितंबर से हो रही है। पितृपक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर 17 सितंबर यानि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को समाप्त होता है। इन 16 दिनों में पितरों के पूजन और श्राद्ध का विशेष महत्व है।
मान्यता है कि इन दिनों पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिजनों से अन्न जल ग्रहण करते हैं। ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल का कहना है कि पितृपक्ष पितृ दोष से मुक्ति पाने का सर्वोत्तम समय है।
इस पक्ष में सही समय पर श्रद्धा भाव के साथ सही ढंग से किया गया श्राद्ध कर्म व्यक्ति के जीवन में खुशियों का अंबार ला सकता है। पितृपक्ष के दिनों पितरों को याद कर उनका तपर्ण किया जाता है।
नियमानुसार पितरों का तपर्ण और पूजन करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वंशजों को पितरों का आशीष मिलता है। पितृपक्ष में 15 दिन तक शादी-ब्याह, नए घर में प्रवेश, नामकरण आदि शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। श्राद्ध के माध्यम से पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है।
पिंड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम् हिस्सा होता है। लोंगों का कहना है कि श्राद्ध न करने वाले पितरों की आत्मा पृथ्वी लोक पर भटकती रहती है और पितरों की अशांति के कारण धनहानि और संतान पक्ष को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इस पक्ष में भगवान के यहां सभी द्वारा खुले होते है। जिनकी मृत्यु इस पर्व के चलते होती है वह सीधे स्वर्ग में जाने का अधिकार रखता है।
श्राद्ध के दिन क्या करे और क्या नहीं
- श्राद्ध हमेशा दोपहर के बाद ही करें जब सूर्य की छाया आगे नहीं पीछे हो।
- श्राद्ध पूरे 16 दिन के होते हैं इस दौरान ब्राह्मणों को भोजन करा दान देना चाहिए।
- पिंडदान करते समय तुलसी जरूर रखे।
- पिंडदान दक्षिण दिशा की ओर मुख कर करना चाहिए।
- श्राद्ध हमेशा अपने घर या सार्वजनिक भूमि पर करना चाहिए।