प्रधानमंत्री ने देश की खिलौना इंडस्ट्री को मजबूत करने पर जोर दिया
जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 68वीं बार मन की बात कार्यक्रम में लोगों से रूबरू हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री को बड़ी भूमिका निभानी है।
असहयोग आंदोलन के समय गांधीजी ने कहा था कि यह भारतीयों में आत्मविश्वास जगाने का आंदोलन है। ऐसा ही हमें आत्मनिर्भर भारत आंदोलन के साथ भी है।
पिछले महीने जवानों की वीरता को सैल्यूट किया था
मोदी ने पिछले महीने मन की बात में करगिल युद्ध के 21 साल पूरे होने पर इस जंग में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा- पाकिस्तान ने भारत की पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की थी। दुश्मन पहाड़ पर बैठा था, लेकिन जीत भारतीय सेना के हौसले और सच्ची वीरता की हुई।
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की अहम बातें…
- कोरोना के दौर में देश घर में रहते हुए उत्सव मनाए जा रहे हैं। लोग अपना और लोगों का ध्यान रखते हुए अपना काम कर रहे हैं। जिस तरह का संयम देखा जा रहा है, वह अभूतपूर्व है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गणेशोत्सव ऑनलाइन मनाया जा रहा है। इको फ्रेंडली गणेश की प्रतिमा स्थापित हुई है।
- पर्वों में पर्यावरण का संदेश छिपा होता है तो कई पर्व पर्यावरण के लिए मनाए जाते हैं। बिहार के थारु समुदाय ने प्रकृति को जीवन का हिस्सा बना लिया है। 60 दिन के त्योहार बरना को मनाते हैं। कोई कहीं भी आता-जाता नहीं है।
- इस दौरान ओणम भी मनाया जा रहा है। इसकी धूम विदेशों तक है। यह कृषि से जुड़ा हुआ है। हमारे पर्व किसानों के रंग से ही हरे-भरे बनते हैं। ये बातें वेदों में भी कही गई हैं। ऋग्वेद में कहा गया है- अन्नदाता को नमन है।
- कोरोना काल में देश कई मोर्चों पर एकसाथ लड़ रहा है। ये भी ख्याल आता है कि घर में रहने वाले बच्चों का समय कैसे बीतता होगा? मैंने कहीं पढ़ा कि खिलौने के संबंध में रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि खिलौना वही अच्छा होता है जो अधूरा हो। बच्चे उसे खेल-खेल में तैयार करें।
- अब बच्चों के आकर्षण का केंद्र खेल नहीं, खिलौना हो गया है। महंगे खिलौने में बनाने-सीखने के लिए कुछ नहीं होता। इस खिलौने ने धन-संपत्ति का तो प्रदर्शन होता है, लेकिन बच्चे के लिए कुछ नहीं होता। इसलिए बच्चा खो जाता है।
- बच्चों के लिए खिलौने को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी कहा गया है। अब देश के कई क्षेत्र खिलौनों के केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ रुपए की है, लेकिन भारत की इसमें हिस्सेदारी काफी कम है।
- खिलौना वो हो जिसे बचपन खेले भी, खिलखिलाए भी। अब कंप्यूटर गेम्स का दौर है। इनमें ज्यादातर की थीम्स भारतीय होती है। आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री को बड़ी भूमिका निभानी है। असहयोग आंदोलन के समय गांधीजी ने कहा था कि यह भारतीयों में आत्मविश्वास जगाने का आंदोलन है। ऐसा ही हमें आत्मनिर्भर भारत आंदोलन के साथ भी है।
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