जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन में प्रस्तावक रहे वाराणसी के डोम राजा जगदीश चौधरी (55) का मंगलवार की सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। सिगरा स्थित निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।
परिजनों ने बताया कि मंगलवार की सुबह उनकी हालत ज्यादा खराब होने पर आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया। थोड़ी देर बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।
निधन की सूचना मिलते ही त्रिपुरा भैरवी घाट स्थित आवास पर श्रद्धांजलि देने वाले पहुंचने लगे। उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। जांघ में घाव के कारण कई महीनों से उनका इलाज चल रहा था। निधन की खबर मिलते ही उनके त्रिपुरा भैरवी घाट स्थित निवास पर लोगों की भीड़ जुट गई।
वाराणसी के डोम राजा जगदीश चौधरी जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। वे काशी की संस्कृति में रचे-बसे थे और वहां की सनातन परंपरा के संवाहक रहे। उन्होंने जीवनपर्यंत सामाजिक समरसता के लिए काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 25, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर डोम राजा जगदीश चौधरी की मौत पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट किया ‘वाराणसी के डोमराजा जगदीश चौधरी जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। वे काशी की संस्कृति में रचे-बसे थे और वहां की सनातन परंपरा के संवाहक रहे। उन्होंने जीवनपर्यंत सामाजिक समरसता के लिए काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे।’
सीएम योगी ने दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशीवासी डोमराजा जगदीश चौधरी के निधन पर शोक-संवेदना प्रकट की है। उन्होंने ट्वीट किया कि सामाजिक समरसता की भावना के प्रतीक पुरुष, काशीवासी डोमराजा जगदीश चौधरी का निधन अत्यंत दुखद है। जगदीश चौधरी का कैलाशगमन सम्पूर्ण भारतीय समाज की एक बड़ी क्षति है। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि आपको अपने परमधाम में स्थान प्रदान करें।
बाबा विश्वनाथ के आराधक डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी के निवास पर पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की अगुवाई में धर्माचार्यों द्वारा सहभोज किया जाना, भेदभाव रहित भारतीय समाज की भावना का अप्रतिम उदाहरण था।
दोनों हुतात्माओं की पुण्य स्मृति को प्रणाम!
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 25, 2020
बता दें कि वाराणसी से दूसरी बार नामांकन भरने वाले मोदी के प्रस्तावकों में डोम राजा जगदीश चौधरी भी शामिल थे। तब डोम राजा ने कहा था कि, ‘पहली बार किसी राजनीतिक दल ने हमें यह पहचान दी है और वह भी खुद प्रधानमंत्री ने। हम बरसों से लानत झेलते आए हैं।
हालात पहले से सुधरे जरूर हैं, लेकिन समाज में हमें पहचान नहीं मिली है और प्रधानमंत्री चाहेंगे तो हमारी दशा जरूर बेहतर होगी।’ उन्होंने यह भी कहा था कि, ‘नेता वोट मांगने आते हैं लेकिन बाद में कोई सुध नहीं लेता।’ डोम बिरादरी का इतिहास काफी पुराना है।
उन्होंने पीएम मोदी का प्रस्तावक बनने पर गर्व जताते हुए कहा था कि ‘यह पूरी बिरादरी के लिए गर्व की बात है कि मैं प्रधानमंत्री का प्रस्तावक बन सका। हम समाज में पहचान पाने को तरस गए हैं। उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी जीतने के बाद हमारी पीड़ा समझेंगे और हमें वह दर्जा समाज में दिलाएंगे जिसकी शुरुआत आज हुई है।’
इसलिए कहते हैं डोम राजा
वाराणसी में अंतिम संस्कार मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर होता है। दोनों घाटों पर अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी डोम समाज के पास है। काशी में इस प्रमुख जिम्मेदारी को निभाने के कारण इन्हें डोम राजा कहा जाता है।
हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट में करीब 500 से 600 डोम रहते हैं। जबकि उनकी बिरादरी में पांच हजार से ज्यादा लोग हैं। दोनों घाटों पर सभी डोम की बारी लगती है और कभी दस दिन या बीस दिन में बारी आती है। बाकी दिन बेगारी। कोई स्थायी नौकरी नहीं है और कमाई भी इतनी नहीं कि बच्चों को अच्छी जिंदगी दे सकें।