पड़ोसी देश चीन समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना दोबारा लौट आया है। हमारे देश में भी कोरोना ने दोबारा दस्तक दे दी है। कोरोना की दस्तक सुनते ही केंद्र और राज्य सरकारें एलर्ट मोड में आ गयी हैं। वहीं कोविड के मसले पर भी राजनीति गरमा गई है। असल में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भीड को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वो अपनी यात्रा में कोविड नियमों का पालन करें या अपनी यात्रा रोक दें। वास्तव में कई देशों में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ये भीड़ कहीं ना कहीं अब डरा रही है। हालांकि कोरोना के भारतीय राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने आश्वस्त किया है कि टीकाकरण और प्राकृतिक संक्रमण के बाद देश की 90 फीसदी से ज्यादा आबादी में हाईब्रिड इम्युनिटी है, लिहाजा भारत अपेक्षाकृत सुरक्षित है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीन सहित कुछ देशों में कोविड-19 के ताजा बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर दुनिया में जो माहौल बना है, सतर्कता अपेक्षित है।
इसमें अच्छी बात ये है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भी अलर्ट मोड में आ गई हैं। हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मंडाविया ने आगाह भी किया है कि कोरोना पूरी तरह गया नहीं है। कोरोना वायरस हमारी दहलीज पर भी मौजूद है, क्योंकि चीन में कोरोना से हाहाकार मचा है। ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट बीएफ-7 के चार संक्रमित मरीज गुजरात और ओडिशा में पाए गए हैं। वड़ोदरा में एक एनआरआई महिला में संक्रमण की पुष्टि भी हो चुकी है। संभव है कि सभी संक्रमण सामान्य हों और मरीज जल्द ही स्वस्थ हो जाएं!
इसी दौर में हिमाचल के मुख्यमंत्री कोरोना संक्रमित पाए गए, जिन्हें क्वारंटीन में जाना पड़ा। संक्रमण की जांच से पहले उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत कई कांग्रेसियों से मुलाकात की थी। हालांकि किसी और नेता के संक्रमित होने की कोई खबर नहीं है। यदि विशेषज्ञों के साथ बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राहुल गांधी को पत्र लिखा कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें या कुछ समय के लिए ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को स्थगित कर दें, तो यह अनुरोध भी देशहित में था। किसी के अहंकार अथवा राजनीतिक लामबंदी को चुनौती नहीं दी गई। यात्रा में एक बड़ी भीड़ सामूहिक तौर पर जुड़ती रही है, राहुल गांधी लोगों से आलिंगनबद्ध भी होते रहे हैं, हाथ भी मिलाते रहे हैं और भीड़ के साथ यात्रा भी जारी रखे हैं।
केंद्रीय मंत्री का संवैधानिक दायित्व है कि देश में महामारी का संक्रमण नए सिरे से न फैले, लिहाजा उन्होंने राहुल को पत्र लिखा। इसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए। दरअसल ऐसे ही पत्र प्रशांत किशोर, राजस्थान में ‘जन आक्रोश यात्रा’, कर्नाटक में ‘जन संकल्प यात्रा’ आदि के नेताओं और आयोजकों को लिखे जाने चाहिए थे। इन यात्राओं में भी एक बड़ी भीड़ एक-दूसरे से सटकर चल रही है। संक्रमण कैसे फैलता है? फिर भी हमें विशेषज्ञों के परामर्श को मानना है, क्योंकि वैसा करके हम कोरोना की भयावह तीन लहरों को झेल कर, उन्हें पराजित कर चुके हैं। देश के वरिष्ठ नागरिक और कुछ पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोग, बूस्टर डोज लगवाएं। अलबत्ता घबराने और दहशत में आने की जरूरत नहीं है।
कांग्रेस का आरोप है कि इस यात्रा को जनसमर्थन मिलता देख ऐसा किया जा रहा है. बेहतर होता यदि हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा गाइडलाइन जारी कर हर तरह के सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए कोविड प्रोटोकॉल बनाया जाता। सवाल है प्रोटोकॉल की जरूरत ही क्यों है? सभी स्वत: ही कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का अनुपालन क्यों ना करें खासकर तब जब नित कई देशों से नामाकूल खबरें आ रही हैं। बहरहाल, इतना तो कहा जा सकता है कि यह निष्कर्ष देना जल्दबाजी होगी कि देश से कोरोना वायरस हमेशा के लिए चला गया है।
मौजूदा हालात में हर किसी को अलर्ट रहने की जरूरत है और तदनुसार सरकार सक्रिय भी हो गई है, जबकि माना जा रहा है कि भारत में 90 फीसदी से ज्यादा लोगों में स्वाभाविक प्रतिरक्षा विकसित हो चुकी है। इसके विपरीत चीन के मौजूदा हालातों की वजहें हैं, एक तो उसकी जीरो टॉलरेंस नीति उलटी पड़ गई, दूजे उसके वैक्सीन कितने कारगर थे, सवाल इसलिए है कि वैक्सीनों को इंटरनेशनल प्लेटफार्म पर चेक ही नहीं किया जा सका और बाहरी टेस्टेड वैक्सीन को उसने अनुमति नहीं दी। केंद्र सरकार ने फिर से जीनोम सीक्वेंसिंग तेज करने की बात कही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक कर राज्यों के लिए समुचित एडवाइजरी भी जारी कर दी है। बूस्टर डोज के लिए नैजल वैक्सीन की अनुमति भी दे दी है। विदेशों से आने वाली खासकर चीन और अन्य प्रभावित देशों से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट फ्लाइटों की चैकसी पूर्व की भांक्ति शुरू करवा दी है।
हमें दुनिया के कई देशों में तेजी से पांव पसार रहे कोरोना संक्रमण को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। साथ ही हर नागरिक को अपने स्तर पर जिम्मेदार व्यवहार के जरिये इस चुनौती के प्रति सतर्क रहना चाहिए। निस्संदेह, हमारी सजगता व सतर्कता में ही हमारा बचाव निहित है।
यदि हम संयमित व सतर्क व्यवहार का पालन करते हैं तो हम किसी भी आसन्न संकट को टाल सकते हैं। इस गंभीर मुद्दे पर राजनीति ठीक नहीं है।कांग्रेस देश और देशवासियों के लिये ही तो यात्रा निकाल रही है। अगर यात्रा से कोरोना फैलने की आशंका जतायी जा रही है तो यात्रा को टालना देश हित में होगा। भारत जोड़ो यात्रा के अलावा दूसरे राजनीति कार्यक्रम, रैलियों और जमावड़ों पर भी रोक लगानी चाहिए। यहां सवाल देशवासियों की सेहत और सुरक्षा का है, इसमें राजनीति ठीक नहीं।