Friday, March 29, 2024
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नई इबारत लिखते राहुल

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32 26इस दुनिया में एक बड़े वर्ग का मानना है कि गांधी केवल मात्र एक नाम नहीं है बल्कि गांधी नाम है मोहब्बत का, गांधी नाम है सत्ता से संघर्ष का, गांधी नाम है लोगों के भरोसे का। राजनीति में उतरने के बाद पहली बार राहुल अपने नाम के सम्मुख जुड़े सरनेम गांधी को लेकर संजीदा दिखाई दे रहे हैं। इसलिए लगता है कि वह पहली बार गांधी बनने की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं। अभी तक उन्हें राजनीति में मिली हुई हर अहम जिम्मेदारी केवल उनके गांधी परिवार में पैदा होने के चलते ही मिल पाई हैं। लेकिन अब उन्होंने जनता के बीच सीधे कूद कर गांधी की बात पर चलने का काम किया है जिसमे वे कहते हैं कि सार्वजनिक जीवन में अगर कभी मन में शंका हो और कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा हो तो सीधे जनता के बीच में कूदकर रास्ता तलाश करिए। लगता है राहुल भी उसी रास्ते को तलाश करने निकल पड़े हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा देश के नौ राज्यों से होती हुई दिल्ली पहुंच गई।

विशेष बात यह है कि राहुल गांधी इस दौरान 3000 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलकर दिल्ली पहुंचे हैं। राहुल गांधी ने दिल्ली पहुंचने के बाद एक बार फिर नफरत के खिलाफ प्रेम की बात दोहराते हुए कहा, ‘वे नफरत फैलाते हैं, हम प्यार बांटते हैं, हम सभी भारतीयों को गले लगाते हैं।’ नफरत की राजनीति के खिलाफ देश भर में प्यार का संदेश फैलाने की यह बात राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पिछले 108 दिनों से लगातार कहते आ रहे हैं।

तमिलनाडु के कन्याकुमारी से रवाना हुई भारत जोड़ो यात्रा जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर तक प्रस्तावित है। कांग्रेस ने राहुल गांधी समेत 118 नेताओं को चुना है जो कन्याकुमारी से कश्मीर तक पूरी यात्रा में उनके साथ चलेंगे, इन सबको ‘भारत यात्री’ नाम दिया गया है। वर्तमान दौर में देश के मौजूदा बड़े नेताओं में राहुल गांधी शायद ऐसे इकलौते नेता होंगे, जिन्होंने इतनी लंबी पदयात्रा की है। भारत जोड़ो यात्रा के पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक राहुल गांधी की ये पदयात्रा जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर तक जाने वाली है।

देश के दक्षिणी छोर से राजधानी तक का लंबा पैदल सफर पैदल तय करके दिल्ली पहुंचने पर राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं जब कन्याकुमारी से चला तब मुझे एक बात पता चली कि इस देश में नफरत नहीं है, इस देश में सिर्फ मोहब्बत है। नफरत सिर्फ मीडिया वाले दिखाते हैं। इस यात्रा के अंदर एक हिन्दुस्तान है।’ जहाँ राहुल ने केंद्र सरकार की नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘भारत जोड़ो यात्रा बेरोजगारी, महंगाई, डर और नफरत के खिलाफ है वहीं उन्होंने मीडिया को भी सीधे निशाने पर लिया है।’

भारत की राजनीति में यात्राओं का एक लम्बा इतिहास रहा है। देश की आजादी के संघर्ष के समय में जब नमक कानून को तोडकर अंग्रेजी शासन को चुनौती देनी थी, तब गांधीजी ने दांडी यात्रा की, जो इतिहास में प्रसिद्ध है। उनके गुरु गोपालकृष्ण गोखले ने दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने पर गांधी से कहा था कि यदि भारत को समझना चाहते हो तो तुम्हें संपूर्ण भारत को अपनी खुली आंखों से देखना पड़ेगा। गांधी ने भारत को समझने के लिए भारत का भ्रमण किया और इसे ठीक से समझकर ही सूट-बूट वाले गांधी ने अधनंगे फकीर का बाना पहनकर देश की आजादी की लड़ाई लड़ी।

युवा तुर्क के नाम से विख्यात और बाद में देश के प्रधानमन्त्री बने चंद्रशेखर ने साल 1983 में 4,000 किलोमीटर की पदयात्रा की थी। उनकी पदयात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से दिल्ली में राजघाट तक चली। इस दौरान उन्हें देश की तमाम समस्याओं को नजदीक से जानने का मौका मिला और देश के लोगों में चन्द्रशेखर की स्वीकार्यता बढ़ी। सुनील दत्त ने भी शांति और सामाजिक सद्भाव को लेकर लंबी पदयात्रा की।

1987 में उन्होंने पंजाब में उग्रवाद की समस्या के समाधान के लिए बंबई से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर तक 2,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। भाजपा नेता लालकृष्ण अडवाणी की राम रथयात्रा के बदौलत ही भाजपा देश में अपना जनाधार बड़े स्तर पर बढ़ाने में कामयाब हुई थी। इसके अतिरिक्त एनटी रामाराव, वाईएस राजशेखर रेड्डी तथा जगमोहन रेड्डी आदि नेताओं ने भी अपनी अपनी यात्राओं के माध्यम से भारत को समझने का प्रयास किया है।

हालांकि भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने यह कहते हुए राहुल गांधी पर तंज भी कसा है कि, ‘जो व्यक्ति अपनी पार्टी को नहीं जोड़ सका, जो अक्सर विदेश चला जाता है और जिसे अध्यक्ष बनाए जाने के लिए कांग्रेस में एक ‘दरबारी गायन’ होता है, वह भारत जोड़ने के मिशन पर है।’ लेकिन राहुल गांधी पूरी यात्रा के दौरान बहुत ही परिपक्व और सधे हुए नेता की तरह बयान देते ही नजर आ रहे हैं।

लेकिन पिछले कुछ समय से कांग्रेस का आईटी सेल जरूर सक्रिय हुआ है, जो भाजपा द्वारा इस पदयात्रा को अथवा राहुल गांधी की तनिक भी आलोचना या उन पर तंज कसने पर एक दम जवाब देता हुआ दिखाई दिया है। इसके अलावा राहुल गांधी जिस प्रकार लोगों से मिल रहे हैं, मूसलाधार बारिश,सर्दी और गर्मी में उनकी बात सुन रहे हैं, उसका प्रभाव लोगों पर दिखने लगा है। इसलिए ही बाबा रामदेव ने कहा है कि जिस कांग्रेस को राष्ट्रीय मीडिया में कोई स्थान नहीं दिया जाता था, आज वह हर राष्ट्रीय चैनल और राष्ट्रीय अखबारों में समाचारों की सुर्खियों में आने लगा है।

दिल्ली की सर्दी में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का स्वागत करने के लिए सड़कों पर उतरे लोग और इस यात्रा को दूर से देख रहे लोग यह चर्चा करने लगे हैं कि इतनी ठंड के बावजूद राहुल गांधी सिर्फ एक टीशर्ट पहनकर पदयात्रा कर रहे हैं। मीडिया के पूछने पर कुछ समर्थकों ने कहा कि राहुल गांधी का ये अंदाज देखकर उन्हें भी गर्माहट का एहसास हो रहा है।
कांग्रेस का कहना हैं कि देश का हर छठा ग्रेजुएट बेरोजगार है। आठ साल में 22 करोड़ लोगों ने केंद्र सरकार की नौकरी के लिए आवेदन किया है, लेकिन मोदी सरकार एक प्रतिशत लोगों को भी नौकरी नहीं दे पाई है। सिर्फ अगस्त 2022 में ही 20 लाख रोजगार घट गए हैं। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार 40 लाख केंद्रीय पदों में फिलहाल नौ लाख स्वीकृत पद खाली हैं।

वर्तमान हालातों में जिस प्रकार महंगाई, बेरोजगारी, निजीकरण, अग्निवीर, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन, बिगडती अर्थव्यवस्था आदि विषय विमर्श में शामिल हो रहे हैं ऐसे में अगर राहुल इन विषयों को ठीक से सामने ले आते हैं तो भारत जोड़ो यात्रा सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती साबित हो सकती है। लेकिन, फिलहाल जो स्थिति दिख रही है उससे तो यही लगता है कि राहुल गांधी को भी नए सिरे और नजरिये से भारत के विभिन्न राज्यों को करीब से देखने का अवसर मिलेगा और इसका असर निश्चित रूप से उनके राजनीति कैरियर और उनकी परिपक्वता पर पड़ेगा। भारत में राजनीतिक यात्राओं के इतिहास पर नजर डालें तो यह भी स्पष्ट होता है कि शुरू में इन यात्राओं को बहुत अधिक महत्व नहीं मिलने के बावजूद भी इनके परिणाम चौंकाने वाले रहे हैं।


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