- एसडीएम मवाना, सरधना को गुम हुए तालाबों की तलाश
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जनपद की मवाना तहसील व सरधना तहसील के एसडीएम को गुम हो गए 100 से ज्यादा तालाबों की सरगर्मी से तलाश है। उन्हें यह जिम्मेदारी सीडीओ ने सौंपी है। गुम हुए सौ तलाबों की केवल तालाब ही नहीं करनी है तलाश किए गए तालाबों का स्टेटस मालूम कर उन्हें उत्तर प्रदेश अटल भूजल योजना के तहत संतृप्त भी करना है,
लेकिन इससे पहले बड़ा काम उनको कब्जा मुक्त कराने का करना है। हालांकि एसडीएम सरधना पंकज राठौर ने जानकारी दी कि उन्होंने सूची बनाकर भेज दी है, जबकि एसडीएम मवाना अखिलेश यादव ने बताया कि फिलहाल नए तालाब की खुदाई का काम तेजी से निपटाया जा रहा है।
आसान नहीं तलाश का काम
प्रशासन सरधना व मवाना ब्लाक में गुम बताए जा रहे जिन 100 तालाबों की तलाश की बात कह रहा है, जमीनी हकीकत की यदि बात की जाए तो यह काम इतना आसान भी नहीं है। जमीनी हकीकत तो यह है कि जिन्हें कभी तालाब का दर्जा हासिल था वहां अब तालाब का नामो निशान भी नहीं रह गया है।
जहां कभी तालाब हुआ करता था, वहां पूरी कालोनी बस गयी है। ज्यादातर गांवों में कमोवेश ऐसी ही स्थिति है। कुछ तालाब पोखर में तब्दील हो गए हैं तो कुछ गड्ढे सरीखे रह गए हैं कुछ का अस्तित्व ही मिटा दिया गया है। यह काम किसी और ने नही बल्कि गांवों में दबंग प्रवृत्ति के लोगों ने किया है।
गायब हो गए, क्यों और कैसे पता नहीं
यूं तो जनपद मेरठ में गुम हुए तालाबों की संख्या करीब एक हजार से ज्यादा आंकी जाती है। ऐसा नहीं कि ये तालाब क्यो और कैसे गायब हो गए, इससे सिस्टम को चलाने वाले अंजान हों, ऐसा भी नहीं। दरअसल, डर एक ही बात का है कि यदि तह तक गए और ईमानदारी से तहकीकात करनी पड़ गयी तो कई पूर्ववर्ती अधिकारियों की गर्दन नप जाएगी।
गुम हुए तालाबों की सुरागकशी के नाम पर इस हलचल के पीछे सुप्रीम कोर्ट की फटकार को मुख्य वजह माना जा रहा है। ऐसा नहीं है कि मेरठ में ही तालाब गायब हुए हों, तालाब गायब होने के मामले में सूबे के तमाम जनपदों में सिस्टम की लापरवाही का यदि हिसाब किताब करने बैठेंगे तो कसूर लगभग एक सरीखा नजर आएगा।
अमृत सरोबर व अटल योजना ने खोली पोल
तालाबों को लेकर सिस्टम की गंभीरता की पोल खोलने का काम अमृत सरोवर और अटल भूजल योजना की लॉचिंग के बाद हुआ। दरअसल, राज्य सरकार भूमिगत जल के संरक्षण और प्रबंधन के लिए नई योजना शुरू करने जा रही है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी अटल भूजल योजना की तर्ज पर राज्य सरकार उत्तर प्रदेश अटल भूजल योजना की शुरुआत करने जा रही है। वर्तमान में अटल भूजल योजना प्रदेश के 10 जिलों में लागू है, लेकिन अब उन सभी 65 जिलों में भी योजना लागू करने की तैयारी है, जहां केंद्र की अटल भूजल योजना लागू नहीं है।
इन जिलों में लागू है अटल भूजल योजना
केंद्र सरकार की अटल भूजल योजना प्रदेश के झांसी, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट, महोबा, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली व मेरठ के 26 ब्लॉकों में लागू है। अब शेष 65 जिलों में उत्तर प्रदेश अटल भूजल योजना लागू की जा रही है। सीडीओ शशांक चौधरी ने बताया कि मेरठ के मवाना व सरधना ब्लाक के गांवों की पंचायतों को इसके लिए चिन्हित किया गया है। जिले की जमीन से लगातार गायब हो रहे तालाबों के फिर से अस्तित्व में आने और जल से लबालब होने की उम्मीद जागी है।
प्रदेश सरकार द्वारा तालाब विकास प्राधिकरण की घोषणा के बाद अधिकारी भी करीब एक हजार से अधिक गायब हो चुके तालाबों का रिकॉर्ड खंगालने में जुट गए हैं। उधर, जिले का गिरता जल स्तर पहले ही खतरे के निशान को छू रहा है। अब तालाबों की तलाश और विकास की उम्मीद धरती को जल बिना बंजर होती कोख को भी हरा-भरा करेगी। सुप्रीम कोर्ट तालाबों को कब्जा मुक्त कराने के लिए पूर्व में आदेश दे चुका हैं, लेकिन इसके बावजूद तालाबों पर रात दिन हो रहे कब्जों से अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
100 तालाबों की पहचान कर बनाए जाए सूची
सीडीओ शशांक चौधरी ने जानकारी दी कि सरधना व मवाना तहसील के गांवों में तालाबों को लेकर प्रशासन गंभीर है। एसडीएम सरधना व एसडीएम मवाना को निर्देशित किया गया है
कि 100 तालाबों की पहचान कराकर उनकी सूची बनायी जाए। ऐसे तलाबों पर यदि कब्जों की स्थित है तो वहां विधिक कार्रवाई कराकर उन्हें कब्जा मुक्त कराकर शासन की योजना से संतृप्त किया जाएा।
पुराने तालाबों की भेजी रिपोर्ट
एसडीएम मवाना अखिलेश यादव ने जानकारी दी कि उनकी तहसील में नए तालाब का काम काफी तेजी से निपटाया जा रहा है। जहां तक पुराने तालाबों की बात है तो उसके संबंध में रिपोर्ट भेज दी गयी है।
करा लिया गया है सर्वे
एसडीएम सरधना पंकज राठौर ने जानकारी दी कि इस संबंध में सर्वे करा लिया गया है। विस्तृत जानकारी तहसीलदार कार्यालय में उपलब्ध है।