Monday, July 7, 2025
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रिश्तेदार बन बताई मजबूरी और ठग लिए एक लाख

  • साइबर अपराधियों ने रिटायर्ड शिक्षक को बनाया शिकार
  • अस्पताल में भर्ती होने का बहाना बनाकर की ठगी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: इन दिनों साइबर अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे है। यह ठग रिश्तेदार बनकर अपने जाल में लोगों को फंसा रहे है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। एक रिटायर्ड शिक्षक को साइबर ठगों ने अपनी बातों में फंसाकर उनसे एक लाख रुपये ठग लिए है। कॉल करके खुद को रिश्तेदार बताकर बड़ी चालाकी से पैसे डलवा लिए। पैसे भेजने के बाद पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ। इसके बाद 1930 पर शिकायत की गई।

कंकरखेड़ा क्षेत्र में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक महिपाल शर्मा ने बताया कि उनके पास सोमवार को एक अंजान नंबर से कॉल से आया। कॉलर ने खुद को उनका रिश्तेदार बताया और कहा कि उनके परिवार का सदस्य अस्पताल में भर्ती है और उसकी हालत गंभीर है। ऐसे में उन्हें पैसों की जरूरत है। शातिर ठगों ने चालाकी दिखाते हुए यह भी कहा कि उनकी यूपीआई से पेमेंट नहीं हो पा रहा है, ऐसे में वह उनके पास पैसे डाल रहे है। वह अस्पताल का पेमेंट अपनी यूपीआई से कर दें। ठगों की इस चालाकी को पीड़ित महिपाल समझ नहीं सके।

इसके बाद आरोपियों ने फर्जी मैसेज तैयार कर उनके नंबर पर चार बार में 1.90 लाख रुपये भेजे जाने का टैक्स्ट मैसेज कर दिया। जिन पर यकीन करते हुए महिपाल ने अपने अकाउंट में बैलेंस चेक नहीं किया और एक के बाद एक आठ ट्रांजेक्शन में एक लाख रुपये ठगों द्वारा भेजे गए बारकोड और यूपीआई नंबर पर भेज दिए। पैसे भेजने के बाद पीड़ित महिपाल को अहसास हुआ कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है। तहकीकात करने पर मालूम हुआ कि साइबर ठगों ने उन्हें अपना शिकार बनाया है।

इसके बाद पीड़ित ने 1930 पर कॉल करके शिकायत की। इसके बाद मंगलवार को साइबर क्राइम थाने में पर लिखित शिकायत की। उन्होंने बताया कि साइबर अपराधियों ने उन्हें रिश्तेदार का बिल्कुल सही नाम व पता बताकर अपने विश्वास में ले लिया था। उस दौरान पड़ोस में ही हुई मौत से वह परेशान चल रहे थे। उन्होंने बताया कि साइबर ठगों ने उनके पास फर्जी मैसेज से दो बार में 40-40 हजार, इसके बाद एक बार में 60 और फिर 50 हजार रुपये का मैसेज भेजा था।

उन्हें दो अलग-अलग बारकोड और तीन यूपीआई नंबर भेजे, जिनपर उन्होंने आठ बार में एक लाख रुपये सेंड कर दिए। उधर, साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक देवेश कुमार सिंह ने बताया कि साइबर अपराधियों के नंबर की डिटेल्स निकलवाई जा रही है। अब तक की जांच में नंबर की लोकेशन राजस्थान अलवर के आसपास की दिखाई जा रही है। अकाउंट को भी फ्रीज करा दिया गया है।

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