- संविदा नियमावली पर दो गुटों में बंटे युवा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हर युवा का सपना होता है, कि वह जल्द से जल्द शिक्षा ग्रहण करके सरकारी नौकरी पर लग जाए। जिससे कि घर की परिस्थितियों में सुधार लाकर अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने भविष्य को भी सुधार सकें।
इसलिए वह अपने सभी कार्यों को बाद के लिए छोड़कर सर्वप्रथम अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत करता है। जिससे वह सरकारी नौकरी को पा सकें।
जैसे ही उसे नौकरी मिल जाती है, उसके पश्चात वह अपने उन सभी सपनों को पूरा करता है। जिन्हें उसने संजोया था, लेकिन वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समूह ख व ग भर्ती में अपनाई जाने वाले संभावित नीति से युवाओं को अपने सपने चकनाचूर होने का डर अभी से सताने लगा है। क्योंकि सरकार सिस्टम को सुधारने के लिए पांच साल संविदा पर रखकर उसके कार्य का आंकलन करेगी।
जिसके लिए एक अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाएगी। जो हर छह माह में संबंधित कर्मचारी का रिपोर्ट कार्ड सरकार के समक्ष पेश करेगा। इसी नीति युवाओं के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं।
सरकार की संभावित नियमावली से होगा युवाओं का शोषण
युवाओं ने कहा कि सरकार की नई नीति से युवाओं का शोषण होगा। क्योंकि इस नियम के अंतर्गत अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों के कार्य को आंका जाएगा। जिससे भ्रष्टाचार बढ़ने की संभावना और प्रबल हो जाएगी। जो कर्मचारी पैसे नहीं देगा उसके कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़े होंगे।
नियम बदलने के बजाए लाए पारदर्शिता
सरकार इस तरह के नियम की जगह आम जनता को राहत पहुंचाने के लिए तकनीक का सहारा लें। साथ ही प्रत्येक कार्यालय पर किस तरह से कार्य किया जा रहा है, उसकी आनलाइन मॉनिटिंग करे, लेकिन इस तरह के नियमों से युवाओं के सपनों का सरकार तोड़ने का प्रयास न करे। क्योंकि सरकारी नौकरी पाने के लिए युवाओं को कई बार परीक्षाओं के दौर से गुजरना पड़ता है।
आकाश कुमार ने कहा कि हर मध्यम वर्गीय परिवारों के अधिकांश युवाओं को सरकारी नौकरी मिलना ही उसका एक सपना पूरा होने जैसा होता है। जिसके लिए वह कठिन परिश्रम और दिन रात मेहनत करता है।
नौकरी मिलने के शुरूआती पांच वर्षों तक ही उसके ऊपर निजी और पारिवारिक रिश्तों जैसे शादी करना, मकान बनाना, छोटे भाई-बहन की पढ़ाई आदि का बोझ भी रहता है। जिसके लिए उसे तनाव से मुक्ति और मानसिक मजबूती सिर्फ उसके सरकारी नौकरी होने से मिलती है।
सरकार की यह संविदा योजना हर युवाओं के सपनों पर पानी फेरने जैसी साबित होगी। इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा, रोजगार देने के बजाय, रोजगार मुक्त भारत करने वाली मंशा से लिया गया सरकार का यह एक संभावित गलत फैसला होगा।
अभिषेक त्यागी ने कहा कि प्रदेश सरकार समूह ख, समूह ग की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है। उससे काफी पारदर्शिता आएगी।
प्रस्तावित व्यवस्था में चयन के बाद शुरूआती पांच वर्ष तक कर्मियों को संविदा के आधार पर नियुक्त किया जाएगा। इससे सरकारी सिस्टम में काफी बदलाव देखने को मिलेगा।
क्योंकि अभी सरकारी विभाग में क्या होता है सभी जानते है। ऐसे में जब पांच साल तक नई भर्ती वाले युवाओं को परखा जाएगा तो वास्तव में जो जनहित के मुद्दों को सुलझाने में सार्थक प्रयास करेंगे। उनको ही आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। हालांकि सरकार को इस नियम में यह भी देखना होगा कि किसी का जानबूझकर शोषण न किया जाएं।
प्रिंस अग्रवाल का कहना है कि सरकार द्वारा समूह ख व ग की भर्ती में चयनित होने वाले अभ्यार्थियों को पांच वर्ष के लिए संविदा पर रखने का निर्णय कहीं हद तक सही है।
जिस तरह पांच वर्ष कि आयु तक बच्चे का मानसिक विकास हो जाता है। वैसे ही कहीं न कहीं पांच वर्ष पर संविदा रहने के बाद और मूल्यांकन के आधार पर स्थाई होने के लिए इतने समय तक कर्मचारियों कि कार्यशैली में सक्रात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा, लेकिन एक डर ये भी है कि कहीं अधिकारियों कि चापलूसी या मनमुटाव के कारण इसके नकरात्मक प्रभाव देखने को नहीं मिलें।
विशाल कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा स्थायी नौकरी से पहले संविदा का नियम लाया जा रहा है। वह युवाओं के भविष्य पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न है, कि उनको सरकारी नौकरी का अवसर प्राप्त होगा भी या नहीं। क्योंकि आज के समय को देखते हुए भर्ती आती है तो उसकी परीक्षा नहीं हो पाती और परीक्षा होती है तो वह भर्ती रद हो जाती है। ऐसे में पढ़े लिखे युवाओं का सरकारी नौकरी पाने का जो सपना है, वह सपना ही रह जाएगा।