Sunday, September 8, 2024
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फसलों में पोटेशियम का महत्व

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फसलों में पोटेशियम की कमी से होने वाली सभी समस्याओं को पोटाश उर्वरक के उपयोग से दूर किया जा सकता है। गेहूं उत्पादन में वृद्धि के लिए पोटाश खाद की सही समय और उचित मात्रा प्रयोग अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए पोटाश खाद का सही उपयोग करना बहुत फायदेमंद होता है।

यह पौधों को स्वस्थ रखने व पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। पोटाश, शर्करा को बेहतर ढंग से संश्लेषित करने में मदद करता है जिसके कारण फलों का स्वाद अच्छा होता है। पोटेशियम पौधों द्वारा पानी के अवशोषण के लिए जिम्मेदार है तथा पौधों की वृद्धि को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पोटाश का महत्व
-फल और सब्जियां उगाने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।
-दाने भरने, फल का आकार बढ़ाने व फलों को चमकदार बनाने में सहायक।
-पोटाश पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं।
-पोटाश मिटटी में नमी को बरकरार रखता हैं
-पोटाश जड़ को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
-पोटाश पानी के अवशोषण में मदद करता हैं।
-फलदार पौधों के सम्पूर्ण विकास, अधिक उत्पादन और फलने-फूलने में महत्वपूर्ण खनिज है।
-पोटाश उर्वरक मिट्टी के पीएच मान को बढ़ाता है।

पोटाश खाद का उचित समय
-खेत की तैयारी के समय, प्रति एकड़ भूमि में 25 किलो पोटाश मिलाएं।
-जब पौधे बालियां बनाने लगें, तो प्रति एकड़ खेत में 1 किलोग्राम एनपीके 00:00:50 खाद का उपयोग करें।

44 डिग्री तापमान के मौसम में खेतों में गोबर की खाद न डालें। बरसात से पहले ठंडी हवा चलेंगीं, तब पोटाश खाद खेतों में डालें। गेहूं, सरसों व चना की फसल बोते पोटाश समय खाद डालें।

गेहूं में पोटाश का सही उपयोग करने से न केवल खेतों की उत्पादकता में वृद्धि होती है, बल्कि फसल की स्वस्थता और गुणवत्ता में भी सुधार होता है। खाद की सही मात्रा और समय का पालन करके, किसान भाइयों को अच्छी फसलें हासिल करने में मदद हो सकती है।


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