- आलू की कीमत हुई धड़ाम, कम कीमत ने किसानों के परिवारों के मुंह का छीना निवाला
- 50 रुपए किलो लेकर बोया आलू, चार रुपये किलो बिक रहा है मंडियों में किसान हुए कर्जदार
- लागत भी नहीं मिलने से किसानों के चेहरों पर छायी मायूसी, पांच सौ हेक्टेयर में हो रही आलू खेती
जनवाणी संवाददाता |
चांदीनगर: आलू की खेती इस तरह घाटे का सौदा बनी कि किसानों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रही है। जिस समय आलू के दाम ऊंचाईयां छू रहे थे तो किसानों ने पचास रूपये किलो बीज लोकर आलू की खेती की थी, लेकिन अब यह आलू चार से पांच रुपये किलो में बेचा जा रहा है।
आलू की फसल आते ही कीमत भी धडाम हो गयी और चार से पांच रुपये किलो आलू के दाम होने से किसान भी कर्जदार हो गए है। मंडियों में आलू का ढेर लगा हुआ है और अब किसान सस्ते दामों में ही आलू को बेचना पड़ रहा है। कम कीमत ने किसानों के परिवार से मुंह का निवाला छीन लिया। उनको यह नहीं पता था कि आलू के दाम इतने कम हो जाएंगे। इससे किसानों के चेहरे पर मायूसी छायी हुई है।
चांदीनगर क्षेत्र के रटौल, बड़ागांव, लहचौडा, गौना सिंगोली तगा, फुलैरा, शरफाबाद, मंसूरपुर आदि गांवों में लगभग पांच सौ हेक्टयर भूमि पर आलू की खेती की जा रही है और क्षेत्र के 70 प्रतिशत किसान अब आलू की खेती में अहम भूमिका निभा रहा, जिससे ज्यादातर किसान अपने खेतों से ज्यादा आमदनी के लिए गेहूं, गन्ना व सरसों की फसल को छोड़कर आलू की खेती कर रहे है, ताकि वह अपने परिवार का ठीक से पालन पोषण कर सकें। अधिक महंगाई के कारण अबकी बार अधिकतर किसानों ने कर्जा लेकर स्टोरों वह मंडियों से 1500 व 1600 रुपये का कट्टा खरीद कर अच्छी लागत लगाकर अपने खेतों में आलू का बीज बोया।
रात दिन मेहनत कर आलू की खेती तैयार की, लेकिन मंडियों में मंदी के चलते किसानों के आलू मंडी में दो सौ रुपये का आलू का कट्टा बिक रहा है, जिससे किसानों की लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है। इसके कारण किसानों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे है, क्योंकि किसानों ने कर्जा लेकर आलू की खेती की थी, लेकन एक दम से आलू के दाम कम होने से किसान कर्जा में डूबते जा रहा है।
किसान मुजक्कीर अली, ललित त्यागी, सतपाल, सुखबीर शर्मा ने बताया की खेतों में आलू की पैदावार दो सही हुई है, लेकिन मंडियों में आलू का कोई भाव नहीं है। आलू का उठान नहीं होने से उनको काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। पता नहीं किसानों के साथ ही ऐसा क्यो होता है। वह तो मेहनत करके अपनी फसल उगाते है, लेकिन सही दाम न मिलने के कारण किसानों पर कर्जा हो जाता है।
मंडियों में कौडियों के भाव जा रहा आलू
किसान मुजकिर अली ने बताया कि कर्जा लेकर 80 बीघा जमीन में आलू की बुआई की, जिसमें 15 सौ से दो हजार रुपए के हिसाब से आलू का कट्टा खरीदा और दिन रात मेहनत कर लागत लगाकर खेती की। लेकिन आज मंडियों में कौड़ियों के भाव आलू बिक रहा है। उनकी लागत भी वापस नहीं मिल रही है, जिससे परिवार का अब कैसे पालन करेंगे।
आलू मंदी से किसान कर्जा में डूबा
सतपाल जाट ने बताया कि गन्ना, गेंहू छोडकर इस बार 70 बीघा आलू की फसल बोई थी। बहुत महंगा बीज मिला और बहुत मोटी लागत आई। आलू की बुआई करने में सोचा था कि गन्ने से ज्यादा आमदनी आलू की खेती में होगी, जिससे परिवार का अच्छा गुजरा होगा, लेकिन ऐसा पता नहीं था कि इतना महंगा बीज बोया और खुदाई के दौरान इतना मंदा हो जाएगा। मंडियों में भी उठान नहीं हो रहा है, जिससे खेतों में ही पड़ा आधे से ज्यादा आलू खराब हो रहा है।
बाजार में पांच रूपये किलो बिक रहा आलू
सुखबीर शर्मा ने बताया कि कई सालों से आलू की खेती कर रहे है। इस बार भी जमीन ठेके पर लेकर 60 बीघा में आलू की फसल की बुआई की थी, लेकिन अबकी बार तो हद ही हो गयी, जो आलु बाजार में चार रुपए किलो ही बिक रहे है वह कोरोना काल में 40 से 50 रुपये किलो बिक रहा था। इस बार तो लागत तो लागत खरीदे गए बीज के पैसे भी वापस नहीं हो रहे है।
खेतों में सडने लगा आलू
ललित त्यागी ने बताया कि अबकी बार 150 बीघा आलू कर्जा लेकर बोया था और बीज भी काफी महंगा आया था। जब आलू की फसल तैयार हो गयी तो दाम भी ना के बराबर हो गए। इससे किसानों पर अधिक कर्जा हो गया और जो किसानों ने सपना देखा था वह भी अधूरा रह गया। किसानों की तरफ सरकार भी ध्यान नहीं दे रही है। पता नहीं उनके नुकसान की भरपाई कैसे होगी।