Tuesday, June 17, 2025
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Meerut News: बिजली की किल्लत, बूंद-बूंद पानी के लिए भी तरसे लोग

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भीषण गर्मी के बीच आंधी बारिश राहत के साथ आफत भी लेकर आई। तूफान में पेड़ बिजली लाइनों पर गिर गए तो बारिश के पानी से अंडर ग्राउंड लाइन में कई जगह फाल्ट हो गया। जिससे शहर में 15 घंटे से ज्यादा वक्त तक बिजली गुल रही। बिजली न होने के कारण लोग पानी की एक-एक बूंद को तरस गए। दिल्ली रोड स्थित बिजली घर से जुड़ी लाइन का केबिल बॉक्स फुंक गया था। जिससे दिल्ली रोड की कॉलोनियों में कई घंटे तक बिजली गुल रही। भीषण गर्मी में जिले के कई इलाकों में बिजली कटौती के साथ पानी का भी गंभीर संकट पैदा हो गया है। पूरी तरह सप्लाई पर निर्भर क्षेत्र में पानी की समस्या सबसे विकराल रूप में नजर आ रही है। बिजली की हद से ज्यादा कटौती के कारण पेयजल किल्लत यहां बहुत बड़ी समस्या बन गई है। लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं।

तूफान ने ऐसी तबाही मचाई है। तीन दिन हो गए हैं, अब तक जन-जीवन सामान्य नहीं हो पाया है। आलम ये कि बिजली गुल होने के कारण लोग बूंद-बूंद पानी के लिए इस भीषण गर्मी में तरस गए हैं। मुख्य मार्गों पर पेड़ और पेड़ की डाल गिरने से आवागमन पूरी तरह से प्रभावित है। आंधी-तूफान के चार दिन बाद भी बिजली सप्लाई पटरी पर नहीं आ पा रही है। बिजली संकट के चलते पानी के लिए भी लोगों को तरसना पड़ रहा है। शहर के कुछ अंदरुनी इलाकों में तो बूंद-बूंद पानी की किल्लत हो गयी है। दरअसल हो यह रहा है कि इन तमाम इलाकों में पानी तभी मिल पाता है, जब बिजली आ रही हो। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर घरों में सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं, ये पंप तभी चलेंगे, जब बिजली आएगी। यदि बिजली नहीं आएगी तो तमाम गली मोहल्लों व घरों में लगाए गए ये पंप नहीं चालू होंगे। महानगर के यदि बात करें तो ज्यादातर घरों में पानी की सप्लाई इसी प्रकार के पंपों के बूते पर की जाती है। जून की गर्मी और उस पर बिजली संकट उस पर तुर्रा ये कि जब बिजली नहीं तो पानी भी नहीं। लोगों का कहना है कि जून की गर्मी में बिजली और पानी के बगैर रहना किसी मुसीबत से कम नहीं है। जिन इलाकों में ज्यादा संकट वहां के लोग ने बताया कि जब वो लोग बिजलीघर पहुंचते हैं तो बताया जाता है कि पीछे से नहीं आ रही है। शटडाउन लखनऊ से लिया हुआ है।

उपभोक्ताओं को इस प्रकार का उत्तर देने वाले बिजलीघर के अधिकारियों को शायद यह नहीं जानकारी कि पीवीवीएनएल लखनऊ यूपीपीसीएल से खरीद कर उपभोक्ताओं को बेचता है तो फिर लखनऊ से शटडाउन की बात कहकर कैसे उपभोक्ताओं को टकरा दिया जाता है। चार दिन पहले आया आंधी तूफान मानसूनी नहीं था। दिल्ली एनसीआर में मानसून सक्रिय होना अभी बाकि है जब मानसून पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा और आंधी तूफान के साथ सक्रिय होगा, यदि अब यह हाल है तो भयंकर मानसूनी बारिशों के दौरान बिजली आपूर्ति की दिशा व दशा क्या होगी यह तो अफसर ही बात सकते हैं। केवल शहर की पुरानी व धनी आबादी की बात भर नहीं है। पूरे महानगर की यदि बात करें तो पॉश कॉलोनियां, सैन्य क्षेत्र, प्रमुख बाजार, व रिहायशी इलाके जहां भी जनवाणी संवाददाता ने बिजली आपूर्ति की जानकारी की, वहां से बताया गया कि 10 मिनट की सप्लाई और एक घंटे की कटौती। कई बार तो आधा घंटे लाइट दी जाती है तो चार घंटे का कट। जिस इलाके में एक ही झटके में चार घंटे का कट लग जाएगा वहां मई की जानलेवा गर्मी में लोग किस प्रकार से गुजारा कर रहे होंगे इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

आंधी तूफान से सप्लाई सिस्टम को बड़ा नुकसान

आंधी तूफान ने पीवीवीएनएल के सप्लाई सिस्टम को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। तेज हवाओं व भारी बारिश के चलते तमाम विशाल पेड़ टूटकर हाइटेंशन लाइनों पर जा गिरे। सड़कों पर लगा गए विज्ञापन पटों ने लाइनों को सबसे ज्यादा डेमेज किया है। शहर के आउटर इलाकों में कई जगह तो पेड़ों के साथ बिजली के खंभे तक उखाड़ कर सड़क पर आ गिरे हैं। बीते शनिवार तक स्थिति यह थी कि रास्ते ही महज साफ कराए जा सके थे। ऊर्जा भवन के प्रवक्ता एचके सिंह ने पीवीवीएनएल के हवाले से से बताया कि दिन रात स्टाफ काम कर रहा है। आला अफसर खुद मौके पर मौजूद हैं। इसके अलावा जहां से भी शिकायत मिलती है, वहां अलग से टीम रवाना कर दी जाती है। पूरा महकमा सभी 14 जनपदों में दिन रात काम पर लगा है। हर संभव प्रयास है कि सप्लाई में निरंतरता रखी जाए। वहीं, दूसरी ओर आंधी तूफान के तुरंत बाद खुद एमडी ईशा दुहण खुद हालात का जायजा लेने के लिए निकल गयीं, लेकिन आंधी तूफान ने जितना बड़ा नुकसान सप्लाई सिस्टम के पहुंचाया है अफसरों का कहना है कि काफी हद तक काबू में कर लिया गया है, जो थोड़ा बहुत काम रह गया है उसको भी पूरा कर लिया जाएगा। शहर और देहात दोनों ही जगह आपूर्ति काफी हद तक सामान्य कर ली गयी है। लोगों की शिकायतों को भी प्राथमिकता के आधार पर अटेंड किया जा रहा है।

जनता की परेशानी से नुमाइंदे बेखबर

लोगों का कहना है कि जिन्हें उन्होंने चुनकर भेजा वो उनकी समस्या से बेखबर बने हुए हैं। लोगों का कहना है कि कम से कम वो तो उनकी आवाज उठाएं जिनको चुना है। जब चुनने के बाद आवाज अपने वार्ड व इलाके के लोगों की आवाज नहीं उठाएंगे तो फिर ऐसे नुमाइंदे का जनता क्या करेगी।

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