हल्के में लेने की गलती न करें
यदि आप दसवीं या बारहवीं क्लासेज के स्टूडेंट्स हैं तो बहुत हद तक संभव है कि आपकी प्री-बोर्ड परीक्षाओं के डेट शीट आपके पास आ चुके होंगे और आप इन परीक्षाओं में अच्छे मार्क्स के लिए तैयारी भी शुरू कर दी होगी।
बोर्ड की कक्षाओं के स्टूडेंट्स के लिए प्री-बोर्ड परीक्षा को ‘आयरन गेट’ माना जाता है, क्योंकि यह परीक्षा मार्च में आयोजित होने वाले फाइनल परीक्षा के पूर्व का रिहर्सल और बारहवीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए स्कूली शिक्षा के अंत का काउंटडाउन होता है।
यही कारण है कि प्री-बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों के गंभीर अर्थ होते हैं। साथ ही इस परीक्षा के रिजल्ट्स फाइनल परीक्षा में छात्रों के परफॉरमेंस पर एक रिपोर्ट कार्ड जैसा काम करता है। लेकिन दुर्भाग्यवश छात्र इतनी महत्वपूर्ण परीक्षाओं को संजीदिगी से नहीं लेते हैं। यही कारण है कि इन परीक्षाओं में छात्रों का प्रदर्शन अच्छा नहीं हो पाता है।
प्री-बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक अच्छी प्लानिंग और स्ट्रेटेजी बनाना अनिवार्य हो जाता है, क्योंकि यदि कोई स्टूडेंट प्री-बोर्ड परीक्षाओं में अच्छा परफॉर्म कर लेता है तो उसका कॉन्फिडेंस लेवल काफी हाई हो जाता है।
प्री-बोर्ड परीक्षाओं के लिए यदि छात्र निम्न बातों का ध्यान रखे तो एक बेहतर रिजल्ट्स प्राप्त करने में कोई संदेह नहीं रह जाता है-
सब्जेक्ट्स के सिलेबस को अच्छी तरह से जानें
किसी विषय का पाठ्यक्रम एक रोड मैप का काम करता है, क्योंकि उसी के आधार पर परीक्षा की तैयारी के लिए प्लानिंग बनाई जाती है। लिहाजा सभी सब्जेक्ट्स के सिलेबस को अच्छी तरह से जानना प्री-बोर्ड परीक्षा की तैयारी की यात्रा में पहला महत्वपूर्ण कदम होता है। इस संदर्भ में निम्न बातों का ध्यान रखना लाभप्रद होता है-
- परीक्षा में सभी सब्जेक्ट्स के सिलेबस को अच्छी तरह से जानें और प्रत्येक चैप्टर के अलॉटटेड मार्क्स के बारे में एक लिस्ट तैयार कर लें।
- पाठ्यक्रम में हाई और लो मार्क्स वाले चैप्टर्स के लिस्ट बना लेना भी एक अच्छी स्ट्रेटेजी मानी जाती है।
- प्रश्नों के उत्तर में जरूरत के हिसाब से डाइग्राम्स और ग्राफ्स का प्रयोग, विशेषकर बायोलॉजी, मैथमेटिक्स, इकोनॉमिक्स, फिजिक्स और केमिस्ट्री जैसे विषयों में अच्छे मार्क्स दिलाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक यूनिट में ऐसे चैप्टर का चयन कर लेने से परीक्षा की तैयारी काफी आसान हो जाती है।
- परीक्षाओं में अच्छे परसेंट और सफलता के लिए न्यूमेरिकल प्रश्नों की भूमिका को भी हम नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। साइंस के विषयों के अतिरिक्त ह्यूमनिटीज के विषयों उदाहरण के लिए इकोनॉमिक्स और कॉमर्स में एकाउंटेंसी में भी इस प्रकार के बहुत सारे प्रश्न पूछे जाते हैं।
इस प्रकार के प्रश्नों की स्कोरिंग काफी अच्छी होती है, लेकिन इसमें मास्टरीके लिए कठिन मेहनत और कंसिस्टेंट प्रैक्टिस की जरूरत होती है। ऐसे प्रश्नों के उत्तर स्टेपवाइज देने चाहिए क्योंकि इनके मार्क्स स्टेप वाइज ही दिए जाते हैं। इसलिए अपने सब्जेक्ट में वैसे चैप्टर्स की पहचान करें, जिनसे न्यूमेरिकल प्रश्न पूछे जाते हैं और फिर उनकी अच्छी तैयारी करें।
योजना बनाएं और और उसे स्ट्रिक्टली फॉलो करें
प्लानिंग को हर लक्ष्य प्राप्ति का आधारशीला माना जाता है। क्योंकि प्राय: ऐसा कहा जाता है कि यदि आप अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए योजना बनाने में असफल रहते हैं तो आप असफल होने की योजना बना रहे होते हैं। आशय यह है कि प्री-बोर्ड जैसे अहम परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक परफेक्ट प्लानिंग काफी जरूरी है।
लेकिन प्लान रियलिस्टिक हों-आदर्श योजना समय, संसाधन और कठिन मेहनत की बरबादी के सिवाय कुछ नहीं होता है।
प्लानिंग करने के पूर्व स्टूडेंट्स को निम्न बातों को ध्यान में अवश्य रखना चाहिए-
- परीक्षा की तैयारी के लिए समय और संसाधानों की उपलब्धता।
- इस परीक्षा में आपका लक्ष्य क्या है?आप क्या और कितना अचीव करना चाहते हैं?
- आप अपने लक्ष्य के प्रति कितने कठोर और कर्तव्यनिष्ठ हैं?
- आप धैर्यपूर्वक एक स्थान पर बैठकर कितनी देर पढ़ सकते हैं?
- और सबसे महत्वपूर्ण, आप अपने लक्ष्य प्राप्ति के प्रति कितने समर्पित हैं?
डरें नहीं और न ही निराश हों
कोरोना के संकट काल मे प्री-बोर्ड परीक्षाओं के पैटर्न और टाइम मे काफी तब्दीलियां आई हैं। इस कारण परीक्षा की तैयारी के लिए स्टूडेंट्स मनोवैज्ञानिक रूप से काफी डरे हुए हैं। यह स्थिति काफी घबराहट और बेचैनी की होती है। लेकिन यह समय घबराने और खुद को कोसने का नहीं होता है।
समय सीमा को ध्यान में रखकर धैर्यपूर्वक और पॉजिटिव सोच के साथ छात्रों को परीक्षा की तैयारी नियमित रूप से करते रहना चाहिए। इससे टास्क आसान हो जाता है।
सब्जेक्ट्स की केटेगरी बना लें
इस बात से कदाचित ही कोई इनकार कर पाए कि प्रत्येक स्टूडेंट का अपने मनपसन्द सब्जेक्ट्स होते हैं, जिनकी तैयारी के लिए उसे अधिक समय नहीं देना होता है और न ही अधिक प्रयास करना होता है। किंतु सभी छात्रों के लिए कुछ विषय अपेक्षाकृत कठिन होते हैं।
ऐसी स्थिति में यदि सभी विषयों को फेवरिट और नॉन-फेवरिट के आधार पर बांट लें तो तैयारी जल्दी और अधिक आसान हो जाती है।
इतना करने के बाद जो सब्जेक्ट्स डिफिकल्ट की केटेगरी में आते हैं, उनकी तैयारी के लिए अधिक टाइम देना अच्छा रहता है। प्राथमिकता के आधार पर इस प्रकार की तैयारी और प्लानिंग से टाइम मैनेजमेंट की प्रॉब्लम भी सोल्व हो जाती है।
आब्जेक्टिव टाइप के प्रश्नों की अनदेखी नहीं करें
आब्जेक्टिव और बहु-विकल्पी प्रश्न (मल्टीप्ल चॉइस क्वेस्चन्स) परीक्षा में मार्क्स दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। कोरोना के बदले हालात मे जहां प्री-बोर्ड परीक्षाओं में आब्जेक्टिव और बहु-विकल्पी प्रश्न (मल्टीप्ल चॉइस क्वेस्चन्स) ही पूछे जाएंगे तो इस लिहाज से संपूर्ण सिलेबस का गहन और सूक्ष्म अध्ययन आवश्यक होता है।
ऐसे प्रश्नों की तैयारी के लिए इंर्पोटेंट फैक्टस, फिगर्स, फॉर्मूले, इनवेंश्न और डिस्कवरी की महत्वपूर्ण तिथियों, महत्वपूर्ण घटनाओं के घटित होने के वर्ष और उनके तात्कालिक कारण और परिणाम, विविध कॉन्सेप्ट्स और उनसे रिलेटेड सभी खास इन्फॉर्मेशन को जानना और उन्हें आत्मसात करना अनिवार्य होता है।
लास्ट बट नोट दि लीस्ट
परीक्षा छात्र के जीवन और करियर निर्माण के लिए एक स्टेपिंग स्टोन का काम करता है। लेकिन इस सच से कदाचित ही कोई इनकार कर पाए कि यह जीवन से कभी बड़ी नहीं होती है।
लिहाजा यदि आप प्री-बोर्ड परीक्षाओं के लिए अच्छी तैयारी करने में असफल रहते हैं तो इसका अर्थ कदापि यह नहीं है कि आप अपने जीवन की बाजी हार गए हैं। आपका लक्ष्य फाइनल परीक्षा में बेहतर करना होना चाहिए और इसके लिए खुद को मानसिक रूप से मजबूत और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखें।
-एसपी शर्मा