प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य और सैक्स समस्याओं के बारे में बात करना भारत में अच्छा नहीं माना जाता। यहां मेनोपॉज की अक्सर उपेक्षा की जाती है। मेनोपॉज एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है जो एक स्त्री के जीवन में महत्त्वपूर्ण शारीरिक व मनोवैज्ञानिक बदलाव लाती है। यह एक अत्यंत कठिन दौर हो सकता है और इसका अनुभव किन्हीं भी दो स्त्रिायों में एक समान नहीं होता। अत्यंत गर्मी लगना, रात में पसीना आना, योनि का सूखना, अनियमित मासिक धर्म, यौनेच्छा में कमी आना और मिजाज में चिड़चिड़ापन आना आदि मेनोपॉज की अवस्था में पहुंचने के सामान्य लक्षण होते हैं।
मेनोपॉज स्त्री जीवन में प्रजनन क्षमता के अंत की ओर इशारा करता है। इसको एक ऐसे समय के रूप में परिभाषित किया गया है जब एक स्त्री का मासिक धर्म पूरी तरह से रूक जाता है। उसी स्त्राी को मेनोपॉज के दौर से गुजरा हुआ माना जा सकता है जिसे पूरे एक साल तक मासिक धर्म न हुआ हो। अधिकतर स्त्रियों के जीवन में यह 40 से 50 वर्ष की आयु के बीच में होता है। यदि यह 40 की आयु के पहले हो जाए तो असामयिक समझा जाता है।
मेनोपॉज के संक्रमण दौर को ‘प्रीमेनोपॉज’ कहा गया है। रात में पसीना आना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, तनाव, उत्कंठा, चिड़चिड़ापन, मिजाज परिवर्तन, याददाश्त समस्या व एकाग्रता में कमी होना, योनि का सूखना और बार-बार पेशाब लगना आदि इसके सामान्य लक्षण हैं। मेनोपॉज के समय एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो जाने के कारण स्त्रिायों में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
प्री मेनोपॉज जीवन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और इसे कोई बीमारी या गड़बड़ी नहीं समझना चाहिए, इसलिए यह जरूरी नहीं कि इसके लिए किसी उपचार की आवश्यकता हो ही। बहरहाल, ऐसी स्थिति में, अब प्रीमेनोपॉज के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक प्रभाव आपकी दैनिक गतिविधियों में अत्यधिक व्यवधान उत्पन्न करने लगें और जीवन स्तर को भी घटा दें, तब चिकित्सकीय उपचार की सहायता लेना आवश्यक हो जाता है।
मेनोपॉज संबंधी परिस्थितियों के लिए बहुत सारे उपचार के विकल्प मौजूद हैं। इनमें से हार्मोनल थेरेपी सबसे कारगर रही है। यह वयस्क हो रही महिलाओं में हड्डियों के कमजोर होने के खतरे को भी कम कर देती है। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी या मेनोपॉजल हार्मोन थैरेपी वाहिकाप्रेरक लक्षणों जैसे कि अत्यधिक तीव्रता और योनि के सूखने हेतु सबसे प्रभावी उपचार है।
यदि स्त्रिायों को केवल योनि के सूखने की समस्या है तो एस्ट्रोजन की कम खुराक द्वारा उनका उपचार किया जाना चाहिए।
ऐसी स्त्रियां जिनमें गर्भाशय अब भी मौजूद हो, उन्हें गर्भाशय के कैंसर से बचाने के लिए प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का मिश्रण देना चाहिए। इस मिश्रित उपचार की अवधि हेतु सामान्यतया पांच साल या उससे कम की सलाह दी गई है और प्रत्येक स्त्राी के लिए इसका उपचार अलग तरह से होना चाहिए।
जिन स्त्रिायों में गर्भाशय को निकाल दिया गया है उन्हें केवल एस्ट्रोजन लेने की सलाह दी जाती है। लंबे समय तक थेरेपी लेने वाली स्त्रियों को सुरक्षा की दृष्टि से केवल एस्ट्रोजन लेने की सलाह दी जाती है। बहरहाल, थेरेपी लेने से पहले उसके चिकित्सक से उसकी सुरक्षा के बारे में मशविरा करना जरूरी है।
वानस्पतिक स्रोतों की पोषक थैरेपी भी कारगर है जो कि सोयाबीन उत्पादों, मटर, दाल, लौंग और बीन्स में फाइटोएस्ट्रोजन के रूप में भी उलब्ध है। स्त्रिायों को हड्डियों को कमजोर होने से बचने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी को अनुपूरक के रूप में ग्रहण करने की सलाह भी दी जाती है। हड्डियों के विकास को स्फूर्ति प्रदान करने और अवशोषण को कम करने के लिए तो व्यायाम जरूरी है ही, साथ ही यह हृदय संबंधी स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है।
सार यह है कि अगर आपको सिर में अचानक ही तीव्र ऊष्मा महसूस हो जो आपके पूरे शरीर में फैल जाए या फिर आधी रात को आप अचानक ही नींद से जागते हुए खुद को पसीने से तरबतर पाएं या फिर आपका मासिक अनियमित हो जाए तो संभव है कि आप मेनोपॉज से पहले के लक्षणों से गुजर रही हों।
ऐसे में उसे चुपचाप सहने या नजरअंदाज करने के बजाय सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि स्त्राीरोग विशेषज्ञ से जल्द से जल्द संपर्क करें। मेनोपॉज से निबटने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करने महत्त्वपूर्ण हैं जिनमें शामिल हैं संतुलित आहार और व्यायाम।
खुंजरि देवांगन
What’s your Reaction?
+1
+1
1
+1
+1
+1
+1
+1