- रंग लाई जनवाणी की मुहिम: 15 जनवरी को एनजीटी के समक्ष पेश होंगे जिलाधिकारी
- सैफपुर से लेकर पांडवान तक पूर्ण प्रवाह में बहेगी बूढ़ी गंगा
- 15 जनवरी तक ही पेटीशनर प्रियंक भारती भी दाखिल करेंगे रिपोर्ट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एक ओर अयोध्या में भगवान राम की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाने की तैयारी है तो उधर, हस्तिनापुर की संस्कृति में महाभारतकालीन उदय की। महाभारत काल के इतिहास से वैसे तो हर कोई वाकिफ है, लेकिन यह बात अलग है कि सिंचाई विभाग इसके इतिहास पर ज्यादा गंभीर नहीं दिखता। वो तो बूढ़ी गंगा के अस्तित्व को ही नकार चुका है।
हस्तिनापुर उस समय कौरवों की वैभवशाली राजधानी हुआ करती थी।
हस्तिनापुर के महाभारतकालीन अवशेष भले ही आज भी हस्तिनापुर की सरजमीं को जिन्दा रखे हुए हैं, लेकिन यहां बहने वाली गंगा अब बूढ़ी हो चुकी है। इसके उद्धार के लिए नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट ने बीड़ा उठाया। ‘दैनिक जनवाणी’ ने भी समय समय पर ‘बूढ़ी गंगा’ के अस्तित्व को बचाने के लिए इसमें सहभागिता की और प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किए। नतीजा यह हुआ कि बूढ़ी गंगा के लिए किए जा रहे प्रयासों कोे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिला। यूएन (संयुक्त राष्ट्र) तक मामला जा पहुंचा।
पिछले दिनों केन्या में संयुक्त राष्ट्र संघ के यूनाइटेड नेशन एनवायरमेंट कार्यक्रम के अंतर्गत हुईबैठक के दौरान भी बूढ़ी गंगा का यौवन लौटाने पर बात हुई। इस बैठक के दौरान वर्ल्ड वॉटर एलायंस की कोआॅर्डिनेटर एन्हम ने भी बूढ़ी गंगा के महत्व को समझा और यूएन की ओर से पूरी मदद का आश्वासन दिया। अब इस पूरे प्रकरण पर एनजीटी भी सक्रिय हो चुका है। एनजीटी ने इस मामले में मेरठ के जिलाधिकारी को उपस्थित होने के लिए कहा है।
नेचुरल साइंस ट्रस्ट के प्रो. प्रियंक भारती के अनुसार 15 जनवरी को डीएम मेरठ एनजीटी के समक्ष उपस्थित होंगे। इसके अलावा प्रियंक भारती को खुद भी 15 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी है। सैफपुर फिरोजपुर से लेकर हस्तिनापुर पांडवान तक बूढ़ी गंगा पूर्ण प्रवाह के साथ बहे, इसके लिए पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। उल्लेखनीय है कि अभी तक बूढ़ी गंगा का पूर्ण प्रवाह हस्तिनापुर कौरवान एंव पांडवान में नहीं है।