- तर्क: टेस्टिंग में आ रहा ज्यादा खर्च, मेडिकल व दूसरी सरकारी लैब पर बढ़ा दबाव, देरी से मिल रही रिपोर्ट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर की तमाम प्राइवेट लैब ने कोविड-19 के सैंपलों की टेस्टिंग बंद कर दी है। उनका तर्क है कि राज्य सरकार की ओर से 700 रुपये में कोविड-19 टेस्टिंग की दर तय की गयी है, लेकिन इसमें खर्च इससे काफी ज्यादा आ रहा है। जिसकी वजह से फिलहाल टेस्ट बंद कर दिए जाने का निर्णय लिया गया है। प्राइवेट लैबों में टेस्टिंग बंद कराए जाने के बाद पूरा दबाव अब सरकारी टेस्टिंग लैबों पर आ गया है। जिसके कारण सबसे ज्यादा आफत संक्रमण के संदिग्ध मरीजों की आ गयी है।
एंटीजन से चला रहे काम
शहर के तमाम चिकित्सकों का कहना है कि उनके यहां आने वाले ऐसे मरीज जिनका आरटीपीसीआर कराया जाना वो बेहद जरूरी समझ रहे हैं, ऐसे मरीजों के अब एंटीजन टेस्ट कराकर काम चलाया जा रहा है। हालांकि इसकी रिपोर्ट को शत-प्रतिशत सही नहीं माना जाता। कई बार संशय की आशंका बनी रहती है, लेकिन इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है।
जरूरत पर आफ द रिकॉर्ड टेस्ट
साधन संपन्न तमाम ऐसे मरीजों की काफी संख्या बतायी जाती है जो आॅफ द रिकॉर्ड कोविड-19 टेस्ट प्राइवेट लैब में करा रहे हैं। इसके लिए वो जो भी रेट प्राइवेट लैब तय कर रही हैं, वो दे रहे हैं। दरअसल, चिकित्सकीय पेशे से जुडेÞ लोगों का कहना है कि जो सरकारी रेट टेस्ट के लिए तय किया गया है। उस रेट पर व्यावहारिक तौर पर फिलहाल संभव नहीं है। इस निर्णय पर दोबारा विचार किए जाने की जरूरत है।
गंभीर मरीजों के लिए खतरा
प्राइवेट लैबों के द्वारा कोविड-19 की टेस्ंिटग को बंद कराया जाना ऐसे गंभीर मरीजों के लिए बेहद खतरनाक माना जा रहा है। जिन्हें इमरजेंसी हालात में टेस्टिंग करानी होती है। दरअसल, प्राइवेट लैब से 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट आ जाती थी। जबकि सरकारी टेस्टिंग रिपोर्ट कई बार 48 घंटे में भी नहीं आ पाती। कई बार रीसैंपल का मैसेज आता है। तब तक संदिग्ध संक्रमित मरीज नाजुक अवस्था में पहुंच जाता है।
सरकारी लैब पर बढ़ा दबाव
निजी लैबों के कोविड-19 की टेस्टिंग बंद कर दिए जाने के बाद से मेडिकल, सुभारती व मुलायम सिंह सरीखे सरकारी लैबों पर दबाव बढ़ गया है। जबकि पहले जब निजी लैबों में टेस्टिंग चल रही थी तब सरकारी लैबों में टेस्टिंग को लेकर इतनी मारामारी नहीं थी। इतना ही नहीं इन लैब से आने वाली रिपोर्ट में भी अब देरी हो रही है। कई बार रीसैंपल का मैसेज भी आता है। उससे रिपोर्ट आने में करीब पांच से छह दिन का समय निकल जाता है।
ये है लैब की स्थिति
शहर में यदि कोविड-19 का पता लगाने के लिए टेस्टिंग लैब की बात की जाए तो जहां आरटीपीसीआर टेस्ट कराया जा सकता है ऐसी सरकारी लैबों में मेडिकल की माइक्रोबॉयलोजी लैब के अलावा मुलायम सिंह यादव व सुभारती में इसका इंतजाम किया गया है। इसके अलावा शहर में कुल करीब 250 लैब में से अधिकृतक रूप से जो आरटीपीसीआर टेस्ट कर रही थीं। उनमें लाल पैथ लैब, मॉडर्न लैब, रैनबैक्सी, एसआरएल व एक अन्य शामिल हैं, लेकिन करीब दो दर्जन लैब ऐसी भी बतायी जाती हैं, जो सैंपल लेकर आगे भेज देती हैं। वैसे मेरठ में कुल लैब की संख्या करीब 300 आंकी जाती है।
ये कहना है नर्सिंग होम एसोसिएशन का
नर्सिंग होम एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. शिशिर जैन का कहना है कि प्राइवेट लैब में कोविड-19 टेस्टिंग बंद होने से पूरी तरह से अब एंटीजन टेस्ट पर निर्भर हो गए हैं। उसको शत-प्रतिशत सही नहीं माना जाता है। अब सरकारी टेस्टिंग लैब पर भी दबाव बढ़ गया है।
ये कहना है सीएमओ का
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन का कहना है कि 700 रुपये में टेस्टिंग का निर्णय जनहित को देखते हुए लिया गया है। इसके पीछे उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को टेस्टिंग के लिए प्रेरित करना है। ताकि संक्रमण पर शीघ्र काबू पाया जा सके। लैब भी चिकित्सकी पेशे से जुड़ा है और चिकित्सकीय पेशा सेवा का पेशा है।