- मॉडर्न, रेनबैक्सी, लाल पैथलैब और एसआरएल में करायी जा रही है जांच
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोरोना संक्रमण के चलते निजी पैथलैब मरीजों में खौफ का माहौल पैदा कर रही हैं। यह स्थिति तो तब है सिर्फ कुछ ही पैथलैबों में जांच का काम किया जा रहा है।
हालांकि इससे पूर्व स्वास्थ्य विभाग पैथ की रिपोर्ट को मान्यता नहीं देता। ऐसे मामलों में केवल मेडिकल अस्पताल स्थित माइक्रोबॉयलॉजी में करायी जाने वाली जांच को ही स्वास्थ्य विभाग शत-प्रतिशत सही मानता है।
निजी पैथलैबों की रिपोर्ट में खामियों की पर्याप्त गुंजाइश बतायी जाती थी। मॉडर्न पैथलैब में कोरोना की जांच को लेकर हुए बवाल को अभी लोग भूले नहीं हैं।
दरअसल कोरोना संक्रमण के तेजी से सामने आ रहे मामलों तथा सरकारी लैब में स्टाफ व अन्य संसाधनों की कमी के चले ही सरकार को निजी पैथलैबों का मोहताज बनना पड़ा। जिस तेजी से संक्रमण के केस मिल रहे हैं। उसके चलते निजी पैथलैबों में हो रही जांचों को अभी नाकाफी माना जा रहा है।
फाइव स्टार संस्कृति की तर्ज पर शहर में जगह-जगह खुले निजी पैथलैबों के आउटलेट पर अपना धंधा चमकाने जमाने के लिए मरीजों और तीमारदारों में डर फैलाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। बताया गया है कि ऐसे पैथलैबों में अक्सर मामूली खांसी व छींक को लेकर मरीज के मन में कई प्रकार की शंकाए पैदा कर नयी-नयी जांच कराए जाने को कहा जाता है।
जान है तो जहान है, यही सोचकर फिर मरीज इनके द्वारा बतायी जाने वाली तमाम जांचें कराने को मजबूर होता है। भले ही उनमें कुछ भी न आए। निजी पैथलैबों ने शहर भर में अपने एजेंट छोडे हुए हैं। ये एजेंट तमाम प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम पर मिल जाएंगे। इसके अलावा निजी चिकित्सक भी इनकी सेवाएं लेते रहते हैं।
इन एजेंटों का काम सिर्फ प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिंग होम से ज्यादा से ज्यादा जांच कलेक्ट करना है। पैथलैबों की ओर से अपना धंधा जमाने के लिए जहां से काम मिलता है उनको ठीकठाक कमीशन का भी आफर किया जाता है। इतना ही नहीं जिनकी ओर से ठीकठाक धंधा आता रहता है। ऐसे कुछ चिकित्सकों के लिए खास पैकेज की भी व्यवस्था इनकी ओर से किए जाने की बात सुनने में आयी है। हालांकि ऐसे चंद ही चिकित्सक सुने जाते हैं।
जगह-जगह आउटलेट और होम डिलीवरी
प्राइवेट पैथलैबों के पूरे शहर में मोबाइल कंपनियों की तर्ज पर आउटलेट खोल दिए गए हैं। इसके अलावा होम डिलीवरी की भी सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा मोबाइल कंपनियों की भांति जांच के नाम पर अलग-अलग पैकेज मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। मकसद सिर्फ मरीज की जेब हल्की भर करने का है।
प्राइवेट लैब में अब आरटीपीसीआर और एंटीजन टेस्ट की सुविधा
प्राइवेट लैब भी कोरोना का पता लगाने के लिए आरटीपीसीआर व एंटीजन टेस्ट की सुविधा दे रहे हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण काल शुरू होने के बाद शुरूआती समय में प्राइवेट लैबों में किए जाने वाले टेस्टों को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। ये विवाद मॉडर्न लैब में करायी गयी जांचों को लेकर शुरू हुआ था।
मेरठ में फिलहाल मॉडर्न पैथलैब, लाल पैथलैब, एसआरसी पैथलैब, रैनबैक्सी पैथलैब की ओर से आरटीपीसीआर जांच कराए जाने की सुविधा दी गयी है। इसके अलावा पैथ काइंड में एंटी बॉडी का पता लगाने के लिए एंटीजन टेस्ट कराया जा सकता है। शरीर में इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए एंटीजन टेस्ट कराया जा सकता है।
आईजीएसम व आईजीजी का पता किया जाता है। आईजीएम अर्थात व्यक्ति के शरीर में इन्फे क्शन नया है। मसलन आठ से 12 दिन पुराना इन्फेक्शन है। डाक्टर की सलाह से उसका इलाज कराया जाना चाहिए। आईजीजी मसलन इन्फेक्शन पुराना था जो होने के बाद ठीक भी हो गया। ये बात अलग है कि उसका पता नहीं चला और मरीज ठीक भी हो गया।
ये कहना है आईएमए के स्टेट सेक्रेटरी का
आईएमए के स्टेट सेक्रेटरी डा. शिशिर गुप्ता का कहना है कि एक तय संख्या में निजी लैब को टेस्ट की अनुमति दी गयी है। यदि कोई अधिक कर रहा है तो ये देखना स्वास्थ्य विभाग का काम है।