Friday, May 2, 2025
- Advertisement -

भारतीय रेल के समक्ष समस्याओं का अंबार

Samvad 52


31 18भारतीय रेल नेटवर्क विश्व के पांच सबसे बड़े रेल नेटवर्क में चौथे नंबर पर गिना जाता है। अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारतीय रेल नेटवर्क का स्थान है, जबकि पांचवें स्थान कनाडा रेल व्यवस्था का है। इन देशों की ही तरह भारतीय रेल व्यवस्था भी आधुनिकीकरण, विकास व बदलाव के मार्ग पर पर तेज रफ़्तार से दौड़ रही है। भारतीय रेल पूरे देश के मीटर गेज नेटवर्क को ब्रॉडगेज में बदलने और ब्रॉड गेज नेटवर्क के शत प्रतिशत विद्युतीकरण के क्षेत्र में भी बहुत तेजी से काम कर रहा है। निश्चित रूप से रेल के विद्युतीकृत होने से जहाँ पर्यावरण को लाभ होगा वहीं डीजल पर निर्भरता भी कम होगी। साथ साथ रेल की शक्ति व गति में भी इजाफा होगा। रेलवे लाइंस को फाटक रहित बनाने की दिशा में भी बहुत तेजी से काम हुआ है। देश भर में हजारों अंडर पास बनाए जा चुके हैं और बनाए जा रहे हैं। मुसाफिरों के बढ़ती संख्या के चलते ट्रेन्स की बढ़ती लंबाई के मद्देनजर सैकड़ों स्टेशन के प्लेटफॉर्म की लंबाई बढ़ाई जा रही है। यात्री रेल नेटवर्क के अतिरिक्त हजारों करोड़ की लागत से मालगाड़ियों के लिए समर्पित एक रेल गलियारा निर्माण की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी तेजी से काम कर रहा है। हालांकि गत दिनों भारतीय रेल ने ‘अनिवार्यता’ होने पर इस विशेष ट्रैक पर अपनी यात्री गाड़ियां यदि चलाने की अनुमति तो जरूर ले ली है, परंतु मुख्यत: इस पर केवल मालगाड़ियों का ही संचालन किया जाएगा।

जहां भारतीय रेल आधुनिकीकरण, विकास तथा विस्तार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं अनेक प्रकार की समस्याओं से भी जूझ रहा है। ट्रेन व यात्रियों की सुरक्षा रेल व्यवस्था से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है। इस समय देश में चार अलग-अलग मार्ग पर चार वंदे भारत ट्रेनें दौड़ रही हैं। 200 किलोमीटर प्रति घंटा दौड़ने की क्षमता रखने वाली वंदे भारत की अधिकतम गति सीमा 130 किमी प्रति घंटा निर्धारित की गई है। रेलवे की योजना अनुसार अमृत महोत्सव वर्ष के दौरान शताब्दी से भी आधुनिक व तेज रफ़्तार समझी जाने वाली कुल 75 वंदे भारत ट्रेनें पूरे देश में विभिन्न रेल मार्गों पर चलाई जानी हैं।

परंतु पिछले दिनों मात्र सवा महीने के दौरान वंदे भारत ट्रेन चार हादसों का शिकार हुई। कहीं वंदेभारत गाय से टकराकर क्षतिग्रस्त हुई तो कहीं भैंस के झुंड से टकराई। कहीं इससे टकराकर किसी महिला की मौत हो गई तो कहीं इसके पहिये जाम हो गए। इन दुर्घटनाओं ने जहां रेल ट्रैक की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए वहीं वंदे भारत की तकनीकी त्रुटि भी सामने आई। यहां यह जानना भी जरूरी है कि ये हादसे चूंकि नवचलित व तीव्र गामी (सेमी हाई स्पीड) ट्रेन वंदे भारत जैसी वीआईपी ट्रेन के साथ हुए, इसलिए खबरों की सुर्खियां बने और चर्चा में आए। जैसे राजधानी व शताब्दी ट्रेन्स से जुड़ी कोई खबर सुर्खियां बन जाया करती हैं।

इन हादसों का एकमात्र कारण यही है कि देश का लगभग पूरा रेल मार्ग खुला रेल मार्ग है, जिन पर पशुओं से लेकर इंसानों तक का आना जाना या इसे पार करना आसान हो जाता है। इसी वजह से देश में कई बार अपराधियों व शरारती तत्वों द्वारा रेल लाइन पर तोड़फोड़ की कार्रवाई भी की जाती रही है। अब शायद वन्दे भारत के हादसों के बाद रेल विभाग की नींद खुली है। तभी रेलवे ने ट्रेनों से पशुओं के टकराने की घटना को रोकने के लिए एक मास्टरप्लान तैय्यार किया है। खबरों के अनुसार रेल मंत्रालय ने एक विशेष प्रकार की बाउंड्री वॉल की नई डिजाइन को अनुमति दी है। नई बाउंड्रीवाल अगले 5-6 महीनों में कुछ विशेष रेल मार्गों पर पटरियों के किनारे लगाई जाने का प्रस्ताव है। प्रारंभिक चरण में एक हजार किलोमीटर रेलवे ट्रैक्स पर दोनों तरफ से सुरक्षा दीवार बनाई जाएगी।

जिन रेल मार्गों को बाउंड्रीवाल के निर्माण हेतु चिन्हित किया गया है उनमें उत्तर मध्य रेलवे और उत्तर रेलवे के झांसी मंडल (वीरांगना लक्ष्मीबाई-ग्वालियर खंड), प्रयागराज मंडल (पंडित दीन दयाल उपाध्याय-प्रयागराज खंड), मुरादाबाद मंडल (आलम नगर से शाहजहाँपुर), और लखनऊ मंडल (आलम नगर से लखनऊ) शामिल हैं। जाहिर है देश के लगभग 68,000 किलोमीटर के रेल रूट पर बिछी लगभग एक लाख बीस हजार किलोमीटर रेल लाइन को चहारदीवारी से घेर पाना यदि असंभव नहीं तो मुश्किल काम जरूर है। परंतु यदि भारतीय रेल तीव्रगामी और लंबी व सुरक्षित रेल यात्रा देने जा रही है तो रेल व इसके यात्रियों की चक चौबंद सुरक्षा सुनिश्चित करना भी इसकी पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए।

हमें चीन, अमेरिका और रूस जैसे देशों से यह भी सीखना चाहिए कि ट्रेनें सुरक्षित कैसे चलती हैं। क्या हमारे देश की तरह इन देशों में भी आवारा व लावारिस जानवर इसी तरह सड़कों व रेल लाइनों के किनारे घूमते रहते हैं? क्या इन देशों के लोग भी हमारे देश के लोगों की तरह रेल ट्रैक पर शौच करते, रेल ट्रैक को लापरवाही से पार करते, रेल ट्रैक पर तोड़ फोड़ करते, मरे जानवर व दुनिया भर का कबाड़ रेल लाइनों पर फेंकते नजर आते हैं? जो रेल देश की जीवन रेखा हो और रोज लाखों लोगों को उनकी मंजिल तक लाती ले जाती हो उस रेल के प्रति जितनी ‘बर्बरता’ भारत में बरती जाती है, उतनी कहीं नहीं बरती जाती।

फाटक विहीन रेल मार्ग देने की दिशा में भी जो काम हो रहा है, वह भी ज्यादातर जगहों पर तमाशा साबित हो रहा है। देश के सैकड़ों रेल अंडर पास पानी से भर जाते हैं। इसमें डूबने से भी लोग मर चुके हैं। जबकि अंडर पास में जमा पानी को निकालने का भी डिजाइन किया जाता है। परंतु बारिश में यह सब व्यवस्था फेल हो जाती है। भारतीय रेल के सुगम व सुरक्षित संचालन के लिए समस्याएं विकराल रूप धारण कर चुकी हैं।


janwani address 9

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Meerut News: एक राष्ट्र एक चुनाव का सपना भाजपा शीघ्र करेगी पूरा : दिनेश शर्मा

जनवाणी संवाददाता |रोहटा: रासना के श्री शालिग्राम शर्मा स्मारक...

Meerut News: ट्रक की टक्कर से इकलौते बेटे की मौत, साथी घायल

जनवाणी संवाददाता |जानी खुर्द: जानी थाना क्षेत्र में गुरुवार...
spot_imgspot_img