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प्रदूषण के वार ने आज किसी को नहीं बख्शा है, फिर चाहे वह वायु का प्रदूषण हो या जल का। जब हमारे वातावरण को इससे इतना नुकसान पहुंचता है तो जरा सोचिए कि हमारे शरीर पर यह कितना बुरा असर डालता होगा। हमारी आबोहवा में मौजूद दूषित पदार्थ पहले ही दिखाई न देते हों मगर इन्हीं से हमारी आंखों में जलन, गले में खराश, थकान होती है और याददाश्त कमजोर हो जाती है।
इन हानिकारक पदार्थों से न सिर्फ हमारा स्वास्थ्य बिगड़ता है बल्कि इनसे हमारी शरीर में भी जहरीले पदार्थ भर जाते हैं जिससे तरह-तरह की बीमारियां हो जाती हैं। प्रदूषण का सबसे बुरा असर हमारी त्वचा पर होता है। यह असर फौरन तो दिखाई नहीं पड़ता है, मगर धीरे-धीरे यह विकृत रूप ले कर शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
रासायनिक पदार्थ शरीर के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक होते हैं, क्योंकि ये शरीर के प्राकृतिक संतुलन को नष्ट कर देते हैं जिससे शरीर में पानी की कमी और दूसरे रिएक्शंस जैसे कि फोड़े, दाने, मुंहासे वगैरह निकलना शुरू हो जाते हैं। यहां तक कि पश्चिमी देशों में भी औद्योगिकीकरण की वजह से, त्वचा से जुड़ी बीमारियां बढ़ती ही चली जा रही हैं, जिसे देख कर त्वचा विशेषज्ञों ने इसका नाम ‘डरमाटाइटिस डरबिस’ रख दिया है।
प्रदूषण के खतरे से बचने के लिए कुछ तरीके अपनाए जा सकते हैं। फिलहाल जो स्थिति है, उसमें हम हानिकारक पदार्थों से बचाव करके ही त्वचा की सुरक्षा कर सकते हैं। इसके लिए रोजाना त्वचा की साफ-सफाई के साथ-साथ उसका रक्षा कवच भी जरूरी है।
हमारी सुरक्षा और बचाव के लिए हम हमेशा प्रकृति पर ही निर्भर रहे हैं, इसलिए हमारी सभी शारीरिक समस्याओं का समाधान भी इसी में छिपा हुआ है। इसलिए त्वचा की सुरक्षा के लिए जड़ी-बूटियों से बेहतर और कोई इलाज नहीं है क्योंकि त्वचा की देखभाल करने में जड़ी-बूटियां जो कमाल दिखाती हैं, वह और किसी चीज में मुमकिन नहीं है।
शहरी लोगों के लिए तो रोजाना त्वचा की सफाई करना बेहद जरूरी है, खास कर रात में सोने से पहले। ऐसा देखा गया है कि ऐलोवेरा से बने क्लींजर्स, त्वचा की सुरक्षा करने और उसका संतुलन बनाए रखने में सबसे ज्यादा फायदेमंद होते हैं। ऐलोवेरा संवेदनशील त्वचा के लिए ज्यादा असरदार होता है। यह मृत कोशिकाओं को अलग करके त्वचा में चमक और नमी लौटाता है।
जो लोग घूमने-फिरने में अपना समय बिताते हैं, उन्हें दिन में दो-तीन बार रोज बेस्ड (गुलाब से बने) स्किन टॉनिक से त्वचा साफ करनी चाहिए। फोड़े, फुंसियों और मुंहासों के लिए चंदन, नीम, यूकेलिप्टस, गुलाब, लैवेंडर, पुदीना और तुलसी युक्त मलहम और क्लेंजर्स सबसे उपयोगी होते हैं। जिनकी त्वचा तैलीय होती है, उन्हें त्वचा की सफाई का खास ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि उनमें धूल और मिट्टी जमा होने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है। इसके लिए सिर्फ पानी और साबुन से चेहरे को धोना ही काफी नहीं है, क्योंकि पानी में घुली क्लोरीन और साबुन का अल्कलाइन स्वभाव त्वचा का प्राकृतिक संतुलन और बिगाड़ देता है।
नीम, चंदन और लौंग में जो रोगाणुरोधक तत्व मौजूद होते हैं, उनसे त्वचा स्वस्थ ही नहीं, बल्कि जवान और खूबसूरत भी बनी रहती है। इनसे बने क्रीम्स और लोशंस त्वचा के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं।
नीम, तुलसी और हपुषा से बने तेल से त्वचा की लसिकाओं और रक्त कोशिकाओं पर अच्छा असर पड़ता है। यह त्वचा में रक्त संचरण, लक्षिकाओं की निकासी और त्वचा की सिकुड? को दूर करने में मदद करता है। कुछ पौधों के उत्पाद से बने प्रसाधन जैसे गुलाब, लैवेंडर, जूही, चंदन हमारी नसों को शांत रखते हैं। पहले लोग तनाव, बेचैनी और अनिद्रा दूर करने के लिए इन्हीं तत्वों से बने तेल का इस्तेमाल करते थे। इन पौधों से बने मलहम से मुहांसे निकलना, बालों का झड़ना और तिल का निकलना भी बंद हो जाता है। पौधों से बने सौंदर्य प्रसाधनों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह त्वचा की तह तक जा कर कोशकीय स्तर पर त्वचा की बीमारियों का इलाज करते हैं। इनके इन्हीं गुणों की वजह से प्राकृतिक चिकित्सा का प्रचलन बढ़ता जा रहा है।
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