आम का अच्छे उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि आम की फसल को सम-सामयिक हानिकाकर कीटों से बचाने हेतु उचित समय पर प्रबन्धन किया जाये। माह दिसम्बर अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि इस माह में गुजिया एवं मिज कीट का प्रकोप प्रारम्भ हो जाता है जिससे आम की फसल को काफी क्षति पहुंचाती है। केन्द्र द्वारा इन समसामयिक कीटों के प्रबन्धन हेतु सलाह दी जाती है। गुजिया कीट (मिली बग) आम का एक प्रमुख नाशी कीट है। यह पूरे देश में आम के बागों को काफी क्षति पहुंचाता है। इस कीट की मादा माह-अप्रैल, मई में पेड़ों से नीचे उतर कर भूमि की दरारों में प्रवेश कर थैलियां (पाउच) में अण्डे देती है, जो माह-दिसम्बर तक सुसुप्ता अवस्था में पड़े रहते हैं। दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में अण्डों से निम्फ या शिशु कीट निकलकर पेड़ों पर चढ़ना शुरू कर देते हैं।
प्रारम्भिक अवस्था में हल्के गुलाबी रंग के होते हैं, जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं। इस कीट के निम्फ (बच्चे) वयस्क पेड़ों की कोमल शाखाओं तथा बौर का रस चूसकर क्षति पहुंचाते हैं, जिससे प्रभावी भाग मुरझाकर अन्त में सूख जाता है। बच्चें एवं वयस्क कीट चिपचिपा द्रव्य या पदार्थ भी विसर्जित करते हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है। बच्चे एवं वयस्क कीट माह-जनवरी से माह-मई तक फसल को हानि पहुंचाते है। यदि समय से उनका प्रबन्धन नहीं किया जाता तो कभी-कभी पूरी फसल प्रभावित होती है।
इस कीट के नियंत्रण हेतु बागों की गहरी जुताई-गुड़ाई की जाये जिससे सुसुप्ता अवस्था में पड़े अण्डे भूमि के ऊपर आ जाते हैं जो परभक्षियों के शिकार से नष्ट हो जाते हैं। दिसम्बर के द्वितीय सप्ताह से मुख्य तने पर भूमि से 50-60 सेमी. की ऊंचाई तक पॉलीथीन शीट 400 गेट की 25 सेमी. चौडी पट्टी तनों के चारों ओर लपेटकर सुतली से बांधकर ऊपरी व निचले हिस्से पर ग्रीस अथवा गिली मिट्टी लगा देने से कीट पेड़ के ऊपर चढ़ नहीं पाते हैं।