- कसेरूखेड़ा नाले की दुर्दशा पर खबर हुई प्रकाशित तो नगर निगम आया एक्शन में, कराई साफ-सफाई
- सवेरे ही लगी निगम की जेसीबी व 52 फीट बूम मशीन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: आखिरकार नगर निगम के अफसरों को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने लाइफलाइन कहे जाने वाले मीनाक्षीपुरम के नाले की सफाई के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया। एक साथ जेसीबी और 52 फीट बूम मशीन लगाकर नाले की सफाई की गई। नाले में जमा सिल्ट व कूड़े को निकाला गया तो ठसाठस भरा नाले में गंदे पानी का बहाव शुरू हो गया। नगर निगम का कहना है कि अब पूरा नाला साफ होने के बाद ही अभियान को थामा जायेगा।
किसी नाले की तस्वीर मैला पानी, गंदगी यही तो होती है, लेकिन अपने मेट्रो शहर की सबसे घनी आबादी गंगा नगर में मीनाक्षीपुरम के पास लाइफलाइन वाले नाले की हकीकत कुछ और तस्वीर दिखा रही है। नाले में पानी, गंदगी, दलदल के ऊपर कूड़े और मलबे की ऐसी परत कि मानो जैसे कोई सड़क हो। हम बात कर रहे हैं गंगानगर शुरू होने से प्रारंभ में मीनाक्षीपुरम से गुजर रहे बड़े नाले की। यह नाला आगे जाकर मोहनपुरी, यूनिवर्सिटी के पास से गुजरता हुआ काली नदी से जाकर मिल रहा है।
शहर के भीतर ही भीतर कई छोटे नाले व नालियां भी इस बड़े नाले से जुड़ते हैं। नगर निगम और महापौर के नाला सफाई कराने, बेहतर निकासी देने के दावों को आइना दिखा रहा है नाला। मीनाक्षीपुरम के पास इस नाले के इर्द-गिर्द गंगा नगर, डिफेंस कालोनी, डिफेंस एंक्लेव जैसी वीआईपी कालोनियों के हजारों लोग रहते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक नाले की गहराई भी करीब सात फीट है, लेकिन ऊपर कूड़े की परत है तो नीचे सिल्ट जमी पड़ी है। यहां कूड़े के ढेर सड़ने से वातावरण दूषित हो रहा है और आसपास का भूगर्भीय जल भी प्रदूषित कर रही है।
जनवाणी ने बुधवार के अंक में इस समस्या को उजागर किया था। महापौर हरिकांत अहलूवालिया भी गंगानगर क्षेत्र में ही रहते हैं। महापौर ने सवेरे ही नगर स्वास्थ्य अधिकारी और नगर निगम के स्वास्थ्य अनुभाग के अधिकारियों को आड़े हाथ लिया। इसी का नतीजा रहा कि बुधवार को सवेरे ही नगर निगम की बड़ी जेसीबी मशीन और 52 फीट बूम मशीन को मीनाक्षी पुरम नाले की सफाई के लिए भेजा गया। सुबह लगभग 9 बजे से नाले की सफाई का यह अभियान शुरू हुआ और दोपहर 3 बजे तक बदस्तूर जारी रहा।
सड़क किनारे लगे कूड़े के पहाड़
नगर निगम के स्वास्थ्य अनुभाग की टीम मौके पर पहुंची तथा नाले की सफाई का अभियान व्यापक स्तर पर शुरू किया। पहले 52 फीट बूम मशीन से नाले की तली झाड़ करते हुए नीचे तक से सिल्ट निकाली जा रही थी। फिर जेसीबी से नाले से निकली इस सिल्ट को साइड में ही एकत्र किया जा रहा था। ताकि इस मार्ग पर गुजरने वाले नागरिकों को दिक्कत न हो।
सूखने के बाद उठाई जायेगी सिल्ट
नगर निगम की टीम मीनाक्षीपुरम नाले की सिल्ट निकालकर उसे अभी साइड में ही नाले की पटरी के किनारे पर ढेर लगा रही है। पूरे मार्ग पर जगह-जगह सिल्ट के पहाड़ नजर आ रहे हैं। नगर निगम के स्वास्थ्य अनुभाग की टीम अभी इस सिल्ट को हाथों हाथ नहीं उठा रही है। टीम का कहना है कि अभी सिल्ट उठाकर ट्राली में डालने से यह पूरे रास्ते में गिरती जायेगी। इसलिए इस सिल्ट को सुखा रहे हैं। ताकि यह फिर आसानी से डंपिंग ग्राउंड जा सके।
हाइटेंशन तार से टकराई मशीन
सफाई के दौरान हादसा होने से बाल-बाल बच गया। हुआ यूं कि 52 फीट बूम मशीन से जब मीनाक्षीपुरम के इस गहरे नाले में सफाई करके सिल्ट को निकाला जा रहा था तो मशीन सिल्ट निकालते समय वहीं नाले के पास से गुजर रही हाइटेंशन लाइन से टकराई। गनीमत यह हुई कि उस समय बिजली नहीं आ रही थी। फिर क्षेत्रवासियों के ध्यान दिलाने पर मशीन संचालक को अपनी गलती का अहसास हुआ तथा उसने अहतियात से नाले से सिल्ट बाहर निकाली।
आबादी क्षेत्र में कवर करायेंगे नाला
महापौर हरिकांत अहलूवालिया का कहना है कि मीनाक्षीपुरम का नाला बहुत बड़ा और गहरा है। हमारी भविष्य में योजना है कि जहां मीनाक्षीपुरम के पास इस नाले का कवर करायेंगे। ताकि बदबू आसपास न फैले, लेकिन इस पूरे नाले को कवर नहीं कर सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से सफाई में दिक्कत होगी। उनका यह भी कहना है कि दूसरे क्षेत्र की फैक्ट्रियों का केमिकल इस नाले में न डले। इसके लिए क्षेत्रीय सफाई सुपरवाइजर को निर्देशित किया गया है।