जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: 16वीं शताब्दी में व्यापार करने के उद्देश्य से यूरोपियन भारत आए। जिसमें शुरुआत में उद्देश्य भारत पर राज करना नहीं था, लेकिन ट्रेड के कारण उन्होंने देश को अपनी कालोनी बनाने की शुरुआत की। वहीं, 1757 में प्लासी का युद्ध, 1764 में बक्सर का युद्ध और 1769 में तीसरी पानीपत की लड़ाई हुई। जिसके बाद मराठा कमजोर हो गए और भारत धीरे-धीरे अंग्रेजों के कब्जे में जाने लगा।
फिर चार मैयसूर की लड़ाई हुई जिसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी और भी अधिक मजबूत हो गई। इसके बाद 1857 की पहली क्रांति की चिनगारी मेरठ से शुरू हुई। जब तक देश ब्रिटिश कालोनी बन चुका था।
इसके बाद सालों के संघर्ष के चलते स्वतंत्रता सेनानियों की बदौलत 1947 में भारत को आजादी मिली, लेकिन यह इतिहास बॉलीवुड की क्वीन कंगना रनौत साफ तौर पर नाकरती हैं। हाल ही में कंगना ने बयान दिया है कि आजादी 2014 के बाद ही सही प्रकार से मिली है। जिससे उनका साफ मतलब भाजपा सरकार से था। इससे कई लोगों में रोष व्याप्त है।
कंगना ने यह तक कह डाला कि 1947 में मिली आजादी महज एक भीख थी। कंगना के इस विवादित बयान से लोगों में रोष दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। दैनिक जनवाणी ने इस मामले को लेकर लोगों और चिर परिचित हस्तियों से वार्ता की और इस पर उनकी राय जानी।
जिसमें लोगों का कहना है कि यह बयान बिल्कुल बेबुनियाद है और कंगना को इतिहास पढ़ने की, लोगों से माफी मांगने की जरूरत है। अगर वह ऐसा नहीं करती हैं तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। हालांकि कंगना अभी तक अपने बयान पर स्थिर है।
यह बयान बेहद गलत है और क्रांतिकारियों का अपमान है। कंगना को इस बयान को लेकर माफी मांगनी चाहिए। मेरे पिता एक स्वंतत्रता सेनानी हैं। ऐसे बयान से ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि मेरे पिता भी आंदोलन में शामिल रहे हैं, ऐसे बयानों से उनके बलिदान को नाकारा गया है।
-विजय गुप्ता, संयुक्त मंत्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिषद
1857 से पहले ही स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा यह लड़ाई शुरु कर दी थी। उस समय के नेताओं ने अंग्रेजों का विरोध किया। आजादी कोई भीख में नहीं बल्कि कड़े संघर्षों और कई स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत के बाद मिली है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु काफी कम उम्र में ही फांसी पर चढ़ा दिए थे। ऐसे वीरों की शहादत को नहीं भूला जा सकता है। -पंकज राठी,
समाजसेवी
यह जो बयान है वह बेबुनियाद है और सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए किया गया है। कंगना भाजपा की एजेंट हैं। इसलिए सरकार ने उन्हें सुरक्षा दी है। किसी की भावना को ठेस पहुंचाने वाला बयान नहीं दिया जाना चाहिए, ऐसे लोगों पर कढ़ी कार्यवाही होनी चाहिए। ऐसे लोगों को ही भाजपा सरकार द्वारा पद्मश्री दिया जा रहा है। -ललित कुमार यादव,
प्रदेश सचिव, समाजवादी अधिवक्ता सभा
जिस तरीके से बयान दिया गया है। उस तरीके से उसे स्वीकारा नहीं गया है। कंगना रनौत के बयान का मतलब है कि भाजपा सरकार आने के बाद ही लोगों को बोलने की आजादी और प्रत्येक व्यक्ति को सामानता का अधिकार दिया जाता है। -हिमांशु भटनागर, भाजयुमो
कार्यकारिणी सदस्य