- शहर में ट्रैफिक व्यवस्था बेपटरी, ज्यादातर सड़कें रहती है जाम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर के बेपटरी यातायात सुधारने के नाम पर जितने कवायदे की जा रही हैं हालात उतने ही ज्यादा खराब होते नजर आ रहे हैं। यूं कहने को पूरे शहर में टैÑफिक स्टॉक के नाम पर टैÑफिक पुलिस की पूरी फौज उतार दी गयी है, लेकिन उसके बाद भी तमाम ऐसे इलाके हैं, खासतौर से पुराने शहर के इलाके जहां दिन भर जाम सरीखे हालात बने रहते हैं। एक तो गर्मी का मौसम उस पर शहर में जगह-जगह जाम से हलकान लोग।
पूरे शहर की यदि बात की जाए तो तमाम ऐसे इलाके हैं या कहें भीड़ वाले व्यस्त चौराहे हैं जहां लोग जाम में फंसे होते हैं। चौराहा जाम रहता है और साइड में स्टॉफ खड़ा तमाशा देखता रहता है। सोमवार को दोपहर करीब दो बजे माल रोड के टैंक चौराहे का ऐसा ही नजारा था। आमतौर पर इस चौराहे पर सबसे ज्यादा स्टाफ रहता है। सोमवार को भी यहां स्टाफ की कोई कमी नहीं थी, लेकिन बीच चौराहे पर जहां खडेÞ होकर यातायात को नियंत्रित किया जाता है, वहां ना खडेÞ होकर सारा स्टाफ पेड़ की छांव में खड़ा था।
इसका नुकसान यह हुआ कि आगे निकलने के प्रयास में तमाम गाड़ियां मुख्य चौराहे पर आकर एक दूसरे से उलझने की स्थिति में नजर आने लगीं। यहां से चंद कदम की दूरी पर कंकरखेड़ा की ओर मुड़ने वाली रोड भी दोपहर के वक्त कमोवेश यही स्थिति थी। शहर में जाम से हलकान लोगों की यदि परेशानी की बात करें तो केवल इन दो चौराहों पर ही नहीं बल्कि पूरे शहर में आमतौर पर कई बार ऐसा नजारा देखने को मिल जाता है जब लोग जाम में फंसे होते हैं और स्टाफ साइड में खड़ा हुआ या तो बतियाता मिलेगा या फिर मोबाइल पर गेम में मशगूल होगा।
स्टाफ की कमी नहीं। पहले से बहुत ज्यादा स्टाफ शहर के चौराहों पर लगाया गया है उसके बाद भी जाम सरीखे हालात दिन में कई बार बन जाते हैं। जाम लगाना बड़ी बात नहीं मुसीबत तो तब खड़ी होती है जब जाम में फंसे वाहनों को निकालने के बजाए स्टाफ केवल तमाश देखता है। जब हालात ज्यादा खराब होते हैं तब इशारे से होमगार्ड को आगे किया जाता है। यह भी सच्चाई है कि बेलगाम वाहन चालक कभी भी होमगार्ड को भाव नहीं देते। बल्कि होमगार्ड के इशारे पर रूकने या चलने को तोहीन समझते हैं।