- शहर में सार्वजनिक शौचालयों की संख्या 60, अधिकतर में लटके ताले, उठ रही बदबू
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में जन सुविधा के लिए जो स्वच्छ भारत मिशन अभियान के अंतर्गत व अन्य योजनाओं से सार्वजनिक शौचालय बनवाए गए हैं। उनके निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए गये बावजूद उसके अधिकतर शौचालय बंद पडेÞ हैं, जिन पर ताले लटके हुए हैं। महानगर में 60 जगहों पर करोड़ों की लागत से शहर की ही जनता के लिए नहीं बल्कि दूरदराज क्षेत्रों से शहर में आने वाले लोगों के लिए सार्वजनिक (पुरुष एवं महिला शौचालय) शौचालयों का निर्माण कराया गया था।
आज वह शौचालय बेहद ही खराब स्थिति में है। जिसमें स्वच्छ भारत मिशन अभियान एवं अन्य योजनाओं से जो शौचालयों का निर्माण कराया गया था, वह शौचालय आज बेहद ही खराब स्थिति में पहुंच चुके हैं। जिसमें निगम के द्वारा इन शौचालयों की देखरेख के लिए कोई भी सुध नहीं ली जा रही है। कुछ शौचालय ही ऐसे हैं, जोकि चालू स्थिति में होने के बावजूद उनकी देखरेख केयर टेकर के द्वारा की जा रही है, लेकिन अधिकतर की हालत बेहद ही खराब है।
शहर में जिन जगहों पर सार्वजनिक शौचालय बने हैं। उसमें नगर निगम परिसर, मवाना बस स्टैंड, थाना कोतवाली के बाहर मेन रोड पर, कसेरु बक्सर के बराबर रजपुरा जाने वाले मार्ग पर। सुभाष इंटर कॉलेज निकट, सूरजकुंड शिव मन्दिर के पास। केसरगंज पुलिस चौकी में सार्वजनिक शौचालय बनाया गया है। इसमें आलकनंदा धाम में सार्वजनिक शौचालय। गंगानगर व गंगाधाम कॉलोनी, अमृत योजना के अन्तर्गत निर्मित मंगलपांडेय पार्क में शौचालय, अमृत योजना के अन्तर्गत ही शास्त्रीनगर सामुदायिक पार्क में शौचालय।
ट्रांस्पोर्ट नगर शिव मन्दिर के सामने, कचहरी गेट हनुमान मन्दिर के पास एंट्री गेट पार्क के पास शौचालय। कचहरी के बाहर एलेक्जेंडर क्लब के पास शौचालय। मेडिकल, बीओटी पर कचहरी में सिविल कोर्ट के पास शौचालय। सदर तहसील में जली कोठी के बराबर में सुलभ शौचालय। शेरगढ़ी, पल्लवपुरम, कंकरखेड़ा क्षेत्र आदि में शौचालय तो बनाए गए हैं, लेकिन अब अधिकतर शौचालयों का रखरखाव नहीं कराया जा रहा है। जबकि सूत्रों की माने तो इन शौचालयों के निर्माण में ही नहीं बल्कि रखरखाव एवं केयर टेकर के द्वारा महीने के खर्च का बिल भी पास कराया जाता है। उसके बावजूद शौचालयों की हालत बद से बदतर स्थिति में हैं।