Monday, July 1, 2024
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भीड़ में भी तन्हा हैं राहुल गांधी

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firdos khanराहुल गांधी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे देश और राज्यों में सबसे लम्बे अरसे तक हुकूमत करने वाली कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। हाल के लोकसभा चुनाव में उन्होंने उत्तर प्रदेश के रायबरेली और केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र से लाखों मतों से जीत हासिल कर इतिहास रचा है। उन्होंने अपने पुराने लोकसभा क्षेत्र वायनाड छोड़कर रायबरेली से सांसद रहने का फैसला किया है। बहरहाल, उनकी जिन्दगी कोई आसान नहीं है। इसमें जितने फूल हैं, उससे कहीं ज्यादा खार हैं जिनकी चुभन उन्हें हमेशा महसूस होती रहती है। राहुल गांधी एक ऐसे खानदान के वारिस हैं, जिसने देश के लिए अपनी जानें तक कुर्बान कर दीं। उनके भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में लाखों-करोड़ों चाहने वाले हैं। लेकिन इस सबके बावजूद वे अकेले खड़े नजर आते हैं। उनके चारों तरफ एक ऐसा अनदेखा दायरा है, जिससे वे चाहकर भी बाहर नहीं आ पाते। एक ऐसी दीवार है, जिसे वे तोड़ नहीं पा रहे हैं। वे अपने आसपास बने खोल में घुटन तो महसूस करते हैं, लेकिन उससे निकलने की कोई राह, कोई तरकीब उन्हें नजर नहीं आती। बचपन से ही उन्हें ऐसा माहौल मिला, जहां अपने-पराये और दोस्त-दुश्मन की पहचान करना बड़ा मुश्किल हो गया था। उनकी दादी इंदिरा गांधी और उनके पिता राजीव गांधी का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। इन हादसों ने उन्हें वह दर्द दिया, जिसकी जरा-सी भी याद उनकी आंखें भिगो देती है। उन्होंने कहा था-‘उनकी दादी को उन सुरक्षा गार्डों ने मारा, जिनके साथ वे बैडमिंटन खेला करते थे।’ वैसे राहुल गांधी के दुश्मनों की भी कोई कमी नहीं है। कभी उन्हें जान से मार देने की धमकियां मिलती हैं, तो कभी उनकी गाड़ी पर पत्थर फेंके जाते हैं। अप्रैल 2018 में उनका जहाज क्रैश होते-होते बचा। कर्नाटक के हुबली में उड़ान के दौरान 41 हजार फुट की ऊंचाई पर जहाज में तकनीकी खराबी आ गई और वह आठ हजार फुट तक नीचे आ गया। उस वक़्त उन्हें लगा कि जहाज गिर जाएगा और उनकी जान नहीं बचेगी। लेकिन न जाने किनकी दुआएं ढाल बनकर खड़ी हो गईं और हादसा टल गया। कांग्रेस ने राहुल गांधी के खिलाफ साजिश रचने का इल्जाम लगाया था।

किसी अनहोनी की आशंका की वजह से ही राहुल गांधी हमेशा सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहे हैं, इसलिए उन्हें वह जिन्दगी नहीं मिल पाई, जिसे कोई आम इंसान जीता है। बचपन में भी उन्हें गार्डन के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने की इजाजत नहीं थी। राहुल गांधी ने एक बार कहा था-‘अमेरिका में पढ़ाई के बाद मैंने जोखिम उठाया और अपने सुरक्षा गार्डों से निजात पा ली, ताकि इंग्लैंड में आम जिÞन्दगी जी सकूं।’ लेकिन ऐसा ज्यादा वक़्त तक नहीं हो पाया और वे फिर से सुरक्षाकर्मियों के घेरे में कैद होकर रह गए। हर वक़्त कड़ी सुरक्षा में रहना, किसी भी इंसान को असहज कर देगा, लेकिन उन्होंने इसी माहौल में जीने की आदत डाल ली। खौफ के साये में रहने के बावजूद उनका दिल मुहब्बत से सराबोर है। वे एक ऐसे शख़्स हैं, जो अपने दुश्मनों के लिए भी दिल में नफरत नहीं रखते। वे कहते हैं-‘मेरे पिता ने मुझे सिखाया कि नफरत पालने वालों के लिए यह जेल होती है। मैं उनका आभार जताता हूं कि उन्होंने मुझे सभी को प्यार और सम्मान करना सिखाया।’ अपने पिता की सीख को उन्होंने अपनी जिंदगी में ढाला। इसीलिए उन्होंने अपने पिता के कातिलों तक को माफ कर दिया। उनका कहना है-‘वजह जो भी हो, मुझे किसी भी तरह की हिंसा पसंद नहीं है। मुझे पता है कि दूसरी तरफ होने का मतलब क्या होता है। ऐसे में जब मैं हिंसा देखता हूं चाहे वो किसी के भी साथ हो रही हो, मुझे पता होता है कि इसके पीछे एक इंसान, उसका परिवार और रोते हुए बच्चे हैं। मैं ये समझने के लिए काफी दर्द से होकर गुजरा हूं। मुझे सच में किसी से नफरत करना बेहद मुश्किल लगता है।’

उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स आॅफ तमिल ईलम (लिट्टे) के प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण का जिक्र करते हुए कहा था-‘मुझे याद है जब मैंने टीवी पर प्रभाकरण के मुर्दा जिस्म को जमीन पर पड़ा देखा। ये देखकर मेरे मन में दो जज्बे पैदा हुए। पहला ये कि ये लोग इनकी लाश का इस तरह अपमान क्यों कर रहे हैं और दूसरा मुझे प्रभाकरण और उनके परिवार के लिए बुरा महसूस हुआ।’

राहुल गांधी छल और फरेब की राजनीति नहीं करते। वे कहते हैं-‘मैं गांधीजी की सोच से राजनीति करता हूं। अगर कोई मुझसे कहे कि आप झूठ बोल कर राजनीति करो, तो मैं यह नहीं कर सकता। मेरे अंदर ये है ही नहीं। इससे मुझे नुकसान भी होता है। मैं झूठे वादे नहीं करता।’ वे कहते हैं-‘जब भी मैं किसी देशवासी से मिलता हूं। मुझे सिर्फ़ उसकी भारतीयता दिखाई देती है। मेरे लिए उसकी यही पहचान है। अपने देशवासियों के बीच न मुझे धर्म, ना वर्ग, ना कोई और अंतर दिखता है।’

राहुल गांधी पर हर तरफ से हमले होते ही रहते हैं। उनके खिलाफ देशभर में इतने मामले दर्ज हैं कि वे आए दिन किसी न किसी अदालत में पेश होते रहते हैं। मोदी सरनेम वाले मामले में सूरत की अदालत से दो साल की सजा मिलने के बाद 23 मार्च 2023 से उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। अदालत ने 4 अगस्त को उन्हें दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक लगा दी। राहुल गांधी एक नेता हैं, जो पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए, पार्टी को हुकूमत में लाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उन्हें वह कामयाबी नहीं मिल पा रही है, जो उन्हें मिलनी चाहिए या ये कहें कि जिसके वे हकदार हैं। शायद वे सियासत के लिए बने ही नहीं हैं। उन्हें तो सियासत में धकेला गया है। वे अपने खिलाफ रची जाने वाली तमाम साजिशों से अकेले ही जूझ रहे हैं और मुस्कराकर उनका सामना कर रहे हैं।


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