चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में संकुचन पहली तिमाही के 23.9 प्रतिशत की तुलना में सुधरकर 7.5 प्रतिशत रह गया। यह सुधार मौद्रिक नीति समिति के अनुमान माइनस 9.8 प्रतिशत और भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान माइनस 8.6 प्रतिशत से बेहतर है। हालांकि, दूसरी तिमाही में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या में इजाफा हुआ, लेकिन तालाबंदी को चरणबद्ध तरीके से अनलॉक करने की वजह से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई, जिससे जीडीपी वृद्धि दर में बढ़ोतरी हुई। जीवीए में भी गिरावट कम हुआ है। पहली तिमाही में जीवीए में माइनस 22.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी, जो दूसरी तिमाही में घटकर 7.0 प्रतिशत रह गई, जो यह दर्शाता है कि तालाबंदी का नकारात्मक असर तेजी से खत्म हो रहा है।
जीडीपी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल कीमत को कहते हैं, जिसका आकलन हर तिमाही में किया जाता है और साल के अंत में पूरे साल के समग्र जीडीपी के आंकड़े जारी किये जाते हैं, वहीं जीवीए से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल परिणाम और आय का पता चलता है। जीवीए से यह पता चलता है कि तय अवधि में व्यय और कच्चे माल की कीमत को अलग करने के बाद कितने रुपये के सामान और सेवा का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस क्षेत्र, उद्योग या क्षेत्र में कितना उत्पादन हुआ।
कृषि और संबद्ध गतिविधियों में दूसरी तिमाही में 3.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई। पहली तिमाही में भी इस क्षेत्र में इसी दर से वृद्धि हुई थी। सबसे ज्यादा सुधार उद्योग क्षेत्र में दर्ज किया गया। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इस क्षेत्र में सिर्फ 2.1प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि पहली तिमाही में 38.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। निर्माण क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि हुई। पूर्व के आंकड़ों से पता चलता है कि निर्माण क्षेत्र में वृद्धि पहली तिमाही से दूसरी तिमाही में हमेशा कम रहती है, लेकिन कोरोना काल में दूसरी तिमाही में पहली तिमाही से बेहतर परिणाम रहे हैं। इस अवधि में निर्माण क्षेत्र में वृद्धि होना आश्चर्यजनक है, क्योंकि आमतौर पर मानसून में निर्माण कार्य बंद रहते हैं। विनिर्माण क्षेत्र में 5,79,683 रुपए का जीवीए वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2019 के जीवीए राशि से अधिक है। बिजली, गैस, जलापूर्तिऔर अन्य उपयोगिता वाली सेवाओंमें भी सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई।
सेवा क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में माइनस 11.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में यह गिरावट माइनस 20.6 प्रतिशत थी। व्यापार, होटल, परिवहन, संचार आदि क्षेत्रों में भी सुधार हुआ,लेकिन वित्त, बीमा, रक्षा आदि क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई। दूसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र का आकार राशि में 17.19 लाख करोड़ रुपए का रहा,जबकि वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में राशि में इसका आकार 17.35 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह, दूसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र का राशि में आकार वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही से सिर्फ 15 हजार करोड़ रुपए कम है। सेवा क्षेत्र में सुधार से पता चलता है कि इस क्षेत्र की गतिविधियों का स्तर कोरोना महामारी के समय से पहले वाली स्थिति में पहुंच चुका है। दूसरी तिमाही में निजी खपत में वृद्धि हुई। हालांकि, वर्ष दर वर्ष के आधार पर इस मोर्चे पर वृद्धि माइनस 11.3 प्रतिशत हुई। सरकार द्वारा किया जाने वाला पूंजीगत व्यय वृद्धि माइनस 22.2 प्रतिशत रहा। हालांकि,निजी उपभोग वित्त वर्ष 2020 की समान अवधि के मुकाबले सिर्फ 200 बीपीएस कम है। कच्चे तेल की कीमत के नरम रहने से आयात लगातार संकुचन की स्थिति में है। निर्यात में सुधार हुआ है, लेकिन सुधार की गति बहुत ज्यादा तेज नहीं है। इसलिए व्यापार घाटे पर कोई खास सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अक्टूबर महीने के लिये क्षेत्रवार ऋण वृद्धि का आंकड़ा जारी किया है, जिसके अनुसार उद्योग को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में ऋण वृद्धि दर में इजाफा हुआ है। हालांकि, यह वृद्धि पिछले साल के सितंबर महीने से कम है, लेकिन तालाबंदी के नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए इन आंकड़ों को उत्साहजनक माना जा सकता है। सबसे अधिक ऋण वृद्धि वैयक्तिक ऋण क्षेत्र में हुआ है। फरवरी 2020 में 348 बिलियन के ऋण वृद्धि से ज्यादा ऋण वृद्धि अक्टूबर महीने में हुई है। गृह, वाहन और दूसरे वैयक्तिक ऋण की भी मांग बढ़ रही है। उपभोक्ता टिकाऊ ऋण क्षेत्र में सितंबर महीने तक नकारात्मक वृद्धि हुई थी में भी अक्टूबर महीने में 22844 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। कॉरपोरेट्स की आय में भी दूसरी तिमाही में वृद्धि हुई है। खाद्य तेल, पैकेजिंग, एफएमसीजी, फार्मा, सीमेंट, स्टील, कंज्यूमर ड्यूरेबल आदि क्षेत्रों में भी तेज वृद्धि हुई है।
तालाबंदी के आर्थिक दुष्परिणाम तेजी से कम हो रहे हैं। जीडीपी में तेज सुधार आना इसी बात का संकेत है। दूसरी तिमाही में निवेश उम्मीद से बेहतर रहा है, लेकिन निजी खर्च में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई है। दूसरी तिमाही में सरकार द्वारा भी अपेक्षित खर्च नहीं किया जा सका है। हालांकि, सरकार खर्च बढ़ाने के लिये निरंतर प्रयास कर रही है। तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार को खर्च के मोर्चे पर ज्यादा उपाय करने होंगे। त्योहारी बिक्री से उपभोक्ताओं का मनोबल बढ़ा है, लेकिन अंतिम उपभोग व्यय पिछले साल की समान अवधि की तुलना में अभी भी 11.3 प्रतिशत कम है। रोजगार सृजन में तेजी आने, सभी मजदूरों एवं कामगारों के काम पर वापिस लौटने, कोरोना वायरस की दवाई या वैक्सीन के बाजार में आने से इसमें और भी तेजी आएगी।
पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी,लेकिन दूसरी तिमाही में 0.6 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की गई है। सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में 10.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन यह पहली तिमाही के मुकाबले बेहतर है। समग्रता में दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि को पंख लगे हैं, जिसे और प्रोत्साहन देने की जरुरत है। मौजूदा परिप्रेक्ष्य में कयास लगाए जा सकते हैं कि तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्घि में और भी तेजी आएगी और विकास दर नकारात्मक से सकारात्मक हो जाएगा।