यह प्रसंग उस समय का है, जब वाल्टर हाइन्स पेज प्रसिद्ध अमेरिकी मासिक पत्रिका ‘दि वर्ल्ड्स वर्क्स’ के संपादक थे। उस पत्रिका में रचना प्रकाशित होना किसी भी लेखक के लिए सम्मान की बात होती थी। इसलिए पेज के पास रचनाओं का अंबार लगा रहता था। जिन लेखकों की रचनाएं वापस हो जाती थीं, उनमें से कुछ समझते थे कि उनके साथ नाइंसाफी की जा रही है। एक बार एक लेखक ने उन्हें पत्र लिखा, पिछले हफ्ते आपने मेरी कहानी सखेद लौटा दी। मेरा दावा है कि आपने मेरी कहानी पढ़ी ही नहीं। मेरा अनुमान सही था कि आप जैसे संपादक अपने कार्य में अक्सर ईमानदारी नहीं बरतते। इसलिए मैंने अपनी कहानी के बीच के पृष्ठों को एक साथ चिपका दिया था। जब आपने मेरे पास कहानी सखेद वापस की तो कहानी के बीच के पन्ने वैसे ही चिपके हुए थे। यह आपकी पेशे के प्रति बेईमानी नहीं तो और क्या है। इससे स्पष्ट होता है कि आप अच्छे लेखकों के बजाय चाटुकारों को ही अपनी पत्रिका में स्थान देते हैं। पत्र पढ़कर पेज ने जवाब दिया, आपका ज्ञान अभी कच्चा है। हांडी में चावल पके हैं या नहीं, यह जानने के लिए सिर्फ एक चावल को टटोला जाता है, पूरी हांडी को उलटकर चावलों को टटोलने की जरूरत नहीं पड़ती। यदि एक चावल पक जाता है, तो पूरे चावल पके हुए होते हैं और यदि पहला चावल ही कच्चा है तो पूरे चावल भी कच्चे होंगे। यह जवाब पढ़कर वह लेखक अत्यंत लज्जित हुआ। उसने विनम्रतापूर्वक माफी मांगते हुए पेज को लिखा, आज से आप मेरे गुरु हैं। आपने मुझे छोटे से उदाहरण से बहुत बड़ा ज्ञान दिया है। मैं अब हांडी के सारे चावलों को पकाने का अभ्यास करूंगा।