Saturday, July 5, 2025
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ओवरलोड वाहनों से की जाती है वसूली

  • भ्रष्टाचार का यातायात: शहर की ट्रैफिक पुलिस उगाही में मशगूल, जाम से शहर में मचा त्राहिमाम
  • शहर में बेरोकटोक धड़ल्ले से दौड़ रहे ओवरलोड वाहन

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टोलरेंस नीति पर काम कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी है कि नहीं सुधरने की लगता है कसम खा ली है, तभी तो यातायात सुधारने के नाम पर जिन ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की तैनाती की जाती है, वो भ्रष्टाचार का यातायात संचालित कर रहे हैं। ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की ऐसे प्वाइंटों पर ड्यूटी लगाई जाती है, ताकि जनता को राहत मिले, लेकिन यहां पर ट्रैफिक पुलिस यातायात के भ्रष्टाचार में लिप्त हो गई है।

‘जनवाणी’ की टीम ने सरधना बाइपास पर यातायात पुलिस कर्मियों का ‘स्टिंग’ किया, जिसमें र्इंटों से लदे ट्रैक्टर ट्राली को लेकर लोग शहर में एंट्री करते हैं। यही से भ्रष्टाचार की शुरुआत हो जाती है। दिन में भारी वाहनों की शहर में एंट्री पर प्रतिबंध है, लेकिन र्इंटों से लदे ट्रकों को ट्रैक्टरों को शहर में जाने दिया जाता है। क्योंकि वह इसके बदले में बड़ी सुविधा शुल्क यातायात पुलिस कर्मियों को थमा रहे हैं।

‘जनवाणी’ टीम ने सरधना बाइपास पर र्इंटों से लदे ओवर लोड ट्रैक्टरों को यातायात पुलिस कर्मियों ने रोक रखा था। सड़क किनारे इन वाहनों को खड़ा कर लिया जाता हैं। फिर चलता है वसूली में भी सौदेबाजी। यही भ्रष्टाचार का खेल चल रहा हैं, जिसको आला पुलिस अफसर भी नहीं देख रहे हैं। जो सुविधा शुल्क देने में आना-कानी करता हैं, उसके ट्रैक्टर का ओवर लोड या फिर कागज की कमी दर्शाते हुए चालान काट दिया जाता हैं।

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प्रदूषण नहीं होने पर 10 हजार तक का जुर्माना लगा दिया जाता हैं। सरधना बाइपास पर टीएसआई भूपेन्द्र, मनीष नागर नामक यातायात पुलिस कर्मी ओवर लोड ट्रैक्टर व अन्य वाहनों से वसूली कर रहे थे, जो स्टिंग में फंस गए। महत्वपूर्ण बात ये है कि एसएसपी रोहित सजवाण ने तीन माह पहले यातायात पुलिस कर्मियों की मीटिंग ली थी, जिसमें स्पष्ट आदेश दिये थे कि उनके बिना आदेश के यातायात पुलिस कर्मी शहर में किसी भी वाहन की चेकिंग नहीं करेंगे।

क्योंकि उन्हें शिकायत मिली थी कि यातायात पुलिस कर्मी चेकिंग के नाम पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इसके बाद ही एसएसपी एक्शन में आ गए थे। एसएसपी की इस सख्ती के बाद भी आखिर फिर से यातायात पुलिस कर्मियों ने वसूली अभियान आरंभ कर दिया हैं। चेकिंग करने के एसएसपी के कोई आदेश नहीं हैं, फिर ट्रैफिक पुलिस चेकिंग क्यों कर रही हैं? यह बड़ा सवाल हैं। भाजपा विधायक अमित अग्रवाल ने सरधना बाइपास पर चार माह पहले चेकिंग के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठा दिया था।

एक वीडियो भी फेसबुक पर वायरल कर दी गई थी। इसमें यातायात पुलिस की खासी किरकिरी हुई थी, मगर इतना सब होने के बावजूद यातायात पुलिस कर्मी चेकिंग के नाम पर भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। क्या भ्रष्टाचार में लिप्त यातायात पुलिस कर्मियों के खिलाफ पुलिस के आला अफसर कार्रवाई करेंगे या फिर इसी तरह से ट्रैफिक पुलिस भ्रष्टाचार करती रहेगी।

गैर राज्यों के वाहन होते हैं निशाने पर

गैर जनपद के वाहनों को ये ट्रैफिक पुलिस कर्मी निशाना बनाते हैं। क्योंकि गैर जनपद और गैर राज्य के वाहनों की सिफारिश करने के लिए कोई नहीं आता हैं। यही वजह है कि इसमें भ्रष्टाचार का खेल करने का पुलिस कर्मियों को मौका मिल जाता हैं। ट्रैफिक चालान करने का अधिकार एसआई को होता हैं, लेकिन सिपाही भी मोबाइल लेकर वाहनों के फोटो खींचता दिखाई देगा। यही नहीं, होमगार्ड भी मोबाइल से फोटो लेकर वाहनों के चालान करते हुए दिख जाएगा।

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