- अत्यधिक पैदावार की किस्म होगी किसानों को मुहैया
- शासन के आदेशानुसार सर्वाधिक पैदावार वाली प्रजाति को उचित मुल्य पर किसानों को दिया जाएगा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: दिल्ली रोड स्थित कृषि विभाग के शोध केन्द्र पर धान की 90 प्रजातियों पर वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च की जा रही है। इन सभी प्रजातियों पर आगामी तीन वर्ष तक गहन शोध चलेगा।
जिसके बाद अत्यधिक पैदावार देने वाली धान की प्रजाति की रिपोर्ट और सैंपल शासन को भेजी जाएगी। शासन द्वारा निर्देश मिलने के बाद सर्वाधिक पैदावार वाली धान की प्रजाति किसानों को उचित मुल्य पर मुहैया हो सकेगी। किसानों को कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।
किसानों की आय बढ़ाने को लेकर के कृषि विभाग हर संंभव प्रयास कर रहा है। धान की फसल की बुआई करने वाले किसानों को उनकी फसल का सही उत्पादन मिल सके, इसके लिए दिल्ली रोड स्थित उप कृषि निदेशक कार्यालय के शोध केन्द्र के फार्म पर वर्तमान में धान की ऐसी 90 प्रजातियों पर केन्द्र व राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोध केन्द्रों के वैज्ञानिकों द्वारा गहन शोध किया जा रहा है, जो आगामी तीन वर्ष तक चलेगा।
ये सभी 90 प्रजातियां अब तक किसानों की पहुंच से दूर हैं, शोध के बाद अच्छी गुणवत्ता एवं अधिक पैदावार वाली प्रजातियों को किसानों को प्राप्त कराया जाएगा।
इन प्रजातियों में धान की दीर्घ कालीन सात, बासमती की आठ, धान मघ्यम की सात, स्थानिय सुगंधित की 10, धान अल्पकालीन की 13 एवं मोटे शंकर धान की 45 प्रजातियां हैं।
उक्त प्रजातियों को अलग-अलग क्यारियां बनाकर के सर्वप्रथम जून के दूसरे पखवाड़े में नर्सरी तैयार की गई इसके बाद जुलाई के प्रथम पखवाड़े में 15 वर्ग मीटर की अलग-अलग क्यारियां बनाकर के रोपाई की गई।
इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि एक प्रजाति को तीन क्यारियों में बोया गया है, तीनों क्यारियों की मिट्टी की गुणवत्ता भी एक दूसरी क्यारी से भिन्न है।
अब वर्तमान में उक्त प्रजातियों से बड़ी मेहनत और लगन के साथ खरपतवार निकाला जा रहा है। इसके बाद शोधकर्ताओं द्वारा पौधे की लम्बाई, बाली की अवस्था, उपज, बाली में दानों की सख्या जैसे तमाम गहन शोध किए जाएगें।
सांंप से बचाव के लिए भी किए जाते हैं इंतजाम
धान की उक्त ट्रायल फसलों में हर समय अधिकतर नमी बनी रहती है, जिसके चलते यहां सांप अक्सर देखने को मिल जाते हैं।
इन सर्पों से मजदूरों की हिफाजत करने के लिए फार्मों के चारों की खरपतवार को अच्छी तरह साफ किया जाता है, साथ ही फार्म पर कार्य करते समय दो या तीन मजदूर सांपों से बचाव के लिए नजर बनाए रखते हैं।
सिंचाई के लिए लगे हैं दो नलकूप
शोध केन्द्र पर धान की ट्रायल फसलों की सिंचाई के लिए दो नलकूपों की व्यवस्था है, जिनसे आवश्यकता अनुसार फसल की सिंचाई की जाती है।
सिंचाई के लिए दो नलकूप इसलिए लगाए गए हैं ताकि एक नलकूप यदि किसी कारणवश खराब हो जाता है, तो जब तक उसे सही न कराया जाए तब तक सिंचाई में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो।
संतुलित मात्रा, उचित समय पर दिए जाते हैं ट्रायल प्रजाति को उर्वरक
कृषि विभाग के शोध केन्द्र पर जो धान की 90 प्रजातियां ट्रायल के लिए लगाई गई हैं, उन पर कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की देखरेख में मजदूरों द्वारा संतुलित मात्रा एवं उचित समय पर खाद एवं अन्य उर्वकर दिए जाते हैं।
वर्तमान में मजदूरों द्वारा फसलोें पर खाद का स्पे किया जा रहा है, साथ ही कीट नाशकों से बचाव के लिए उचित कीटनाशकों का भी प्रयोग किया जा रहा है।
शोध केन्द्र पर धान की 90 प्रजातियों पर गहनता से शोध चल रहा है, उक्त प्रजातियों में मोटा शंकर धान, मध्यम, महीन और सुगंधित धान की प्रजातियां हैं, तीन साल के गहरे शोध के बाद अधिक पैदावार वाली प्रजातियों के सैंपल और रिपोर्ट शासन को भेजे जाएंगे। इसके बाद शासन के निर्देर्शों पर धान की प्रजातियों के बीज किसानों को मिलेंगे।
-मेहरबान अली, प्रावेदिक सहायक, उपकृषि निदेशक कार्यालाय (शोध) मेरठ