जनवाणी ब्यूरो |
Lucknow: मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय के रेटिना सर्जन एवं मोती लाल नेहरू के सहायक प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह ने दावा किया है कि ग्लूकोमा के मरीजों के रेटिना का इलाज अब बिना सुई (इजेक्शन) अथवा डाई के ही सम्भव है। मरीजों की रोशनी भी बचाई जा सकती है। इसके लिए डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने अपने द्वारा किये गए शोध पत्र प्रस्तुत अमेरिकन एकेडमी ऑफ थेलमोलॉजी कैलिफोर्निया में।
श्री सिंह के अनुसार अभी हमने जो रिशर्च पेपर अमेरिकन एकेडमी में प्रस्तुत किया है वह पूरे प्रदेश के शोध कर्त्ताओं मेसे एक मेरा सेलेक्ट हुआ जिसमें डायबिटीज के मरीज जो ग्लूकोमा से पीड़ित परेशान है और रोशनी की जब कम होने लगती है तो चिकित्सक जैसे शरीर के किसी हिस्से का ओसीटी करता है जैसे हार्ट सर और पैरका वैसे ही हम आँख के पर्दे की भी करते है ओसीटी और एनजीओग्राफी करते हैं। लेकिन, इसमें हम किसी तरह का इंजेक्शन व डाई का इस्तेमाल नही करते हैं। इसमें हम ये देखते हैं कि किसी तरह के मारकर है जिसे हम बायोमार्कर कहते है। उन्होंने बता की इसमें कितने रोशनी बनाने वाले कितने कितने कण यानी कि सेल होते हैं वे कितने वाये बल हैं ताकि हम मरीज के आँख की रोशनी कितना खराब होने से रोक सकते हैं।
जागरूक मरीजों की रोशनी बधाई बढाई जा सकती है, लापरवाह मरीज की रोशनी बचाई जा सकती है बिना किसी दवा दिए इंजेक्शन लगाए। श्री सिंह ने यह शोध एशियापेसेफिक एकेडमी ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी 2015 चाइना में फिर जापान में 2017 में और अब अमेरिकन एकेडमी ऑपथेलमोलॉजी में भारत की ओर से उत्तर प्रदेश के एकमात्र डॉक्टर के रूप में प्रस्तुत की जोकि शोध पत्र और सम्बोधन दोनों ही स्वीकार किया गया।